पिछले 2-3 सालों में कोरोना महामारी ने हर किसी के जीवन को प्रभावित किया है। इस महामारी के प्रकोप से अब बच्चे भी अछूते नहीं हैं। उनके लिए भी दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी अनिवार्य हो गया है। बल्कि अब हम ये कह सकते हैं कि बच्चों के लिए अब ये कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है क्योंकि कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में बच्चों को बहुत अधिक नुकसान नहीं हुआ। खासकर भारत में बच्चों के कोरोना इंफेक्टेड होने के कम मामले सामने आए और जो मामले हमें देखने को मिले, वे बेहद हल्के थे। बच्चों के लिए ये अधिक नुकसानदायक साबित नहीं हुए लेकिन अब एक्सपर्ट्स को इस बात का डर है कि लगातार आ रही कोरोना लहर कहीं बच्चों को अपना शिकार न बनाए क्योंकि अब तक हमारी एक बड़ी वयस्क आबादी को वैक्सीन दी जा चुकी है। हाल ही में 12 से अधिक उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा शुरू कर दी गई है लेकिन पेरेंट्स के मन में ये सवाल जरूर उठ रहे हैं कि क्या अब भारत को 12 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन देने के बारे में सोचना चाहिए और यह जरूरी क्यों है। इसके बारे में हमने विस्तार से बात की नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के पीडियाट्रीशियन और विभागाध्यक्ष डॉक्टर आशुतोष सिन्हा से।
क्या 12 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन देना चाहिए
12 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन देने के लिए अभी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि कई देशों ने अपने यहां छोटे बच्चों को कोरोना की वैक्सीन देना शुरू कर दिया है। ऐसे में भारत के लिए ये जरूरी है कि छोटे बच्चों की वैक्सीनेशन के बारे में विचार किया जाए। फिलहाल बच्चों में कोरोना के मामले बहुत अधिक गंभीर नहीं हैं लेकिन अगर आने वाली नयी लहर में बच्चों के लिए खतरा बढ़ता है, तो क्या हमारे पास बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय है? साथ ही अब बच्चों के स्कूल भी खुल गए हैं और सभी चीजें पूरी तरह से खुल गई हैं, तो कहीं न कहीं पेरेंट्स को इस बात की चिंता है कि बाहर जाने के कारण बच्चे संक्रमित न हो जाएं। बच्चों की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए भारत सरकार को उन्हें वैक्सीनेट करने पर जरूर विचार करना चाहिए ताकि स्कूल जाने वाले बच्चे और उनका भविष्य सुरक्षित रहे। डॉ आशुतोष के अनुसार हमें अब सबसे पहले शारीरिक रूप से कमजोर और गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों से जूझ रहे बच्चों को वैक्सीनेट करने की जरूरत है क्योंकि ये स्थिति उनके लिए अधिक खतरनाक हो सकती है। जबकि स्वस्थ और हेल्दी बच्चों को थोड़े समय बाद भी टीका दिया जा सकता है। हमारे सामने इसके कई उदाहरण हैं कि वैक्सीनेशन की मदद से गंभीर मामलों और मौत के आकड़ों को कम किया जा सकता है। इसलिए अब छोटे बच्चों को भी वैक्सीन देना बहुत जरूरी है।
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भारत में क्यों हो रही है देरी?
अभी हाल ही में भारत सरकार ने 12 से अधिक उम्र के बच्चों को वैक्सीन देना शुरू किया है। भारत में अभी छोटे बच्चों के लिए ट्रायल चल रहे हैं। ऐसे में जब तक इन ट्रायल्स के रिजल्ट्स सामने नहीं आ जाते हैं। छोटे बच्चों को वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू करना संभव नहीं है। हालांकि खबर ये भी आ रही है कि डीसीजीआई 5-12 साल के बच्चों के लिए कोर्बेवैक्स वैक्सीन देने को लेकर एक चर्चा करने वाली है लेकिन जब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आती है, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। लेकिन ये बात तय है कि जिस हिसाब से भारत में मामले बढ़ रहे हैं, हमें इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। भारत में बच्चों के वैक्सीनेशन में देरी का आबादी भी एक कारण हो सकता है लेकिन फिर भी भारत ने काफी तेजी से अपने वैक्सीनशेन ड्राइव को बढ़ा रहा है।
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क्या कोरोना की नयी लहर में बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए
कई पेरेंट्स के मन में ये सवाल और डर बना हुआ है कि क्या हमें अपने बच्चों को आने वाली लहर के दौरान स्कूल भेजना चाहिए। हालांकि पेरेंट्स का ये डर सही भी है लेकिन डॉक्टर के अनुसार अब बच्चों को स्कूल भेजना बहुत जरूरी है क्योंकि स्कूल न जाने पर उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर काफी असर पड़ रहा है। साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई और स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनमें आंखों से लेकर अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिली रही है। कई बच्चों में व्यवहारिक समस्याएं और डेवलेपमेंट प्रॉबल्म्स भी देखने को मिल रही हैं। इस स्थिति में पेरेंट्स बच्चे को स्कूल जरूर भेजें ताकि वह अपने दोस्तों से मिल सकें और अपनी पढ़ाई अच्छे से करें। साथ ही कोरोना के इस नए युग में खुद को धीरे-धीरे नॉर्मल कर सकें। इसके अलावा बच्चों की इम्यूनिटी वयस्कों के मुकाबले मजबूत होती है, लेकिन फिर भी हमें इसे और अधिक मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि वह अंदर से स्वस्थ रहें।
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बच्चों में ये लक्षण दिखने पर न करें नजरअंदाज
अगर आपके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, तो आपको उनके स्वास्थ्य को करीब से मॉनिटर करने की जरूरत है। किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर आपको लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको लग रहा है कि मामूली बुखार या खांसी है, तो एक-दो दिन तक बच्चों की स्थिति पर ध्यान दें। अगर बच्चों बुखार के कारण बहुत ज्यादा सुस्त हो जाएं या सांस लेने की किसी भी प्रकार की तकलीफ हो, पेशाब के दौरान जलन या दिक्कत होना या खाना खाने में परेशानी देखने को मिल रही है, तो आपको बिना देरी किए उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
कई बच्चों को पहली, दूसरी और तीसरी लहर के दौरान कोरोना हो चुका है। ऐसे में कई लोगों के मन में ये भी सवाल होगा कि क्या एक बार कोरोना संक्रमित होने के बाद बच्चों में दोबारा कोरोना होने का खतरा रहता है, तो इसके जबाव में डॉ आशुतोष बताते हैं कि एक बार अगर किसी बच्चे को कोरोना हो चुका है, तो ये उन्हें दोबारा भी कोरोना हो सकता है। चाहे उनमें कोई लक्षण न दिख रहे हों। हां, लेकिन ये कहा जा सकता है कि जिन बच्चों को कोरोना हो चुका है, उनका शरीर इस वायरस के खिलाफ इम्यून हो चुका है तो उनमें संक्रमण का खतरा थोड़ा कम हो सकता है लेकिन इसमें कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। साथ ही हमने ये भी देखा कि कोरोना के दौरान कई लोग तरह-तरह के घरेलू नुस्खों की मदद से ठीक होने का दावा कर रहे थे लेकिन आप बच्चों के मामले में ऐसी गलती बिल्कुल न करें। कोरोना इंफेक्शन को दूर रखने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय बच्चों के लिए इस्तेमाल न करें। इससे उन्हें और नुकसान हो सकता है। इसके अलावा उन्हें गर्मियों में भरपूर हरी सब्जियां और फल खाने को दें। इससे उनकी इम्यूनिटी मजबूत होगी।
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