किसी अन्य बीमारी की तुलना में भारतीयों में हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। यह कोई सामान्य समस्या है या इसके लिए कोई विशेष कारण है, कि भारतीयों को हर्निया की शिकायत अधिक होती है।
हाल के वर्षों में भारतीय चिकित्सकों द्वारा किये गये शाधों की मानें तो उनके पास अन्य मामलों की तुलना में हर्निया के मरीज अधिक आये। इसका निष्कर्ष यही निकलता है कि भारतीय इस समस्या से अधिक ग्रस्त होते हैं। चिकित्सकों की मानें तो यह एक उभरती हुई समस्या और हर साल हजारों भारतीय इसकी चपेट में आते हैं। विस्तार से जानिये हार्निया की समस्या भारतीयों में अधिक क्यों होती है।
क्या है हर्निया
हर्निया एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के किसी अंग के अतिरिक्त विकास के कारण होती है, यानी अगर शरीर का कोई अंग अपनी सामान्य स्थिति से अधिक बढ़ जाये तो वह हर्निया है। यह व्यक्ति के शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन सामान्यतया पेट में होने वाली हर्निया सबसे सामान्य है। जब पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और इसके कारण आंतें बाहर निकल आने की समस्या होती है तब यह स्थिति पेट की हर्निया कहलाती है।
हर्निया जिस जगह पर होता है उस जगह पर एक उभार आ जाता है। अधिक समय तक खांसी या भारी सामान उठाने के कारण मांसपेशियों के कमजोर हो जाने की वजह से हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि हर्निया के कोई खास लक्षण नहीं होते, लेकिन इसके कारण उस अंग में सूजन और दर्द की शिकायत हो सकती है। इस प्रकार का दर्द खड़े होने, मांसपेशियों में खिंचाव होने या कुछ भारी सामान उठाने पर बढ़ सकता है।
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भारतीयों में इसका खतरा
भारत में अर्थराइटिस और कार्डियो संबंधित बीमारियों के उपचार के दौरान की जाने वाली सर्जरी की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले एक दशकों से भारतीय चिकित्सकों ने इस पर गहन अध्ययन किया। इसके लिए पूणे, नागपुर, सतारा, मुंबई, गडचिरोली, कोल्हापुर, सांगली जैसे शहरों में लगभग 400 से अधिक मरीजों पर अध्ययन किया। इस शोध के प्रमुख चिकित्सक शशांक शाह के अनुसार, ''इसमें शामिल किये गये लोगों में से 350 लोगों को सर्जरी की तुरंत आवश्यकता थी, ऐसे लोगों ने पेट से संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए या अन्य बीमारियों के लिए पहले भी सर्जरी करवाया है।''
इस अध्ययन में एक बात सामान्य निकली वो ये थी कि इसमें भाग लेने वाले 30 प्रतिशत मरीजों को पेट का हर्निया होने की संभावना अधिक थी। चिकित्सकों की मानें तो विभिन्न उपचारों के लिए की जाने वाली सर्जरी के कारण पेट और उसके आसपास के क्षेत्रों में ट्यूमर के होने की संभावना बढ़ जाती है और यही हर्निया का प्रमुख कारण भी बनती है।
इसके अलावा, भारतीयों की मांसपेशियां उतनी मजबूत नहीं होती हैं। जिसकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं उसे हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हर्निया होने की संभावना 25 प्रतिशत अधिक होती है। भारत में युवाओं में भी यह समस्या होती है और 10-12 प्रतिशत युवा पूरे देश में किसी न किसी प्रकार के हर्निया से ग्रस्त हैं।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ हर्निया के होने की संभावना भी बढ़ जाती है, और भारतीयों की सामान्य जीवन अवधि 70-80 साल है, उम्र के इस पड़ाव तक आते-आते कई बीमारियों के होने की संभावना अधिक होती है और इसमें हर्निया की समस्या प्रमुख है। इसी आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हर साल भारत में हर्निया के रोगियों की संख्यां लगातार बढ़ रही है।
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कैसे करें बचाव
अगर आपको पेट से संबंधित कोई समस्या है और आपने इसके लिए सर्जरी कराया तै हर्निया के होने की संभावना अधिक है, इसलिए इसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। हर्निया के कुछ प्रकार सिर से भी शुरू होते हैं, इसके लिए माइग्रेन और तनाव अधिक जिम्मेदार हैं। उन कार्यों से बचना चाहिए, जो हमारे पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालते हों। वजन को भी संतुलित रखें, कब्ज की समस्या है तो इसका तुरंत उपचार करायें।
स्वस्थ जीवनशैली और नियमित व्यायाम करके हर्निया की समस्या से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है। हालांकि हर्निया की समस्या उम्रदराज लोगों को अधिक होती है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसलिए अगर कोई समस्या हो तो चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
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