
ज्यादातर लोग नॉनअल्कोहलिक फैटी लिवर का शिकार हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि डायबिटीज होने पर फैटी लिवर की आशंका बढ़ जाती है।
जिस तेजी से लोगों में डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है, उसी तेजी से आजकल फैटी लिवर की समस्या भी बढ़ रही है। ज्यादातर लोग नॉनअल्कोहलिक फैटी लिवर का शिकार हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि डायबिटीज होने पर फैटी लिवर की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा फैटी लिवर का कारण लोगों की खराब लाइफस्टाइल और गलत खान-पान भी है। फैटी लिवर के कारण लिवर के टिश्यूज में सूजन आ जाती है या लिवर के आस-पास चर्बी जमा हो जाती है, जिससे लिवर को काम करने में परेशानी आती है। आइए आपको बताते हैं क्या है डायबिटीज और फैटी लिवर में संबंध।
डायबिटीज और फैटी लिवर में संबंध
लिवर सेल में वसा (फैट) का जमना ही फैटी लीवर है। इससे लीवर में सूजन या घाव की समस्या हो जाती है और लिवर धीरे-धीरे सख्त होने लगता है। अतः लीवर सही ढंग से काम करना बंद कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज है, तो उसके लिवर में वसा के जमने की आशंका ज्यादा हो जाती है। इसके साथ ही उस व्यक्ति के ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ने लगती है, जो दिल की बीमारी का खतरा पैदा कर सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक डायबिटीज का नियमित चेकअप करवाना बहुत जरूरी है। खासकर यदि आप टाइप 2 डायबिटीज के मरीज हैं तो अपने लीवर के प्रति सजग रहें। पाचन में समस्या, पेट में दर्द, पीलिया आदि होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यदि ऐसा न किया जाए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर का खतरा
शराब को फैटी लिवर की मुख्य वजह माना जाता है मगर लोगों में ओवरवेट, मोटापा और डायबिटीज की समस्या फैटी लीवर के सबसे बड़े कारक माने जाते हैं। ऐसे में अगर आप अल्कोहल नहीं ले रहे हैं और आपको इन तीनों में से कोई भी समस्या है तो आपको फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं करवाया गया तो ये सिरोसिस लिवर में बदल सकता है। ये लिवर डैमेज होने की अवस्था है। इस अवस्था में केवल लीवर ट्रांसप्लांट करके ही इस बीमारी से बचा जा बचता है। लिवर ट्रांसप्लांट काफी महंगा होता है और इसमें सबसे बड़ी समस्या लिवर डोनर को खोजने की रहती है। तो इससे बचने का अच्छा और सस्ता उपाय है अपनी लाइफ-स्टाइल और खान-पान में सुधार करें।
यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं तो स्वस्थ आहार, स्वस्थ जीवनशैली, नियमित एक्सरसाइज आदि तमाम चीजों के जरिये शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे फैटी लीवर की आशंका को भी कम किया जा सकता है। चूंकि कुछ दवाईयां और मेडिकल स्थिति भी फैटी लीवर के लिए जिम्मेदार मानी जाती हैं तो ऐसे में जरूरी है कि डाक्टर से सीधे संपर्क किया जाए।
फैटी लिवर के लक्षण
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर के सामान्य तौर पर कोई बाहरी लक्षण नहीं दिखते। लेकिन आपको ये 3 बातें महसूस हों, तो सावधान हो जाएं।
- थकान
- दायें एब्डोमन के ऊपरी हिस्से में दर्द
- वजन में गिरावट
डायबिटीज के दौरान कैसे करें फैटी लिवर से बचाव
- शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
- अपना वजन कम करें।
- विशेषज्ञों की राय अनुसार ही आहार लें।
- प्रतिदिन कम से 30 मिनट तक व्यायाम आवश्यक तौर पर करें।
- जंक फूड्स से दूर रहें क्योंकि इनमें वसा ज्यादा होता है। आपके आहार में जितनी वसा होगी, फैटी लीवर की आशंका उतनी ज्यादा होगी।
- अपने खानपान में फलाहार शामिल करें। प्राकृतिक एंटीआक्सीडेंट आपके स्वास्थ को लाभ पहुंचा सकती है।
- ऐसी दवाईयां न लें जो लिवर के नुकसानदेह हों। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी तमाम दवाईयां हैं जो लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। अतः संभव हो तो अपने डाक्टर से संपर्क करें।
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