
रक्त में शर्करा का (ब्लड शुगर) का एक सामान्य स्तर होता है। ब्लड शुगर मुख्य रूप से खून में ग्लुकोज की मात्रा को कहा जाता है। इसके अलावा शरीर में कुछ अन्य प्रकार की शुगर भी होती हैं, जैसे फ्रकटोज और गेलेकटोज। खून में मौजूद ग्लुकोज़, शरीर में, उर्जा का प्रमुख स्रोत होता है। इसके बिना सभी अंगों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। उदाहरण के लिये, जब किसी कारणवश दिल के रक्त प्रवाह में रुकावट आती है, तो उर्जा के कमी से दिल की धड़कन रुक सकती है। इसे दिल का दौरा या हार्ट अटैक कहा जाता है। जिसके कारण मरीज़ की मौत भी हो सकती है। इसलिए शरीर के सभी अंग और उनके सेल में हमेशा ग्लुकोज़ की ठीक सप्लाई बने रहना जीवन के लिये बेहद जरूरी है।
भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। डायबिटीज के मरीजों के मन में इस बीमारी को लेकर कई तरह के भ्रम पैदा हो जाते हैं और इस चक्कर में वे अपने स्वास्थ्य का ज्यादा नुकसान करते हैं। ऐसे ही कुछ भ्रमों पर एक खास नजर डालते हैं।
ज्यादा एक्सरसाइज नहीं कर सकते
डायबिटीज से पीड़ित लोग सोचते हैं कि वे ज्यादा एक्सरसाइज नहीं कर सकते क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो उनकी ब्लड शुगर कम हो जाएगी। जबकि विशेषज्ञ बताते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को एक्सरसाइज, इंसुलिन और आहार का संतुलन साधने की कोशिश करना चाहिए। फिर सही दवा लेते रहने पर कभी भी एक्सरसाइज की वजह से ब्लड शुगर कम नहीं होती है। डायबिटीज के नियंत्रण में एक्सरसाइज महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और यह वजन नियंत्रण में भी मददगार होती है।
शुगर लेवल का अंदाजा लगाना
अक्सर लोग अपनी शुगर लेवल का अंदाज ही लगाते रहते हैं। उन्हें लगता है कि जब भी उन्हें थोड़े चक्कर आ रहे हैं या घबराहट हो रही है तो उनकी ब्लड शुगर कम हो रही है लेकिन ऐसा नहीं है, कई बार बुखार में भी ये सभी लक्षण होते हैं। कई लोगों को लगता है कि वे इसलिए बार-बार पेशाब जा रहे हैं क्योंकि उनका शुगर लेवल ज्यादा है जबकि ऐसा ब्लैडर इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। जितना लंबे समय तक डायबिटीज रहती है उतना ही उसका अनुमान लगाना कठिन हो जाता है। इसलिए सबसे बेहतर तरीका है कि ब्लड शुगर की जांच कराई जाए।
इंसुलिन नहीं बनता
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उन्हें डायबिटीज है मतलब उनके शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन रही है जबकि टाइप-1 डायबिटीज के मामले में यह बात ठीक है जबकि पेंक्रियाज में इंसुलिन का निर्माण नहीं होता है। लेकिन जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज होती है उनके शरीर में इंसुलिन तो पर्याप्त बनती है, दिक्कत यह है कि इंसुलिन ठीक तरह से काम नहीं करती है। यहां इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं को भोजन से मिलने वाले ग्लूकोज के अवशोषण में मदद नहीं कर पाती है। समय के साथ पेंक्रियाज भी इंसुलिन बनाना बंद कर देता है तो उन्हें इंजेक्शन के सहारे इंसुलिन लेना पड़ता है।
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मीठा खाने से डायबिटीज होता है
अधिकतर लोग यह भी मानते हैं कि बहुत ज्यादा शकर या मीठी चीजें खाने से डायबिटीज होती है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब आप डायबिटीज के मुहाने पर खड़े हों। शकर युक्त चीजें ज्यादा खाने से सीधे डायबिटीज नहीं होती बल्कि वजन बढ़ने का खतरा होता है और बढ़ता वजन ही डायबिटीज का कारण बनता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए शकर नुकसानदायक है लेकिन वे सभी चीजें भी नुकसानदायक हैं जो शरीर में पहुंचकर जल्दी ही ग्लूकोज मुक्त करती हैं। इसमें प्लेन पास्ता, व्हाइट ब्रेड, नूडल्स और चावल शामिल हैं।
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