वेंटिलेटर की एक मशीन है, जिसे मरीज का लाइफ सपोर्ट सिस्टम माना जाता है। वेंटिलेटर का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। लोगों के बीच ये धारणा है कि अगर मरीज को वेंटिलेटर पर रखा जाएगा तो उसका बचना मुश्किल होगा। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा जरूरी नहीं है। हालांकि ये सच है कि मरीज के गंभीर स्थिति में चले जाने के बाद वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन सर्जरी के बाद या अन्य स्थिति में भी वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत कब पड़ती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
किन मरीजों को वेंटिलेटर (Ventilator) की जरूरत पड़ती है?
- जिन मरीजों को आंशिक रूप से सांस लेने में परेशानी होती है उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
- जिन मरीजों के फेफड़ों तक सांस नहीं पहुंच पाती उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती हे।
- फेफड़ों ने अगर काम करना बंद कर दिया है, तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।
- ऑक्सीजन का सर्कुलेशन ठीक ढंग से न हो पाने के कारण वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
- हेड इंजरी, एक्सीडेंट, बड़े ऑपरेशन के बाद या दौरा पड़ने पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
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सर्जरी में भी पड़ती है वेंटिलेटर की जरूरत
जिन मरीजों को सर्जरी के लिए जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है उनका शरीर या शरीर का कोई अंग कुछ समय के लिए सुन्न कर दिया जाता है। कई बार इनमें वो मांसपेशियां भी शामिल होती हैं जिनकी मदद से हम सांस लेते हैं। एनेस्थीसिया का प्रभाव जब खत्म हो जाता है, तो वेंटिलेटर को समय के साथ हटा दिया जाता है। सर्जरी के अलावा गंभीर चोट लगने पर भी वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ गंभीर स्थिति में वेंटिलेटर हटाने से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
वेंटिलेटर का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
लाइफ सपोर्ट ब्रीदिंग मशीन का इस्तेमाल करने के लिए मरीज के मुंह, नाक या गले में छोटा चीरा लगाया जाता है। फिर अंदर से एक ट्यूब सांस की नली में डाली जाती है। इस ब्रीदिंग मशीन के लगाने से मरीज को सांस लेने में मदद मिलती है। जब डॉक्टर ट्यूब को मरीज के सांस लेने की नली में रखते हैं, तो उसे इंट्यूबेशन कहा जाता है।
वेंटिलेटर पर लंबे समय तक रहने वाले मरीजों की मांसपेशियां दवाओं के कारण कमजोर हो जाती हैं। वेंटिलेटर हटाने के बाद किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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