दिमागी विकार की बात होते ही आपको तनाव और अवसाद याद आता होगा? लेकिन इनके अलावा भी कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनके कारण मूड में बदलाव आते हैं। आजकल मानसिक विकार के सबसे अधिक मामले युवाओं में दिख रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 21 मिलियन अमेरिकी इस समस्या से ग्रस्त हैं। इस आंकड़ें से आप समझ ही सकते हैं कि पूरी दुनिया में इसकी क्या स्थिति होगी। करोड़ों युवा इसकी चपेट में हैं। इससे पहले यह समस्या आपको अपनी चपेट में ले, आइए जानें इसके लक्षण और इलाज के बारे में...
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मूड डिसऑर्डर के प्रकार
मानसिक विकार में अवसाद, सबसे अधिक होने वाली समस्या है। अनियमित दिनचर्या, नींद की कमी, अस्वस्थ खानपान और देर रात तक काम करना यह सभी डिप्रेशन होने के कारण हैं। इसके अलावा तनाव भी एक तरह का मानसिक विकार होता है। डिस्थीमिक डिसऑर्डर भी अवसाद की ही तरह होता है। वहीं, बाइपोलर डिसऑर्डर भी एक प्रकार की मानसिक समस्या मानी जाती है। गंभीर समस्या होने के बावजूद इसके रोगियों की संख्या कम है। बाइपोलर डिसऑर्डर, पागलपन और अवसाद दोनों का मिश्रण होता है। डिस्थीमिया उन लोगों को होता है, जो दो या इससे अधिक सालों से अवसाद से ग्रस्त होते हैं। अवसाद से इसके लक्षण भिन्न हो सकते हैं।
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दिमागी लोचा होने के कारण
व्यक्ति को मानसिक विकार तभी होता है, जब दिमाग की क्रियाएं असंतुलित हो जाती हैं। वातावरण, मनोवैज्ञानिक, जीववैज्ञानिक और आनुवांशिक कारणों से दिमागी विकार उत्पन्न होता है। ये दिमाग के रसायनों को प्रभावित करते हैं, जिनकी वज़ह से मूड डिसऑर्डर होता है। हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर को लेकर वैज्ञानिक अभी भी शोध कर रहे हैं। इसके सबसे अधिक मामले आनुवांशिक कारकों के कारण दिखे हैं। जिन लोगों को ये विकार होते हैं, उनकी दिमागी एक्टिविटी सामान्य लोगों की दिमागी कार्यावधि की तुलना में अलग होती है। दिमागी बनावट और रोजमर्रा की जीवनशैली, दोनों मूड डिसऑर्डर होने में प्रमुख योगदान देते हैं।
मूड डिसऑर्डर के लक्षण
मानसिक विकार से ग्रस्त व्यक्ति का मूड हर पल बदलता रहता है। धीरे-धीरे इंसान जीवन की वास्तविकता से दूर होता जाता है और अपनी अलग दुनिया बना लेता है। काम करने की इच्छा न होना। मूड डिसऑर्डर होने के बाद व्यक्ति को काम करने की इच्छा नहीं होती है। अगर वह कोई काम करना भी चाहता है, तो उसे पूरा करने में असमर्थ होता है। ऐसे लोग एक समय में एक से ज्यादा काम नहीं कर पाते हैं।
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चिड़चिड़ापन
मूड डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति पागलपन का भी शिकार हो सकता है, जिसके कारण वह अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है। इसके कारण रोगी, दूसरों से अपना संबंध अच्छा और बेहतर रखने में सक्ष्म नहीं हो पाता है।
नशे की लत लगना
तनाव और अवसाद आजकल की जीवनशैली का एक हिस्सा बनते जा रहे हैं। इससे बचने के लिए लोग नशे का सहारा लेते हैं और यहीं से समस्या गंभीर होती जाती है। एक शोध के अनुसार बाइपोलर डिसऑर्डर 50 प्रतिशत उनको होता है, जो तनाव से निकलने के लिए शराब या दूसरी नशीली चीजों का सेवन करना शुरू कर देते हैं।
नींद कम आने की समस्या
मूड डिसऑर्डर होने पर रोगी को नींद न के बराबर आती है, जिसकी वज़ह से वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है। ऐसे लोग ज्यादा सोते नहीं और हमेशा थकान महसूस करते हैं।
इन सभी लक्षणों को पढ़ने के बाद अगर आप भी इस समस्या से घिरे हुए हैं, तो संभल जाइए। हेल्दी लाइफस्टाइल और नियमित व्यायाम आपके दिमाग को मजबूत रख सकता है। बाकी, आप इस परेशानी में मनोवैज्ञानिक की भी सलाह ले सकते हैं।
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