डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके रोगी दिन-ब-दिन पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका कारण अनियमित जीवनशैली और अस्वस्थ खान-पान है। डायबिटीज के कारण ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है और कई तरह की शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि डायबिटीज आपके दिमाग पर भी बुरा असर डालती है और इसकी वजह से आप अपनी याददाश्त भी खो सकते हैं।
डायबिटीज और याददाश्त में संबंध
मस्तिष्क में होने वाली क्रियाएं पूरी तरह से ग्लूकोज पर आधारित होती है और मस्तिष्क में ग्लूकोज का सीमित होता है। मस्तिष्क सामान्य ढ़ंग से काम करता रहे इसके लिए खून से ग्लूकोज की निरंतर आपूर्ति मस्तिष्क को होती रहनी चाहिए। याददाश्त में कमी और दिमाग की प्रणाली में बाधा उच्च रक्त ग्लूकोज (हाइपरग्लाइसीमिया) और कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया) की अवधि के दौरान होती है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित रोगियों में याददाश्त संबंधी परेशानी पायी जाती है।
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क्या करता है डायबिटीज
मधुमेह रोगी में स्मृति हानि और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है। मधुमेह अवसाद और अल्जाइमर रोग से भी जुड़ा हुआ है। मधुमेह से ग्रसित लोगों की यददाश्त में कमी या खराब रक्त शर्करा (ग्लूकोज संबंधित स्मृति हानि) नियंत्रित होने के कारण होती है।
कैसे होता है याददाश्त पर असर
ब्लड-ब्रेन बैरियर दिमाग में ग्लूकोज सहित पोषक तत्वों के परिवहन को नियंत्रित करता है। अपर्याप्त रक्त या बहुत ज्यादा रक्त ग्लूकोज जब ब्लड-ब्रेन बैरियर तक पहुंचता है तो स्मृति हानि होने की आशंका रहती है। दिमाग की चयापचय दर उच्च होती है और इसे लगातार शुगर की आवश्यकता होती है। इससे न्यूरोट्रांसमिशन होता है, जो सीखने की क्षमता और याददाश्त को प्रभावित करता है। इस प्रणाली में किसी भी प्रकार की बाधा चीजों को याद करने की क्षमता में कमी का कारण बन सकती है। अनियंत्रित मधुमेह होने पर लंबे समय तक उच्च या निम्न रक्त शर्करा का स्तर हिप्पोकैम्पस की खराबी का कारण बनता है। जो कि एकाग्रता, ध्यान, स्मृति और सूचना संसाधन को प्रभावित कर सकते हैं।
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कैसे बचें इस स्थिति से
मधुमेह प्रबंधन (रक्त में शर्करा स्थिर रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम और एक स्वस्थ आहार लेना) से याददाश्त पर पड़ने वाले असर को रोका जा सकता है। कोर्टिसोल शरीर के लिए आवश्यक हार्मोन होता है और यह मधुमेह से जुड़ा हुआ होता है। कोर्टिसोल भी मानव स्मृति को प्रभावित कर सकता है। साथ ही खून में कोर्टिसोल की अधिकता और लंबे समय तक इसके स्तर में बढ़ोतरी से मस्तिष्क और स्मृति को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।
बच्चों में असर
मधुमेह दो प्रकार का होता हैं, टाइप 1 या जुविनाइल(अल्पायु) मधुमेह और टाइप 2 ऑन सैट (वयस्क शुरुआत वाला) मधुमेह। टाइप 2 डाइबटीज अक्सर जरूरत से ज्यादा मोटे लोगों को होता है। इन लोगों का शरीर इन्सुलीन के प्रति प्रक्रिया बंद कर देता है। जब यह मधुमेह आधिक वजन वाले बच्चों में होता है तो इसे जुविनाइल मधुमेह नहीं कहा जाता। आप नियमित व्यायाम और स्वस्थ भोजन कर मधुमेह के खतरे को कम कर सकते हैं। मधुमेह एक खतरनाक रोग है। इसमें नियमित व्यायाम और खान-पान का पूरा ध्यान रखना आश्यक होता है।
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