
डायबिटीज के मरीज अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि क्या इस रोग में गुड़ खाया जा सकता है या नहीं? आइये हम आपको बताते हैं कि डायबिटीज के दौरान गुड़ का सेवन कितना सुरक्षित या असुरक्षित है।
डायबिटीज के मरीजों की संख्या पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 38 करोड़ लोग इस रोग से प्रभावित हैं। डायबिटीज हो जाने पर मरीज को ढेर सारे परहेज करने पड़ते हैं। खासकर उन्हें मीठी चीजों को खाने की सख्त मनाही होती है। मीठा और नमकीन हमारी रोजमर्रा के जीवन का ऐसा हिस्सा हैं जिनके बिना जिंदगी बेस्वाद लगने लगती है। इसलिए परहेज के कारण लोग खाने-पीने के स्वस्थ विकल्प की तलाश करते हैं। डायबिटीज के मरीज अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि क्या इस रोग में गुड़ खाया जा सकता है या नहीं? आइये हम आपको बताते हैं कि डायबिटीज के दौरान गुड़ का सेवन कितना सुरक्षित या असुरक्षित है।
डायबिटीज में चीनी से क्यों है खतरा
हमारे शरीर को एनर्जी के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है और ये ग्लूकोज हमें आहार से मिलता है। शरीर में एक विशेष हार्मोन पाया जाता है, जिसे इंसुलिन कहते हैं। ये इंसुलिन शरीर के सभी अंगों तक ग्लूकोज को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डायबिटीज की स्थिति में शरीर सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाती है। इसकी वजह से ग्लूकोज खून में घुलने लगता है और ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। डायबिटीज का ठीक समय से इलाज न किया जाए, तो इसकी वजह से आंखों, किडनी और रक्तवाहिनियों को गंभीर खतरा होता है। इसके कारण दिल की बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है। चीनी या ज्यादातर मीठी चीजों में सुक्रोज की मात्रा बहुत होती है और इनके सेवन से ब्लड में ग्लूकोज का लेवल तेजी से बढ़ता है इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए चीनी के प्रयोग की सख्त मनाही होती है।
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गुड़ में क्या खास है
गुड़ का उपयोग आयुर्वेद में बहुत पुराने समय से दवा के रूप में किया जा रहा है। आयुर्वेद में गुड़ के जितने गुण बताए गए हैं उनके अनुसार ये मीठी चीजों का सबसे सुरक्षित और बेहतर विकल्प है। इसमें कई ऐसे एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाते हैं। इसकी प्रॉसेसिंग चीनी से कम होती है इसलिए इसका रंग भी भूरा होता है और इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे पोटैशियम, कैल्शियम और आयरन सुरक्षित रहते हैं। जिस तरह व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस को हेल्दी माना जाता है, व्हाइट ब्रेड की जगह ब्राउन ब्रेड को हेल्दी माना जाता है उसी तरह लोग समझ सकते हैं कि चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग सुरक्षित है। मगर आपको बता दें कि गुड़ के बहुत गुणकारी होने के बावजूद डायबिटीज के रोग में इसे चीनी तरह नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां तक कि आयुर्वेद में भी मधुमेह के लिए गुड़ को सुरक्षित नहीं माना गया है।
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क्या गुड़ खाने से शुगर लेवल कम रहता है
गुड़ पोषक तत्वों से भरपूर होने के बावजूद डायबिटीज के मरीजों के लिए सुरक्षित नहीं है। इसका कारण है कि इसमें सुक्रोज होता है। गुड़ शरीर में चीनी से धीरे घुलता है। धीरे घुलने के कारण गुड़ खाने से ब्लड में शुगर का लेवल कम तो रहता है लेकिन केवल कुछ समय तक ही। अगर डायबिटीज का एक मरीज गुड़ और एक मरीज चीनी एक ही समय पर खाते हैं तो एक घंटे बाद चीनी खाने वाले मरीज का ब्लड शुगर जितना होगा गुड़ खाने वाले मरीज का शुगर लेवल उससे कम होगा। जबकि लगभग दो घंटे बाद दोनों का शुगर लेवल बराबर हो जाएगा। गुड़ का प्रयोग डायबिटीज के मरीज के लिए इसलिए भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि डायबिटीज के मरीजों को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स खाने की सलाह दी जाती है जबकि गुड़ हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आहार है। गुड़ में 65 से 85 प्रतिशत तक सुक्रोज होता है।
गुड़ और चीनी, क्या है बेहतर
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपके लिए गुड़, चीनी, शहद तीनों ही असुरक्षित और खतरनाक हैं। अगर आप डायबिटीज के मरीज नहीं हैं तो आपके लिए गुड़ का प्रयोग हमेशा चीनी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है। गुड़ और चीनी में कैलोरीज की मात्रा में भी कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। लेकिन चीनी में सिर्फ कैलोरीज होती हैं जबकि गुड़ में कैलोरीज के अलावा भी ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। चीनी को क्रिस्टलाइजेशन विधि से बनाया जाता है इसीलिए इसमें मौजूद ज्यादातर पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं जबकि गुड़ में वे सभी तत्व मौजूद रहते हैं।
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