रक्त में ब्लड शुगर का एक सामान्य स्तर होता है। ब्लड शुगर मुख्य रूप से खून में ग्लूकोज की मात्रा को कहा जाता है। इसके अलावा शरीर में कुछ अन्य प्रकार की शुगर भी होती हैं, जैसे फ्रकटोज और गेलेकटोज। खून में मौजूद ग्लूकोज शरीर में उर्जा का प्रमुख स्रोत होता है। इसके बिना सभी अंगों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन जब इस ग्लूकोज का स्तर काफी बढ़ जाता है तो डायबिटीज हो जाती है। डायबिटीज दो तरह की होती है। टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। आज हम आपको बताएंगे कि टाइप 1 और टाइप 2 में से कौन ज्यादा खतरनाक है।
क्या है टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं और इस तरह इंसुलिन का बनना सम्भव नहीं होता है। यह जनेटिक, ऑटो-इम्यून एवं कुछ वायरल संक्रमण के कारण होता है, इसके कारण ही बचपन में ही बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। यह बीमारी सामान्यतया 12 से 25 साल से कम अवस्था में देखने को मिलती है। स्वीडन और फिनलैण्ड में टाइप 1 डायबिटीज का प्रभाव अधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में 1% से 2% मामलों में ही टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होती है।
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टाइप 1 के लक्षण
टाइप 1 डायबिटीज में शुगर की मात्रा बढ़ने से मरीज को बार-बार पेशाब आता है, शरीर से अधिक तरल पदार्थ निकलने के कारण रोगी को को बहुत प्यास लगती है। इसके कारण शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है, रोगी कमजोरी महसूस करने लगता है, इसके अलावा दिल की धड़कन भी बहुत बढ़ जाती है।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त लोगों का ब्लड शुगर का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को अधिक प्यास लगती है, बार-बार मूत्र लगना और लगातार भूख लगना जैसी समस्यायें होती हैं। यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसे बच्चों में अधिक देखा जाता है। टाइप 2 मधुमेह में शरीर इंसुलिन का सही तरीके से प्रयोग नहीं कर पाता है। आपको बता दें कि टाइप 2 डायबिटीज ज्यादा खतरनाक होती है और ज्यादा लोगों को भी होती है।
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टाइप 2 के लक्षण
इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से थकान, कम दिखना और सिर दर्द जैसी समस्या होती है। चूंकि शरीर से तरल पदार्थ अधिक मात्रा में निकलता है इसकी वजह से रोगी को अधिक प्यास लगती है। कोई चोट या घाव लगने पर वह जल्दी ठीक नहीं होता है। डायबिटिज के लगातार अधिक बने रहने का प्रभाव आंखों की रोशनी पर पड़ता है, इसके कारण डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक बीमारी हो जाती है जिससे आंखों की रोशनी में कमी हो जाती है।
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