जवानी में अमूमन लोग स्वस्थ रहते हैं, लेकिन बुढ़ापा आने के साथ ही उनमें काम करने और चलने-फिरने की क्षमता कम हो जाती है। यही नहीं, उम्र बढ़ने के कारण लोगों में बीमारियां लगने का भी जोखिम बढ़ता है। इसलिए बुढ़ापे को लोग जिंदगी के एक खराब और पीड़ादायक दौर के रूप में देखते हैं। अक्सर आपने देखा होगा कि बुढ़ाे में लोगों के काम करने और चलने की गति धीमी पड़ने लगती है। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बाउल्डर के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक बूढ़े लोगों में युवाओं की तुलना में चलने-फिरने में ज्यादा एनर्जी लगती है, जिस कारण वे धीमी गति से चलते हैं।
क्या कहती है स्टडी?
शोधकर्ताओं ने स्टडी में 84 लोगों को शामिल किया, जिसमें एक तरफ 18 से लेकर 35 वर्ष के युवा थे तो दूसरी ओर 66 वर्ष से 87 वर्ष के बुजुर्ग लोग शामिल थे। इन सभी का स्वास्थ्य बेहतर था। स्टडी में भाग लेने वालों को एक तय सीमा पर पहुंचने के लिए कहा गया। जिसमें यह देखा गया कि युवाओं की तुलना में बुजुर्ग लोगों को तय सीमा तक पहुंचने के लिए ज्यादा एनर्जी खर्च करनी पड़ रही थी।
हो सकते हैं अन्य भी कारण
- शोधकर्ताओं ने स्टडी में पाया गया कि बुढ़ापे में चलने-फिरने की गति धीमी होने के पीछे अन्य कारण भी जिम्मेदार साबित हो सकते हैं।
- ऐसे में कई बार मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया धीमी होने के साथ ही साथ मसल मास कम होना भी जिम्मेदार हो सकता है।
- शरीर के अंगों का ठीक से काम नहीं करना और एनर्जी की कमी होने पर भी ऐसा हो सकता है।
- कई बार शरीर में हैप्पी हार्मोन्स की कमी होने पर भी यह स्थिति हो सकती है।
- शोधकर्ताओं ने पाया कि पार्किंसन रोग या फिर मल्टीपल स्क्लेरॉसिस के कारण भी बुजुर्गों में यह समस्या हो सकती है।
बुढ़ापे में एक्टिव कैसे रहें?
- बुढ़ापे में एक्टिव रहने के लिए अच्छी नींद और हेल्दी डाइट लें।
- ऐसे में स्ट्रेस लेने या फिर किसी बात को ज्यादा सोचने से बचें।
- इसके लिए आपको शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए।
- जितना हो सके उतना लोगों से मिलें।