वे लोग, जो दिन में 10 घंटे से ज्यादा काम करते हैं उनमें स्ट्रोक का खतरा दूसरों के मुकाबले अधिक होता है। एक अध्ययन में इस बात की जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं ने फ्रांसीसी लोगों के एक समूह पर किए अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों से यह निष्कर्ष निकाला है। इस अध्ययन में 143,592 लोगों को शामिल किया गया था, जिसकी शुरुआत 2012 में हुई थी।
अलग-अलग लोगों के साक्षात्कार में कार्डियोवास्कुलर जोखिम कारक और पिछले स्ट्रोक की घटनाओं को चिन्हित किया गया। जर्नल स्ट्रोक में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि प्रतिभागियों में से कुल 1,224 को स्ट्रोक का सामना करना पड़ा जबकि 29 प्रतिशत या 42,542 ने लंबे समय तक काम किया था।
अध्ययन के मुताबिक, करीब 10 फीसदी या 14,481 लोग 10 या उससे अधिक वर्षों से लगातार लंबी ड्यूटी करते आ रहे थे। इसके साथ ही वे लोग, जो ज्यादा देर तक काम करते हैं उनमें स्ट्रोक का खतरा 29 फीसदी ज्यादा होता है जबकि वे लोग जो 10 वर्षों या उससे अधिक समय से ज्यादा देर तक काम करते आ रहे हैं उनमें स्ट्रोक का जोखिम 45 फीसदी ज्यादा होता है।
ज्यादा देर काम करने को यहां साल में कम से कम 50 दिन 10 घंटे से ज्यादा काम करने के रूप में परिभाषित किया गया है। पार्ट टाइम वर्करों और वे लोग जिन्हें ज्यादा देर तक काम करने से पहले स्ट्रोक पड़ा था उन्हें अध्ययन से बाहर रखा गया है।
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फ्रांस स्थित पेरिस हॉस्पिटल एंड एंगर्स यूनिवर्सिटी की एक शोधकर्ता एलेक्सिस डेसकैथा ने कहा कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में 10 वर्षों से ज्यादा देर तक काम करने और स्ट्रोक होने की अधिक संभावना के बीच जुड़ाव पाया गया।
उन्होंने कहा, ''यह बहुत ही अप्रत्याशित था। इन निष्कर्षों का पता लगाने के लिए और अधिक अध्ययन करने की जरूरत है।''
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फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च से जुड़ी हुई एलेक्सिस ने कहा, ''मैं इस बात पर भी जोर देना चाहूंगी कि कई स्वास्थ्य सेवा प्रदाता लंबे समय तक काम करने की परिभाषा से बहुत अधिक काम करते हैं और इससे स्ट्रोक का खतरा भी हो सकता है।''
पिछले अध्ययनों में व्यापार मालिकों, सीईओ, किसानों, पेशेवरों और प्रबंधकों के बीच लंबे समय तक काम करने के प्रभावों को कम बताया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि इन समूहों में आमतौर पर मजदूरों या श्रमिकों के मुकाबले कम काम करना होता है और इनका काम ज्यादातर फैसला लेने का होता है। अन्य अध्ययनों में पाया गया है कि अनियमित शिफ्ट, रात के वक्त काम और नौकरी में तनाव अस्वास्थ्यकर काम की स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
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