हर साल 8 मई को वर्ल्ड थैलेसिमिया डे (World Thalassemia Day)मनाया जाता है। इस दिवस को बनाने के पीछे मुख्य कारण ये है कि लोगों को उनके रक्त संबंधित रोगों के प्रति जागरुक करना। जिससे कि लोग इस बीमारी को गंभीरता से लेते हुए अपने खानपान और नियमित रूप से रक्त जांच करवाएं। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों में लोगों को बीमारी, इसके लक्षणों और बचाव के बारे में बताने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आपको बता दें कि थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन (टीआईएफ) एक संगठन है, जो कई देशों में सदस्यों के साथ समारोह का आयोजन करता है। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ (WHO) और अन्य स्वास्थ्य संस्थाएं भी थैलेसीमिया रोग से पीड़ित रोगियों के मूल अधिकारों का ध्यान रखती हैं।हम आपको थैलेसीमिया दिवस के मौके पर बताते हैं कि थैलेसीमिया रोग क्या है और इससे बचने के लिए हमे क्या खास कदम उठाने चाहिए।
थैलेसीमिया रोग क्या है? (What Is Thalassemia Disease)
थैलेसीमिया (Thalassemia) एक प्रकार का रक्त विकार है जिसकी वजह से आपके शरीर में सामान्य से काफी कम हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) होता है। आपके शरीर में हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स को ऑक्सीजन ले जाने में सक्षम बनाता है। थैलेसीमिया एनीमिया का कारण बन सकता है, जिसके कारण आपको काफी ज्यादा थकान हो सकती है। अगर आपको हल्का थैलेसीमिया है, तो ऐसे में आपको जरूरी नहीं कि इलाज कराना होगा। लेकिन अगर ये समस्या गंभीर रूपों में होती है तो इससे आपको भी गंभीर होने की जरूरत है। थैलेसीमिया से होने वाली थकान से निपटने के लिए कुछ खास कदम उठा सकते हैं, जैसे कि एक स्वस्थ आहार चुनना और नियमित रूप से व्यायाम करना।
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थैलेसीमिया के लक्षण (Symtoms of Thalassemia)
थैलेसीमिया के लक्षण अलग-अलग प्रकार के होते हैं इन्हें अचानक से पहचानना काफी मुश्किल हो सकता है। लेकिन अगर आपको इसके लक्षणों के बारे में सही जानकारी होगी तो आप तुरंत इस रोग को पहचान सकते हैं और इसका इलाज करा सकते हैं। थैलेसीमिया के लक्षण पहचानने के बाद आप डॉक्टर से इस बारे में संपर्क करें और डॉक्टर की ओर से बताए गई डाइट और दवाओं का पालन करें। जिससे की आप थैलेसीमिया के गंभीर स्थिति से बचने में कामयाब हो सकें। इसे मुख्य लक्षण:
- बहुत ज्यादा थकावट होना।
- कमजोरी महसूस होना।
- त्वचा का पीला पड़ना।
- शरीर का धीरे-धीरे विकसित होना।
- पेट में सूजन आना।
- गहरा पेशाब।
कुछ बच्चों में इसके संकेत और लक्षण जन्म के समय ही दिखाई देते हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग जिनके पास सिर्फ एक हीमोग्लोबिन जीन होता है, उनमें थैलेसीमिया (Thalassemia) के लक्षण नहीं होते हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
जैसा कि हमने आपको बताया कि अगर आपको हल्का थैलेसीमिया की समस्या है तो ऐसे में आपको इलाज की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इस स्थिति में तो आप अपने खानपान को बेहतर बनाकर जल्द स्वस्थ हो सकते हैं और थैलेसीमिया से दूर हो सकते हैं। लेकिन अगर आपको थैलेसीमिया गंभीर नजर आ रहा है तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इससे संबंधित जांच करानी चाहिए। इसको पहचानने के लिए आप इसके लक्षणों पर नजर रख सकते हैं।
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थैलेसीमिया किस कारण होता है? (Causes Of Thalassemia)
थैलेसीमिया (Thalassemia) कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव के कारण होता है जो आपके शरीर में रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन पहुंचाता है। वहीं, थैलेसीमिया होने का एक कारण जेनेटिक भी है, यानी ये आपके माता-पिता से भी आपके अंदर आ सकता है। हीमोग्लोबिन(Hemoglobin) अल्फा और बीटा चेन नामक श्रृंखलाओं से बने होते हैं जो बदलाव के कारण होते हैं। इसके बचने के लिए हमे सही आहार लेने की जरूरत होती है जिसमें पूरी तरह से सभी पोषक तत्वों को शामिल किया गया है। खानपान के जरिए इससे बचा जा सकता है।
थैलेसीमिया का खतरा (Who is at risk of Thalassemia)
- थैलेसीमिया का खतरा उन लोगों को ज्यादा हो जाता है जिन लोगों के परिवार में किसी को पहले इस रोग का शिकार होना पड़ा हो। थैलेसीमिया एक जेनेटिक रोग है जो माता-पिता के जरिए बच्चे में भी आसानी से आ सकता है। इसलिए अगर आपके परिवार में किसी को इस रोग का शिकार होना पड़ा है तो आप भी अपनी जांच जरूर कराएं।
- थैलेसीमिया अफ्रीकी अमेरिकियों और भूमध्यसागरीय और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के लोगों में सबसे अधिक बार होता है और लोग आसानी से इसका शिकार हो जाते हैं।
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थैलेसीमिया से बचाव (Preventions of Thalassemia)
- कई बार थैलेसीमिया इतना गंभीर हो जाता है कि इसमें आप कोई बचाव नहीं कर सकते हैं। अगर आपको थैलेसीमिया रोग है या अगर आपके शरीर में थैलेसीमिया जीन है, तो आपको तुरंत इससे संबंधित जांच करानी चाहिए। जिससे कि किसी भी गंभीर स्थिति से आसानी से बचा जा सके।
- गर्भावस्था के दौरान करीब 8 से 11 हफ्ते में ही अपने डीएनए की जांच करवा लें, इससे अगर आपको थैलेसीमिया की समस्या होती भी है तो इलाज कर उसे ठीक किया जा सकता है।
- बच्चा होने के बाद उसका भी सही तरीके से ब्लड टेस्ट करवाएं।
- थैलेसीमिया से बचने के लिए माता-पिता को समय-समय पर ब्लड टेस्ट करवाते रहना चाहिए।
- शादी से पहले लड़का-लड़की का ब्लड टेस्ट जरूरी।
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