हर्निया ऐसी बीमारी है जो अंग के अतिरिक्त विकास के कारण उत्पन्न होती है, यानी अगर शरीर का कोई अंग अपनी सामान्य स्थिति से अधिक बढ़ जाये तो वह हर्निया है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। लेकिन पेट में होने वाली हर्निया सबसे सामान्य है।
जब पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और इसके कारण आंतें बाहर निकल आने की समस्या होती है तब यह स्थिति पेट की हर्निया कहलाती है। हर्निया जिस जगह पर होता है उस जगह पर एक उभार आ जाता है।
अधिक समय तक खांसी या भारी सामान उठाने के कारण मांसपेशियों के कमजोर हो जाने की वजह से हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि हर्निया के कोई खास लक्षण नहीं होते, लेकिन इसके कारण सूजन और दर्द की शिकायद हो सकती है। इस प्रकार का दर्द खड़े होने, मांसपेशियों में खिंचाव होने या कुछ भारी सामान उठाने पर बढ़ सकता है।
वेक्षण यानी इंग्वाइनल हर्निया
वेक्षण हर्निया अर्थात इंग्वाइनल हर्निया जांघों के जोड़ों में होता है। इस हर्निया में अंडकोष जांघ की पतली नली से अंडकोष में खिसक जाते हैं। ऐसा होने पर अंडकोष का आकार बढ़ जाता है। अंडकोष में सूजन के कारण हाइड्रोसिल और हर्निया में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। हर्निया का यह प्रकार पुरुषों में पाया जाता है। हर्निया के लगभग 70 प्रतिशत रोगियों को ये हर्निया ही होता है।
नाभि यानी अम्बिलिकल हर्निया
नाभि हर्निया अर्थात अम्बिलाइकल हर्निया, हर्निया का एक सामान्य रूप होता है। इस हर्निया में पेट की सबसे कमजोर मांसपेशी, हर्निया की थैली नाभि से बाहर निकल आती है। यह हर्निया कमजोर मांसपेशियों वाले या मोटे व्यक्तियों को अधिक होता है। हालांकि इसके कुल मामलों का 8-10 प्रतिशत ही होता है।
जघनास्थिक यानी फीमोरल हर्निया
यह हर्निया के कुल मामलों में से लगभग 20 प्रतिशत ही होता है। इस हर्निया में पेट के अंग जांघ के पैर में जाने वाली धमनी में मौजूद मुंह से बाहर निकल आते हैं। इस धमनी का काम पैर में खून की आपूर्ति करना होता है। फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है।
एपीगैस्ट्रिक हर्निया
जब वसा का एक छोट सा हिस्सा पेट की मंसपेशियों के बीच से निकलता है जो नाभि और उरोस्थि के बीच में होता है। यह हर्निया पुरुषों को अधिक होता है और इसकी चपेट में 30 से 50 उम्र के लोग अधिक आते हैं।
इसेंशियल हर्निया
आंत उस जगह से उभर कर आती है जहां पर पहले सर्जरी हो चुकी हो, इसमें त्वचा के ठीक होने के बाद भी अंदर की मांसपेशियां अलग-अलग खिंच जाती हैं जो हर्निया का कारण बनती हैं।
हर्निया होने पर इसका उपचार ऑपरेशन के जरिये होता है, ऑपरेशन के बाद मरीज को ठीक होने में 1 से 2 महीने का वक्त लगता है। एक बार उपचार के बाद यह समस्या दोबारा भी हो सकती है।
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