डायबिटीज में बढ़ जाता है हाइपोग्लाइसेमिक अटैक का खतरा, हो सकता है जानलेवा

डायबिटीज के मरीज को हाइपोग्लासेमिया का खतरा होता है। दरअसल हाइपोग्लाइसेमिया एक ऐसी स्टेज है जिसमें शरीर में ग्लूकोज का स्तर जरूरत से ज्यादा कम हो जाता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
डायबिटीज में बढ़ जाता है हाइपोग्लाइसेमिक अटैक का खतरा, हो सकता है जानलेवा


डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है जिससे विश्वभर में करोड़ों लोग ग्रस्त हैं और लाखों लोग हर साल अपनी जान गंवाते हैं। डायबिटीज मरीज के पूरे शरीर को प्रभावित करता है और इससे शरीर को कई अन्य रोगों का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि डायबिटीज से मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी से बीमारी है। आमतौर पर डायबिटीज की समस्या मेटाबॉलिज्म के कारण होती है। इस रोग के कारण कई हृदय रोगों जैसे हार्ट स्ट्रोक, हार्ट अटैक आदि का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज कई कारणों से होता है जैसे- मोटापा, ब्ल्ड प्रेशर और आलस आदि। इसके अलावा ये एक अनुवांशिक बीमारी है इसलिए मां-बाप से भी बच्चों को ये बीमारी लग सकती है।

क्या है हाइपोग्लाइसेमिक स्ट्रोक

डायबिटीज के मरीज को हाइपोग्लासेमिया का खतरा बहुत ज्यादा होता है। दरअसल हाइपोग्लाइसेमिया एक ऐसी स्टेज है जिसमें शरीर में ग्लूकोज का स्तर जरूरत से ज्यादा कम हो जाता है। शरीर में तेजी से ग्लूकोज का स्तर घटने के कारण हाइपोग्लाइसेमिक अटैक आ सकता है। कई बार ये स्थिति तब भी बन जाती है जब अत्यधिक मात्रा में एल्कोहल का सेवन किया जाता है क्योंकि एल्कोहल लिवर में ग्लूकोज के स्तर को बहुत कम कर देता है। हाइपोग्लाइसेमिया यानि खून में शुगर का लेवल का बहुत बढ़ जाना, डायबिटीज के मरीज के लिए एक सामान्य समस्या है जिससे अक्सर उसे दो-चार होना पड़ता है। शरीर में ग्लूकोज का स्तर ज्यादा घट जाने के कारण मरीज के दिल की धड़कन अचानक से बढ़ जाती है और उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। इसके अलावा हाइपोग्लासेमिया की स्थिति में भूख न लगना और ध्यान केंद्रित न हो पाने जैसी समस्या भी हो जाती है।

इसे भी पढ़ें:- जानिये डायबिटीज में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग कितना सुरक्षित है

डायबिटीज क्यों होती है

जब हम खाना खाते हैं तो खाने के साथ कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर में पहुंचता है। यही कार्बोहाइड्रेट पेट में जाकर ग्लूकोज में बदल जाते हैं। अब ग्लूकोज हमारे शरीर में मौजूद लाखों कोशिकाओं के जरिये शरीर के अंगों तक पहुंचता है। ये कोशिकाएं ग्लूकोज को जलाकर इससे अंगों को काम करने के लिए जरूरी ऊर्जी बनाती हैं। कार्बोहाइड्रेट से ग्लूकोज को अलग करने के लिए हमारे शरीर को एक हार्मोन की जरूरत पड़ती है जिसे इंसुलिन कहते हैं। ये शरीर में अग्नाशय द्वारा छोड़ा जाता है। हमारे शरीर में डायबिटीज इसी इंसुलिन की कमी के कारण होता है। डायबिटीज दो तरह का होता है, टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज।

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज

टाइप 1 डायबिटीज वो है जिसमें शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता और टाइप 2 डायबिटीज वो है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या बनाए गए इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इंसुलिन ही हमारी कोशिकाओं के सहारे ग्लूकोज को पूरे शरीर में पहुंचाता है। जब इंसुलिन नहीं बन पाता या कम बन पाता है तो ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता और खून में घुलता रहता है। इसी कारण खून में शुगर का लेवल बढ़ता जाता है। टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में चूंकि इंसुलिन बिल्कुल नहीं बन पाता इसलिए ऐसे मरीजों को इंजेक्शन से इंसुलिन की डोज दी जाती है। वहीं टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में बनने वाले इंसुलिन का सही तरह से इस्तेमाल नहीं हो पाता इसलिए इसके रोगियों का इलाज दवाओं और परहेज के माध्यम से किया जाता है।

इसे भी पढ़ें:- डायबिटीज में क्‍या खाएं क्‍या ना खाएं, जानें ये 10 टिप्‍स

हाइपोग्लाइसेमिया के लक्षण

हाइपोग्लाइसेमिया खतरनाक है क्योंकि इसके कारण मरीज के अंगों को काम करने के लिए पर्याप्त ग्लूकोज यानि ऊर्जा नहीं मिल पाता है। कई बार इसके कारण मरीज को बेहोशी भी आ सकती है। हाइपोग्लासेमिया का मुख्य लक्षण सिर में तेज दर्द के साथ चक्कर आना और मरीज के शरीर का ठंडा होने के साथ-साथ हल्का पीला होने लगना है। इसके अलावा मरीज के दिल की धड़कन सामान्य से ज्यादा तेज हो जाती है और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। हाइपोग्लाइसेमिया खतरनाक बीमारी है क्योंकि इसका समय से इलाज न किया जाए तो मरीज कोमा में जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Diabetes In Hindi

Read Next

डायबिटीज में वजन घटाने के लिए ऐसी रखें अपनी डाइट और एक्‍सरसाइज

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version