क्या आप जानते हैं कि कुछ महिलाएं एक बच्चे को जन्म देने के बाद दोबारा मां नहीं बन पाती हैं? अगर आपको इसके पीछे का कारण पता नहीं है तो साइंस ने इसका कारण खोज निकाला है। जी हां, वे महिलाएं जो पहले बच्चे को जन्म दे चुकी हैं और डिप्रेशन, चिंता और सिजोफ्रेनिया जैसे साइक्रेटिक यानी की मनोविकार से गुजरती हैं उन्हें और बच्चे होने की संभावना काफी कम होती है। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। जर्नल ह्यूमन रिप्रोडक्शन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि 69 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती छह महीनों के भीतर प्रसवोत्तर मानसिक विकारों का अनुभव किया।
प्रसव के बाद डिप्रेशन होना समस्या
शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके विपरित 82 प्रतिशत माताओं ने मनोरोग संबंधी समस्याओं का अनुभव नहीं किया था। डेनमार्क की आरहूस यूनिवर्सिटी के पोस्ट-डॉक्टरल शोधकर्ता, जिआओकिन लियू ने कहा, "वे महिलाएं, जिनका गंभीर प्रसवोत्तर मानसिक विकारों का इतिहास रहा है, उनके लिए एक महत्वपूर्ण संदेश यह है कि इससे बचाव संभव है।"
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जोखिम को किया जा सकता है कम
लियू ने कहा कि हम सलाह देते हैं कि अगर मानसिक विकारों से ग्रस्त महिलाएं एक से ज्यादा बच्चें चाहती हैं तो उन्हें अपने परिवारिक डॉक्टर या मनोचिकित्सकों से मदद लेनी चाहिए ताकि उपचार की योजना तैयार की जा सके। योजना बनाने से उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा किया जा सकता है और मां व बच्चे को होने वाले जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
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पिछले कुछ शोध में सामने आया था कि कुल-मिलाकर करीब तीन फीसदी महिलाओं में ही प्रसव के बाद शुरुआती तीन महीने में साइक्रेटिक यानी की मनोविकार विकसित होना शुरू हो जाता है। ये विकार कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हुए हैं और आमतौर पर ये अन्य लोगों के साथ असामान्य विचारों, व्यवहारों और संबंधों का संयोजन होते हैं। अभी तक, इस पर बहुत कम शोध हुए हैं कि क्या यह महिलाओं की प्रजनन को भी प्रभावित करता है या नहीं।
19.5 साल चला ये अध्ययन
लियू ने कहा कि हम यह पता लगाना चाहते थे कि क्या प्रसवोत्तर मनोरोग से पीड़ित महिलाओं में दूसरा बच्चा होने की संभावना कम है। शोधकर्ताओं ने डेनमार्क में 1997 से लेकर 2015 के बीच जन्म देने वाली 414,571 महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने अगले 19.5 साल तक इन महिलाओं के डेटा को फॉलो किया और अगले जन्म, प्रवास, मृत्यु, 45 वें जन्मदिन या जून 2016 तक, जो भी पहले हुआ है उसका अनुसरण किया।
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शोधकर्ताओं ने प्रसवोत्तर मनोचिकित्सा विकारों वाली महिलाओं की पहचान की, जिन्हें अपने पहले बच्चे के जन्म के छह महीने के दौरान मनोरोग संबंधी दवाएं लेने के लिए कहा गया या फि वे पहले मनोरोग संबंधी विकारों के लिए अस्पताल से संपर्क कर चुकी थीं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि कुल 4,327 महिलाओं ने पहले बच्चे के जन्म के बाद मानसिक विकारों का अनुभव किया। उन्होंने कहा कि ये महिलाएं मानसिक विकारों का अनुभव नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में एक तिहाई कम थी, जिन्होंने दूसरे बच्चे को जन्म दिया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर पहले बच्चे की मृत्यु हो गई हो तो बाद में जीवित जन्म दर का अंतर समाप्त हो जाता है।
हालांकि, अगर मनोरोग संबंधी समस्या के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, तो महिला को दूसरी संतान की संभावना लगभग आधी हो जाती है और इस मामले में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पहला बच्चा जिंदा है या भी नहीं।
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