बच्चों के शरीर मे रोग प्रतिरक्षण के लिये टीके लगवाना बेहद जरूरी होता है, जिससे बच्चों के शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। टीकाकरण से बच्चों मे कई सक्रांमक बीमारियों की भी रोकथाम होती है। छः गंभीर जानलेवा संक्रामक बीमारियों जैसे खसरा, टेटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलघोंटू, काली खांसी तथा हेपेटाईटिस बी से बचाव के लिए अपने बच्चों को सही समय पर टीके जरूर लगवाने चाहिये।
क्या सर्दी-जुकाम के दौरान टीका लगवाएं?
जुकाम होने पर कई बार डॉक्टर टीका लगने से मना कर देते हैं इसलिए ऐसी स्थिति आने पर एक बार चिकित्सक से जरूर पूछ लें। आमतौर पर बच्चों को जुकाम-बुखार की समस्या होती ही रहती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। लेकिन अगर शिशु का बुखार 2 दिन तक ठीक न हो, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
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क्यों जरूरी है टीकाकरण
गर्भावस्था के पहले और इसके दौरान टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण होता है। कुछ संक्रमण ऐसी बीमारियां पैदा करते हैं जो गर्भवती व शिशु दोनों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कोई भी टीका चिकित्सक की परामर्श के बिना न लें। गर्भधारण करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें। महिला व शिशु स्वस्थ रहें, इसके लिए गर्भधारण करने से पहले कुछ टीके आवश्यक होते हैं, नहीं तो जटिलताएं हो सकती हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं को भी टेटनस के टीके लगाकर उन्हें व नवजात शिशुओं को टेटनस से बचाया जाता है।
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शिशु का पहला टीका
बच्चे को जन्म के बाद लगने वाला पहला टीका बीसीजी का होता है जो कि बच्चे के जन्म से लेकर दो सप्ताह तक के बीच लगा देना चाहिए। हालांकि डॉक्टर्स नवजात के लिए मां के दूध को पहला टीका मानते हैं। उनके हिसाब से नवजात को पैदा होने के बाद जितनी जल्दी मां का दूध पिलाया जाएगा, बच्चा उतना ही रोगों से दूर रहेगा। दरसअल, मां का दूध एंटीबायोटिक का काम करता है। यदि आप चाहते हैं कि नवजात को किसी तरह का कोई संक्रमण ना हो तो आपको नवजात को पैदा होने के आधे घंटे के भीतर ही मां का दूध पिला देना चाहिए।
जरूरी है शिशु की मालिश
शिशु के जन्म के 20 दिन बाद से ही मालिश शुरू करनी चाहिए। ध्यान रहे मालिश हल्के हाथों से और कोमलता से करनी चाहिए। तेज मालिश करने पर शिशु की मांसपेशियां खिंच सकती हैं और उसकी मुलायम हडि्डयां भी टूट सकती है। सर्दी के मौसम में शिशु की मालिश उसे धूप में लिटाकर करनी चाहिए, ताकि उनके शरीर को विटामिन डी मिल सके। डॉक्टर की सलाह पर मालिश के लिए विटामिन 'डी' और 'ई' युक्त तेल का ही प्रयोग करें।
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शिशु के लिए जरूरी हैं ये टीके
- गर्भवती महिला एंव गर्भ मे पल रहे शिशु को टिटेनस की बीमारी से बचाने के लियेटिटेनसटाक्साइड 1 / बूस्टर टीका द्वितीय टीका एक महिने के अंतर पर लगवाएं। लेकिन यदि पिछले तीन वर्ष मे दो टीके लगे हों तो केवल एक टीका लगवा लेना ही काफी होता है।
- पोलियो वेक्सीन अर्थात पोलियो का टीका पोलियो नामक बीमारी (जिसमें बच्चे अपंग हो जाते हैं) से सुरक्षा प्रदान करता है। ये टीका भी बच्चों को अनिवार्य रूप से दिया जाता है।
- बच्चे को टी.बी से प्रतिरक्षण के लिए अनिवार्य रूप से बी सी जी का टीका दिया जाता है। बी.सी.जी. का टीका लग जाने पर यह शिशु को टी.बी की बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है।
- हीपेटाटिस बी वायरस के संक्रमण से लीवर की सूजन आ जाती है, पीलिया हो जाता है व लंबे समय तक संक्रमण के बाद लीवर कैंसर का भी खतरा हो सकता है। हिपेटाइटिस बी का यह टीका हिपेटाइटिस बी के संक्रमण से बचाव करता है।
- डीपीटी (डीटीपी और DTwP) संयोजित टीकों की एक श्रेणी होती है, जो इंसानो को होने वाले तीन संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए दिए जाते हैं। यह टीका डिप्थीरिया (गलघोटू), कुकर खांसी व टिटनेस जैसे गंभीर संक्रमणों से बचाव करता है।
- हिब वेक्सीन का टीका बच्चों को गलघोटू, काली खांसी, टेटनस, हेपेटाइटिस-बी और एच इन्फलांजी-बी से सुरक्षित करता है। यह वेक्सीन नवजात टीकाकरण के अंतर्गत दी जाती है। हिब बेक्टीरिया के संक्रमण से न्यूयोनिया एवं मष्तिष्क ज्वर (मेनिनजाइटिस) जैसी घातक स्थिति हो सकती हैं