
नर्व्स में होने वाले दर्द को ट्राइजेमाइनल न्यूरॉल्जिया कहते हैं। इसके कारण ही चेहरे के नर्व्स में दर्द देता है। यह चेहरे के दर्द की एक सामान्य वजह है। यह सामान्यतः मध्य आयु या वृद्धावस्था में होता है। ट्राइजेमाइनल न्यूरॉल्जिया का दर्द अनिश्चित तरीके से होता है और इसमें तेज धार वाली या नुकीली चीज के चुभने जैसा या बिजली के झटकों के लगने जैसा तेज दर्द होता है, जो कुछ सेकेंड से कुछ मिनट तक रह सकता है। ट्राइजेमाइनल न्यूरॉल्जिया के रोगी को तेज दर्द के दौरे पड़ सकते हैं जो उसकी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती हैं। इसके विशिष्ट मांसपेशीय संकुचन और दर्द के कारण इस स्थिति को टिक डॉउलोरयुक्स कहते हैं।
कारण
ट्राइजेमाइनल न्यूरॉल्जिया के कारण का ठीक-ठीक पता अभी तक नहीं चल पाया है।
• कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह नर्व में ट्राउमेटिक क्षति के कारण होता है, क्योंकि यह खोपड़ी के ओपनिंग से होते हुए चेहरे के ऊतकों औऱ मांसपेशियों तक पहुंचता है। इस क्षति के परिणामस्वरूप नर्व में संकुचन और दूसरे संबंधित लक्षण प्रकट होते हैं।
• कुछ अन्य विशेषज्ञों के अनुसार ट्राइगेमिनल न्यूरॉल्जिया नर्व ऊतकों में बायोकेमिकल परिवर्तनों के कारण होता है।
• हाल के सिद्धांत के अनुसार एक असामान्य रक्त नलिका मस्तिष्क से निकलते समय नर्व को दबाती है, जिससे ट्राइगेमिनल न्यूरॉल्जिया हो जाता है।
हालांकि सभी मामलों में, क्षतिग्रस्त नर्व की संवेदनशीलता और गतिविधि अत्यंत बढ जाती है जिससे दर्द के दौरे पड़ते हैं।
लक्षण
ट्राइजेमाइनल न्यूरॉल्जिया की विशेषता है इसका ट्रिगर क्षेत्र, जो चेहरे के केंद्रीय भाग का एक छोटा हिस्सा है, जो सामान्यतः गाल, नाक या ओठ हो सकता है, जहां उत्तेजना होने पर खास तरह का तेज दर्द हो सकता है। हल्के से छूना या हिलाना दर्द की शुरुआत कर सकता है। इसके परिणाम स्वरूप दैनिक गतिविधियों से भी दर्द का दौरा पड़ सकता है। सामान्य दैनिक गतिविधियां, जिससे दर्द प्रारंभ हो सकता है-
• चेहरा धोना, दांतों में ब्रश करना, शेविंग या बात करना
• आपके चेहरे पर हवा का झोंका लगना
• खाना या चबाना, इसके कारण रोगी खाने और पीने से परहेज करने लगते हैं।
ट्राइजेमाइनल न्यूरॉल्जिया के रोगियों को सामान्यतः दो दौरों के बीच किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। यह सामान्यतः तब होता है जब आक्रामक नर्व या तो रक्त नलिका या किसी अन्य चीज से दब जाती है। कुछ लोगों को असह्य दर्द से आराम दिलाने के लिए अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ जाती है।
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जांच औऱ रोग की पहचान
आपके व्यापक इतिहास और संपूर्ण शारीरिक जांच के आधार पर रोग की पहचान होती है। ट्राइगेमिनल न्यूरॉल्जिया के रोगियों के सिर के परीक्षण का परिणाम सामान्य आता है।
चिकित्सकीय इतिहास में दर्द की गंभीरता, इसका प्रभाव क्षेत्र, इसकी अवधि और इसकी अनुभूति से संबंधित प्रश्न शामिल हो सकते हैं। डॉक्टर आपका न्यूरॉल्जिकल परीक्षण कर सकते हैं, जिसके दौरान वह आपके चेहरे के अंगों का परीक्षण करेगा औऱ उन्हें छूकर दर्द की जगह और प्रभावित ट्राइगेमिनल नर्व की शाखाओं का ठीक-ठीक पता लगाने की कोशिश करेगा।
फेशियल पेन कई कारणों से हो सकते हैं, इसलिए रोग की सही पहचान आवश्यक है। डॉक्टर सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन कराने कह सकते हैं, ताकि खोपड़ी या मस्तिष्क के ट्यूमर, संक्रमण या न्यूरॉल्जिकल परिस्थितियों का पता लगाया जा सके।
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उपचार
ट्राइगेमिनल न्यूरॉल्जिया के अधिकांश रोगियों को दवाओं से लाभ होता है औऱ सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए ट्राइगेमिनल न्यूरॉल्जिया का प्रारंभिक इलाज दवाओं से किया जाता है। इसके दर्द से निजात दिलाने के लिए उपयोग में आनेवाली प्रमुख दवाएं हैं-
एंटीकन्वल्जेंटः एंटीकन्वल्जेंट जैसे-कार्बामाजेपाइन, फेनीटोइन, और ऑक्जकार्बाजेपाइन ट्राइगेमिनल न्यूरॉल्जिया में काम आनेवाली प्रमुख एंटीकन्वल्जेंट दवाएं हैं। लैमोट्राइजिन या गाबापेंटीन जैसी एंटीकन्वल्जेंट दवाएं भी रोगियों को दी जा सकती हैं। हालांकि इन दवाओं के कई साइड इफैक्ट होते हैं, जैसे-चक्कर आना, असमंजस या सोच-समझ की क्षमता प्रभावित होना, उनींदापन, दो-दो चीजें दिखाई देना और जी मिचलाना। इसके सेवन से आत्महत्या के विचारों और कोशिशों का खतरा बढता देखा गया है। इसलिए अगर आप ये दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर से नियमित रूप से संपर्क में रहें।
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