शरीर का 'पावर हाउस' कहा जाता है माइटोकॉन्ड्रिया, जानें इसे कैसे स्वस्थ रख सकते हैं आप

अगर आपके शरीर में मौजूद माइटोकॉन्ड्रिया ठीक से फंक्शन न करें, तो आपका शरीर एनर्जी नहीं बना सकता है और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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शरीर का 'पावर हाउस' कहा जाता है माइटोकॉन्ड्रिया, जानें इसे कैसे स्वस्थ रख सकते हैं आप

हमारा शरीर कोशिकाओं (सेल्स) से मिलकर बना है। बहुत सारी सेल्स में छोटे-छोटे एनर्जी जेनेरेटर्स होते हैं, जिन्हें माइटोकॉन्ड्रिया कहा जाता है। हमारे शरीर में ये बड़ी संख्या में पाए जाते हैं और हमारे स्वास्थ्य में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये माइटोकॉन्ड्रिया हमारे भोजन की कैलोरीज का इस्तेमाल करके और ऑक्सीजन की मदद लेकर एडिनोसिन ट्राईफॉस्फेट (ATP) बनाते हैं, जो कि एनर्जी देने वाला केमिकल है। इसे आसान भाषा में समझें, तो माइटोकॉन्ड्रिया अगर ठीक से फंक्शन न करे, तो हमारे शरीर में ऊर्जा (एनर्जी) का उत्पादन प्रभावित होगा। माइटोकॉन्ड्रिया के ठीक से फंक्शन न करने के कारण व्यक्ति को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनके शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं-

  • अचानक वजन बढ़ने लगना
  • बालों का झड़ने लगना
  • हर समय थकान लगे रहना
  • बहुत ज्यादा आलस आना
  • ब्लड प्रेशर बढ़ जाना आदि

इसके अलावा माइटोकॉन्ड्रिया के ठीक से फंक्शन न कर पाने के कारण कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, जैसे- अल्जाइमर, पार्किंसंस, ऑटिज्म, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, क्रॉनिक फैटीग सिंड्रोम, डिमेशिया, डायबिटीज, माइग्रेन आदि। अगर आपके शरीर के माइटोकॉन्ड्रिया सही तरह से फंक्शन न करें, तो आप स्वस्थ नहीं रह सकते हैं, फिर भले ही आप इसके लिए कितनी ही तरह की दवाओं, सप्लीमेंट्स और फूड्स का सेवन कर लें।

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थकान है सबसे पहला लक्षण

चूंकि माइटोकॉन्ड्रिया के ठीक से फंक्शन न कर पाने के कारण बॉडी पर्याप्त मात्रा में एनर्जी नहीं बना पाता है, इसलिए इसकी गड़बड़ी होने पर सबसे पहला लक्षण थकान और आलस ही है। अक्सर लोग जब बहुत अधिक थक जाते हैं, तो चाय-कॉफी का सहारा लेकर अपनी एनर्जी को दोबारा पाने की कोशिश करते हैं। मगर इसका कारण यह भी हो सकता है कि आपके शरीर में मौजूद सेल्स के माइटोकॉन्ड्रिया के फंक्शन में कोई समस्या आ रही हो।

शरीर का पावर हाउस होते हैं माइटोकॉन्ड्रिया

माइटोकॉन्ड्रिया को शरीर का पावर हाउस कहा जाता है। इसका कारण यह है कि माइटोकॉन्ड्रिया के द्वारा बनाए गए एटीपी (ATP) यानी एडिनोसिन ट्राईफॉस्फेट की मदद से ही हमारे शरीर में एनर्जी आती है। इसी ATP के कारण हमारा जीवन और शरीर का फंक्शन संभव है। शरीर जितनी ज्यादा मात्रा में एटीपी मॉलीक्यूल बनाएगा, आप उतने ही ज्यादा एनर्जेटिक यानी ऊर्जावान महसूस करेंगे। इसलिए माइटोकॉन्ड्रिया को स्वस्थ रखना भी बेहद जरूरी है।

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माइटोकॉन्ड्रिया में गड़बड़ी के कारण

माइटोकॉन्ड्रिया के फंक्शन में गड़बड़ी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें ज्यादातर आपकी अपनी गलतियों के कारण होते हैं।

  • धूप में बहुत ज्यादा रहने से सेल्स का डीएनए डैमेज हो जाता है, जिसके फलस्वरूप माइटोकॉन्ड्रिया का फंक्शन भी गड़बड़ हो जाता है।
  • तंबाकू उत्पादों का सेवन करने और धूम्रपान करने से भी माइटोकॉन्ड्रिया का फंक्शन गड़बड़ होता है।
  • किसी तरह की मोटर स्किल डिस्फंक्शन वाली बीमारी होने या ऑटिज्म के कारण भी माइटोकॉन्ड्रिया डिस्फंक्शन हो सकता है।
  • टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के कारण भी ऐसा हो सकता है।
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माइटोकॉन्ड्रिया को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?

  • अपने खानपान में प्राकृतिक चीजें जैसे- ताजे फल, सब्जियां, नट्स, दालें, बीज, बीन्स और मोटे अनाज आदि को शामिल करें, क्योंकि ये सभी शरीर के सेल्स को स्वस्थ रखने और जरूरी पौष्टिक तत्व देने में मददगार होते हैं।
  • ओमेगा 3 वाले आहार जैसे- अलसी के बीज, अखरोट, मछली आदि का सेवन करें।
  • रेगुलर एक्सरसाइज करने की आदत डालें।
  • केल, ब्रोकली, गोभी, पत्तागोभी आदि का सेवन भी माइटोकॉन्ड्रिया को स्वस्थ रखने में मददगार होता है।
  • स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है अच्छी और पर्याप्त नींद।

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