
ब्रेन ट्यूमर, भारत में हो रहीं मौतों का दसवां सबसे बड़ा कारण है। इस घातक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे (World Brain Tumor Day) मनाया जाता है। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रेजिस्ट्रीज (आईएआरसी) द्वारा निकाली गई ग्लोबोकैन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, हर साल ब्रेन ट्यूमर के लगभग 28,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं। इस घातक कैंसर के हर साल लगभग 24000 लोगों की मौत होती है। मस्तिष्क में मौजूद कोशिकाएं जब खराब होने लगती हैं तो बाद में जाकर ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। ये ट्यूमर कैंसर वाला या बिना कैंसर वाला हो सकता है। जब कैंसर विकसित होता है तो यह मस्तिष्क में गहरा दबाव डालता है, जिससे ब्रेन डैमेज होने के साथ मरीज की जान तक जा सकती है। सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली के न्यूरोसर्जरी सलाहकार डॉक्टर पुनीत गुलाटी बता रहे हैं ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, खतरों और सर्जरी द्वारा इलाज के बारे में।
ब्रेन ट्यूमर होने पर दिखते हैं ये लक्षण (Brain Tumor Symptoms)
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और संकेत ट्यूमर के आकार और जगह पर निर्भर करते हैं। कुछ लक्षण सीधा ब्रेन टिशू को प्रभावित करते हैं जबकी कुछ लक्षण मस्तिष्क में दबाव डालते हैं। ब्रेन ट्यूमर के मुख्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सिरदर्द (सुबह के दौरान गंभीर हो जाता है)
- उल्टियां
- धुंधला दिखाई देना
- मानसिक स्वभाव में बदलाव
- मस्तिष्क में झटकों का एहसास
- हाथों-पैरों या चेहरे में कमजोरी
- मूवमेंट में मुश्किल आना
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दो प्रकार के होते हैं ब्रेन ट्यूमर (Two Types of Brain Tumor)
ब्रेन ट्यूमर को प्राइमरी और सेकंडरी तौर पर विभाजित किया जाता है। प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वह है, जो मस्तिष्क में ही होता है। उनमें से कुछ ट्यूमर कैंसर का रूप नहीं लेते हैं। सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर को मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। यह ट्यूमर तब होता है जब कैंसर की कोशिकाएं स्तन या फेफड़ों आदि जैसे अन्य अंगों से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंच जाती हैं।
प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर: प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर या तो सीधा मस्तिष्क में विकसित होते हैं या निम्नलिखित प्रकार से विकसत होती हैं।
- मस्तिष्क की कोशिकाएं जैसे कि ग्लाइओमा
- नर्व सेल्स जैसे कि शवॉलोमा
- मस्तिष्क की परतें जैसे कि मेनिंग्योमा
- ग्लैंड्स जैसे कि पिट्यूटरी ग्लैंड
प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कैंसरस व नॉन-कैंसरस दोनो ही हो सकता है। ग्लाइओमा और मेनिंग्योमा व्यस्कों में होने वाले सबसे आम प्रकार के ब्रेन ट्यूमर हैं।
सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर: यह सबसे आम प्रकार का ब्रेन ट्यूमर माना जाता है। इस प्रकार के ट्यूमर हमेशा कैंसर वाले होते हैं क्योंकि ये शरीर के किसी भी अंग से होते हुए मस्तिष्क तक फैलने की क्षमता रखते हैं। उदाहरण:
- फेफड़ों का कैंसर
- स्तन कैंसर
- किडनी कैंसर
- त्वचा का कैंसर
ब्रेन ट्यूमर का खतरा कैसे लोगों में होता है?
एक हालिया अध्ययन के अनुसार, केवल 5-10 फीसदी कैंसर आनुवांशिक होते हैं। हालांकि, ट्यूमर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, लेकिन यदि आप बीमारी का पारिवारिक इतिहास रखते हैं, तो आपके लिए समय-समय पर हेल्थ स्क्रीनिंग और परामर्श लेना आवश्यक है। इसके अलावा उम्र एक दूसरा फैक्टर है। यह बीमारी 55 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अधिक होती है लेकिन ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहां 3 साल से 15 साल तक के बच्चे भी इसका शिकार हुए हैं। वहीं जो लोग रेडिएशन और केमिकल के एक्सपोजर में ज्यादा रहते हैं, उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने की संभावनाएं बहुत अधिक होती हैं।
ब्रेन मेटास्टेटिक का निदान
ब्रेन ट्यूमर का निदान टेस्ट के साथ शुरू किया जाता है, जहां पहले मरीज से यह पूछा जाता है कि उसका स्वास्थ्य हमेशा से कैसा रहा है। इस टेस्ट के बाद डॉक्टर कुछ अन्य जांचों की सलाह देता है जैसे:
मस्तिष्क का सीटी स्कैन: डॉक्टर इस स्कैन की मदद से मरीज के शरीर को अच्छे से जांच पाता है। सीटी स्कैन शरीर को समझने के लिए एक्स-रे से भी बेहतर विकल्प है।
मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई): एमआरआई पावरफुल चुंबक और रेडियो वेव्स की मदद से मस्तिष्क को साफ तौर पर देखने में मदद करता है। इंट्रावीनस कॉन्ट्रास्ट के साथ मिलकर यह एक बेहतरीन विकल्प बन जाता है, जो ट्यूमर की जगह, आकार, दबाव का प्रभाव और विशेषताओं के बारे में बताता है।
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ब्रेन ट्यूमर के इलाज में एंडोस्कोपिक सर्जरी कैसे बेहतर है?
एंडोस्कोपिक ब्रेन ट्यूमर सर्जरी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसकी मदद से न्यरोसर्जन मस्तिष्क की गहराई में विकसित हुए ट्यूमर का भी इलाज कर सकता है या फिर उसे नाक के जरिए ढूंढ सकता है।
इस प्रक्रिया के दौरान, एक या दो छोटे चीरे लगाकर उसमें पतली ट्यूब डाली जाती हैं, जिससे मस्तिष्क की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। इस ट्यूब को एंडोस्कोप कहते हैं जिसमें एक छोटा कैमरा फिट होता है। इसी कैमरे की मदद से न्यूरोसर्जन विकसित हुए ट्यूमर को देख पाता है। इस प्रक्रिया की मदद से मस्तिष्क के स्वस्थ हिस्से को बिना नुकसान पहुंचाए ब्रेन ट्यूमर को निकाल दिया जाता है।
शुरुआती इलाज से बाद की समस्याओं से बचा जा सकता है। इलाज में देरी से दिमाग के अंदर गंभीर दबाव पड़ने लगता है, इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही बीमारी का निदान व इलाज कराना आवश्यक है। सर्जन पिट्यूटरी ग्लैंड ट्यूमर, स्कल बोन ट्यूमर आदि के इलाज के लिए एंडोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल बहुत ही कम करते हैं। इलाज के बेहतर परिणामों के लिए एंडोस्कोपिक सर्जरी को रोबोटिक साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
(डॉक्टर पुनीत गुलाटी, न्यूरोसर्जरी सलाहकार, सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित)
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