डायबिटीज की जांच के लिए जरूरी हैं ये 4 टेस्ट, जानें प्रक्रिया और जरूरी बातें

शुरुआती दौर में लक्षणों को देखकर डायबिटीज का पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं, जैसे- बार-बार पेशाब लगना, थकान होना, आलस लगना आदि। इसलिए डायबिटीज का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट बहुत जरूरी है।
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डायबिटीज की जांच के लिए जरूरी हैं ये 4 टेस्ट, जानें प्रक्रिया और जरूरी बातें


डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जिसके रोगियों की संख्या विश्व भर में बढ़ती जा रही है। आजकल असंयमित खानपान, मानसिक तनाव, मोटापा, व्यायाम का अभाव और कई बार अनुवांशिक कारणों से डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शुरुआती दौर में लक्षणों को देखकर डायबिटीज का पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं, जैसे- बार-बार पेशाब लगना, थकान होना, आलस लगना आदि। इसलिए डायबिटीज का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट बहुत जरूरी है। आइए आपको बताते हैं कि किन जांचों के द्वारा आप डायबिटीज का पता लगा सकते हैं।

क्या होता है डायबिटीज में

डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें ब्लड ग्लूकोज का लेवल सामान्य से ज्यादा हो जाता है। जिससे डायबिटीज रोगी को भोजन को ऊर्जा में बदलने में परेशानी होती है। सामान्यतः भोजन के बाद शरीर भोजन को ग्लूकोज में बदलता है जो रक्त कोशिकाओं के जरिये पूरे शरीर में जाता है। कोशिकाएं इंसुलिन का उपयोग करती है। यह एक हार्मोन है जो पेनक्रियाज में बनता है और ब्लड ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जब शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है, तो ऊर्जा में न बदल पाने के कारण ग्लूकोज ब्लड में घुलने लगता है। इसी अवस्था को डायबिटीज कहते हैं। डायबिटीज की जांच कई तरीके से की जा सकती है।

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ए1सी टेस्ट

आमतौर पर प्री डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का पता लगाने के लिए इस टेस्‍ट का इस्‍तेमाल किया जाता है। जबकि टाइप 1 डायबिटीज या गर्भावधि मधुमेह के लिए ए1सी टेस्‍ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ए1सी टेस्‍ट ब्लड शुगर में होने वाले रोज-रोज के उतार-चढ़ाव को नहीं बताता बल्कि पिछले 2-3 महीने में होने वाले उतार-चढ़ाव को बताता है। यह हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़े ग्लूकोज की मात्रा को भी नापता है। यह ट्रेडिशनल ग्लूकोज टेस्‍ट की तुलना में रोगियों के लिए अधिक सुविधाजनक होता है क्‍योंकि इसमें फास्टिंग की जरूरत नही होती है। इस टेस्‍ट को दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट ( एफपीजी)

फास्टिंग प्‍लाज्‍मा ग्‍लूकोज टेस्ट (एफपीजी) को ग्‍लूकोज फास्टिंग टेस्‍ट भी कहते हैं। यह टेस्‍ट बिना कुछ खाये-पिए सुबह के समय किया जाता है। टेस्‍ट से पहले फास्टिंग से ब्‍लड शुगर का सही स्‍तर पता करने में मदद मिलती हैं। यह टेस्‍ट बहुत ही सटीक, सस्‍ता और सुविधाजनक होता है। ग्‍लूकोज फास्टिंग टेस्‍ट प्री डायबिटीज और डायबिटीज का पता लगाने का सबसे लोकप्रिय टेस्‍ट है। हालांकि कई बार प्री डायबिटीज के मामले में इस टेस्ट से रिजल्ट नहीं मिलते हैं।

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ओरल ग्‍लूकोज टॉलरेंस टेस्‍ट

यह टेस्‍ट ऐसे व्यक्ति को करने के लिए कहा जाता है जिसको डायबिटीज का संदेह तो होता है परन्‍तु उसका एफपीजी टेस्‍ट ब्‍लड शुगर के स्‍तर को नॉर्मल दर्शाता है। ओरल ग्‍लूकोज टॉलरेंस टेस्‍ट को (ओजीटीटी) भी कहा जाता है। इस टेस्ट से करीब 2 घंटे पहले लगभग 75 ग्राम एनहाइड्रस ग्लुकोज़ को पानी में मिला कर पीना होता है तभी शुगर के सही लेवल की जांच की जा सकती है। ओजीटीटी टेस्‍ट करने के लिए कम से कम 8 से 12 घंटे पहले कुछ नही खाना होता है।

रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज (आरपीजी)

रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज (आरपीजी) टेस्‍ट का प्रयोग कभी कभी एक नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान पूर्व मधुमेह या मधुमेह का निदान करने के लिए किया जाता है। अगर आरपीजी 200 लिटर का दशमांश प्रति माइक्रोग्राम या उससे ऊपर दिखाता है तो  व्यक्ति में मधुमेह के लक्षणों का पता चलता है, तो चिकित्सक डायबिटीज का पता लगाने के लिए अन्‍य टेस्‍ट करता है।

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