स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण हो सकता है। इसके लिए बेहतर खानपान के साथ अच्छी एक्सरसाइज की भी जरूरत पड़ती है। लेकिन काम को करने के लिए सजगता बहुत जरूरी है। फिट रहने के लिए अब लोग सजगता से कई सारे तरीकों को अपनाते हैं। इनमें से कुछ ज्यादा लाभदायक हो सकते हैं कुछ कम। इसी संदर्भ में जानिए कार्डियोवेस्क्युलर वर्कआउट के लिए आजकल आमतौर पर अपनाई जाने वाली ट्रेडमिल और इलिप्टिकल ट्रेनर को। फिटनेस ट्रेनर अनुशाल इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
इलिप्टिकल ट्रेनर
एक्स ट्रेनर और क्रॉस ट्रेनर के नाम से भी जानी जाने वाली यह मशीन लगभग साइकल की तरह ही एक मशीन है जो सीढ़ियां चढ़ने, चलने और दौड़ने जैसी कसरतें करवाने का साधन होती है, वह भी जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना। यह मुख्यत: दो प्रकार के स्वरूप, पीछे सीट के साथ तथा बीच में सीट के साथ (साइकल की तरह) होती है।
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ट्रेडमिल है जिम में प्रमुख
जिम में जाने के अलावा अब लोग निजी तौर पर भी इस मशीन का उपयोग करने लगे हैं लेकिन अक्सर इसे बिना सलाह, अपनी मर्जी से उपयोग में लाया जाता है जिसकी वजह से कई सारे गंभीर हादसे भी हो चुके हैं। यह मशीन एक ही जगह पर खड़े रहकर दौड़ने या चलने जैसी एक्सरसाइज करवाने का साधन बनती है। इसके भी कई प्रकार बाजार में मौजूद हैं।
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क्या है ज्यादा फायदेमंद?
ये दोनों ही मशीनें कार्डियोवेस्क्यूलर वर्कआउट के लिहाज से अच्छी मानी जाती हैं और इनसे एक साथ ढेर सारी कैलोरीज खर्च करने में मदद मिलती है। यह दोनों ही एरोबिक वर्कआउट का लाभ देती हैं। ट्रेडमिल और इलिप्टिकल ट्रेनर में तुलना करने पर विशेषज्ञ इलिप्टिकल ट्रेनर को ज्यादा फायदेमंद बताते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जिनमें प्रमुख हैं-
1. इलिप्टिकल ट्रेनर, ट्रेडमिल की तुलना में कूल्हों, घुटनों और कमर पर कम दबाव डालती है। जबकि ट्रेडमिल पर तेज चलने और इलिप्टिकल पर वर्कआउट करने में फोर्स समान लगता है। ऐसे में जोड़ों पर ज्यादा दबाव डाले बिना लगभग एक जैसे वर्कआउट का लाभ लिया जा सकता है।
2. ट्रेडमिल पर एक जैसी स्थिति में चलने या दौड़ने की बजाय ज्यादातर इलिप्टिकल ट्रेनर पर मौजूद हैंडल्स के कारण इलिप्टिकल पर एक साथ हाथ और पैर दोनों की एक्सरसाइज की जा सकती है, जो कि ट्रेडमिल पर संभव नहीं हो पाती। अधिकतर इलिप्टिकल मशीन्स में पैडल्स को रिवर्स चलाने की सुविधा भी होती है जिससे पिंडली और घुटनों के पीछे की नस की भी कसरत ज्यादा होती है और यह पैरों की सेहत के लिहाज से अच्छा होता है।
3. ट्रेडमिल पर या बगीचे में जॉगिंग करने की तुलना में इलिप्टिकल मशीन्स पर वर्कआउट करना ज्यादा लाभ दे सकता है।
4. अगर आप सही तरीके से इलिप्टिकल ट्रेनर का उपयोग कर रहे हैं तो ज्यादा लाभ उठा पाएंगे। इसके लिए अपने कंधों को पीछे की ओर रखें, न कि आगे झुकाएं, पेट की मसल्स को टाइट रखें और सिर को सामने की तरफ ऊंचा करके रखें।
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सलाह जरूर लें
चाहे ट्रेडमिल हो या इलिप्टिकल ट्रेनर, दोनों पर ही वर्कआउट करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। खासकर यदि आप किसी तरह की सर्जरी या पीड़ा से गुजरे हों तो।
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