महिलाओं में मेनोपॉज के बाद क्यों बढ़ जाता है ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा?

पीरियड्स शुरू होने और बंद होने के दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों के कारण कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोअर्थराइटिस भी ऐसी ही समस्या है जिससे मेनोपॉज के बाद ढेर सारी महिलाएं प्रभावित होती हैं।
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महिलाओं में मेनोपॉज के बाद क्यों बढ़ जाता है ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा?


हर महिला को अपने जीवन में मेनोपॉज के दौर से गुजरना होता है। यह वो समय है जब महिलाओं में पीरियड्स बंद हो जाते हैं। यह 45-50 वर्ष की उम्र में होता है। कई महिलाओं को जानकारी के अभाव में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स शुरू होने और बंद होने के दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों के कारण कई तरह के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोअर्थराइटिस भी ऐसी ही समस्या है जिससे मेनोपॉज के बाद ढेर सारी महिलाएं प्रभावित होती हैं।

क्या होता है मेनोपॉज

मासिक धर्म या पीरियड्स के स्थायी रूप से बंद हो जाने को मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति कहते हैं। लड़कियों को 13 से 15 वर्ष की उम्र में मासिक धर्म प्रारंभ हो जाता है, जिसका अर्थ है कि लड़की गर्भधारण के योग्य हो चुकी है। इस समय से लेकर 45 से 50 वर्ष की आयु तक सामान्यतः हर 28-30 दिनों में मासिक धर्म होता है। इस तरह हर महीने में एक बार डिंबग्रंथि से एक डिंब परिपक्व होकर बाहर निकलता है। जब यही डिंब, डिंबवाहिका नली में शुक्राणु द्वारा संसेचित होता है, तो गर्भाशय में आकर गर्भ बन जाता है।

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ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा

बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। इस स्थिति को सहज मेडिकल की भाषा में ऑस्टियोअर्थराइटिस कहते हैं। ऑस्टियोअर्थराइटिस उम्रदराज लोगों को होती है। लेकिन अनियमित दिनचर्या और खानपान में पौष्टिक तत्‍वों की कमी के कारण यह युवाओं में भी देखी जा रही है। ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्‍या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है और इसके कारण महिलाओं को अधिक दर्द झेलना पड़ता है।

क्या हैं ऑस्टियोअर्थराइटिस के लक्षण

  • घुटनों में दर्द की शिकायत
  • घुटने को हिलाने-डुलाने में दिक्कत होना
  • शरीर में अकड़न महसूस होना
  • क्षतिग्रस्त जोड़ों का अपने आकार से बड़ा दिखना।
  • जोड़ों में तिरछापन
  • चाल में खराबी, यानी चलने-फिरने की क्षमता का कम होना

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ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचाव

ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचाव के लिए स्‍वस्‍थ आहार आपकी मदद कर सकता है। इसलिए आप किसी सुपरफूड की तलाश न करें, बल्कि नियमित आहार में ताजी, हरी और पत्‍तेदार सब्जियों के साथ दूध और दूध से बने आहार का सेवन करें। अगर आप मांसाहारी हैं तो मीट और मछली का सेवन कीजिए।
दो ग्‍लास दूध और एक कटोरी दही में लगभग 1000 मिली ग्राम कैल्शियम होता है। अगर आप रोज दूध पीती हैं और खाने में दही का सेवन करती हैं, तो इससे नियमित रूप से आपके शरीर की कैल्शियम की जरूरत पूरी होती है। अगर आपको दूध के उत्‍पाद खाने में समस्‍या होती है तो सोया से बने उत्‍पादों का सेवन कीजिए। इसके अलावा हरी पत्‍तेदार सब्‍जियों और मछली का सेवन करें। ये कैल्शियम के पूरक हैं। नियमित व्‍यायाम और आहार में पौष्टिक तत्‍वों को शामिल कर ऑस्टियोअर्थराइटिस से बचाव किया जा सकता है। इसके अलावा नियमित रूप से हड्डियों की जांच करवाते रहना चाहिए।

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