
बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए जन्म के बाद समय-समय पर उनका टीकाकरण कराना जरूरी है। टीकाकरण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 24 से 30 अप्रैल को विश्व टीकाकरण सप्ताह (World Immunization Week) के रूप में मनाया जाता है। ये टीके बच्च
बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए जन्म के बाद समय-समय पर उनका टीकाकरण कराना जरूरी है। टीकाकरण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 24 से 30 अप्रैल को विश्व टीकाकरण सप्ताह (World Immunization Week) के रूप में मनाया जाता है। ये टीके बच्चों को न सिर्फ जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं।
हमारे देश में ऐसे बहुत सारे इलाके हैं, जहां सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालों की सुविधा उपलब्ध नहीं है। दूर-दराज के इलाकों में लोग स्वास्थ्य के प्रति इतने जागरूक भी नहीं हैं, कि वो स्वयं अपने बच्चों को अस्पताल ले जाकर टीका लगवाएं। इसके लिए आशा, आंगनबाड़ी और लोकल हेल्थ वर्कर्स की मदद से लोगों को टीकाकरण के बारे में जागरूक किया जाता है और बच्चों को टीके लगाए जाते हैं। दूर-दराज के ऐसे इलाकों तक सही समय पर ये टीके पहुंच जाएं, इसके लिए अल्टरनेट वैक्सीन डिलीवरी सिस्टम (एवीडीएस) बनाया गया है। आज हम आपको बता रहे हैं मध्यप्रदेश के बरवानी और अलीराजपुर जिलों में कुछ ऐसे हेल्थ वर्कर्स की कहानी, जो आने पीढ़ियों को स्वस्थ और सुरक्षित जीवन देने के लिए इन इलाकों में विपरीत परिस्थितियों के बाद भी टीके पहुंचा रहे हैं।
आसान नहीं है इन इलाकों में वैक्सीन की सप्लाई
दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन पहुंचाना आसान नहीं होता है। मध्य प्रदेश के बरवानी और अलीराजपुर ऐसे ही इलाके हैं। पहाड़ियों पर बसे छोटे-छोटे गांवों में पहुंचने के लिए पहले नाव का सफर, इसके बाद ऊंचे-नीचे पथरीले रास्तों पर बाइक या पैदल सफर करके ही यहां तक पहुंचा जा सकता है। इन इलाकों में वैक्सीन पहुंचाने के लिए एवीडीएस के कर्मचारियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ये गांव छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बसे हैं। एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचने के लिए कई पहाड़ियों पर चढ़ना-उतरना पड़ता है। ऐसे में एवीडीएस कर्मचारियों रूट मैप के सहारे इन इलाकों तक पहुंचते हैं। इन इलाकों में रास्ते इतने दुर्गम हैं कि सिर्फ मोटर साइकिल से ही सफर किया जा सकता है।
कौन हैं 'मेन इन पिंक'
मध्य प्रदेश के ऐसे मुश्किल इलाके जहां स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना एक चुनौती से कम नहीं था, वहां जिला प्रशासन ने सभी बच्चों तक जरूरी वैक्सीन पहुंचाने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है। इस इलाके में काम करने वाले एवीडीएस कर्मचारियों को 'मेन इन पिंक' के नाम से जाना जाता है। इसका कारण यह है कि लोगों को जागरूक करने के लिए और उन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ये कर्मचारी वहां गुलाबी शर्ट पहनकर जाते हैं। गुलाबी शर्ट वाले इन जोश से भरे कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश में 100% टीकाकरण के मिशन इंद्रधनुष को काफी मदद दी है।
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वैक्सीन को टूटने से बचाने की जिम्मेदारी
ऊंचे-नीचे पथरीले रास्तों में एक समस्या यह भी है कि बाइक चलाते हुए इतने झटके लगते हैं कि वैक्सीन टूट सकती हैं। इन्हें टूटने से बचाने के लिए इन इलाकों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी बाइक की दोनों तरफ धातु से बने बॉक्स लगाए हैं। धातु से बने ये बॉक्स वैक्सीन को टूटने से बचाने के अलावा, तेज गर्मी और धूप से भी बचाते हैं।
कुल्फी बेचने वाले गंगा प्रसाद
इस इलाके में पिछले 5 सालों से काम करने वाले गंगा प्राद आज हजारों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। गंगा प्रसाद इसी इलाके में पहले कुल्फी बेचा करते थे। पिछले 3 सालों से वे एवीडी टीम के साथ जुड़कर गांवों में टीके पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने इन इलाकों में रहने वाले लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक करने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है। वे जब भी यहां वैक्सीन लेकर जाते हैं, तो गुलाबी शर्ट पहनकर जाते हैं। गंगा लोगों को टीकाकरण के महत्व के बारे में जानकारी देते हैं और सही समय पर सभी गांवों में टीका पहुंचाने का भी काम करते हैं। मोटर साइकिल पर गांवों और टोले में घूम-घूम कर वैक्सीन पहुंचाने और लोगों को जागरूक करने का काम अब इन्हें अच्छा लगने लगा है।
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गंगा प्रसाद इस इलाके में अपनी लोक गायकी के लिेए भी प्रसिद्ध हैं। गंगा इन इलाकों को अच्छी तरह समझते हैं इसलिए जिला प्रशासन ने उनकी समझदारी और टैलेंट का इस्तेमाल करते हुए, उन्हें इन इलाकों में वैक्सीन पहुंचाने का काम सौंपा है।
पहले शर्माते थे गंगा प्रसाद
गंगा प्रसाद को शुरुआत में ये काम अच्छा नहीं लगता था। लेकिन सुपरवाइजर श्री जितेंद्र के समझाने और मनाने के बाद गंगा इस काम को करने के लिए तैयार हो गए। अब गंगा को सभी वैक्सीन्स की पहचान भी हो गई है और वो गांवों में जाकर लोगों को इस बात के लिए जागरूक भी करने लगे हैं कि बच्चों के लिए टीकाकरण क्यों जरूरी है। पिछले 3 सालों में गंगा प्रसाद की अथक मेहनत और जोश के कारण इन इलाकों में टीकाकरण का काम बहुत आसान हो गया है।
गंगा प्रसाद अपनी गायन की कला का भी टीकाकरण को बढ़ावा देने में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने लोकल भाषा में ऐसे कई गीत रचे हैं, जिनमें टीकाकरण की जरूरत और महत्व के बारे में बताया गया है। गंगा अपने इसी जज्बे के कारण इलाके भर में मशहूर हो गए हैं। गंगा प्रसाद जैसे लोगों के कारण ही सरकार ने इन दूर-दराज के मुश्किल इलाकों में भी 100% टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है।
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