समय के साथ लोगों की दिनचर्या में हुए बदलाव की वजह से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आज के समय में एक आम समस्या बन चुकी हे। यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों में डायबिटीज के रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। डायबिटीज के कारण आंखों, किडनी, हार्ट और नर्वस सिस्टम और फर्टिलिटी भी प्रभावित हो सकती है। कुछ महिलाओं को डायबिटीज के कारण गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही, कंसीव करने के बाद भी प्रेगनेंसी पर डायबिटीज के कई तरह के जोखिम हो सकते हैं। काम के बढ़ते स्ट्रेस, खराब लाइफस्टाइल और खानपान की आदतें कम उम्र में ही टाइप 2 डायबिटीज के मामले को बढ़ा रहे हैं। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉिजिस्ट डॉ विभा बंसल से जानते हैं कि डायबिटीज होने से गर्भधारण पर क्या असर पड़ सकता है?
डायबिटीज का महिला की प्रजनन प्रणाली से संबंध - What Problems Can Arise In Conceiving After Diabetes In Hindi
डायबिटीज शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी के कारण होती है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा लगातार अधिक रहती है, तो यह हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ देती है। इससे महिलाओं की प्रजनन प्रणाली प्रभावित होती है। ऐसे में ओव्यूलेशन, पीरियड्स साइकिल और एग क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। आगे जानते हैं डायबिटीज में गर्भधारण में आने वाली समस्याओं के बारे में।
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ओव्यूलेशन में गड़बड़ी
हाई ब्लड शुगर लेवल शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस पैदा करता है, जो एग्स बनने की प्रक्रिया को बाधित करता है। इससे ओव्यूलेशन अनियमित हो जाता है या रुक भी सकता है, जिससे गर्भधारण कठिन हो जाता है।
पीरियड्स का अनियमित होना
डायबिटीज के कारण कई महिलाओं को पीरियड्स अनियमित या स्किप हो सकते हैं। जब मेंस्ट्रुअल साइकिल नियमित नहीं होती, ऐसे में प्रजनन का चक्र भी असंतुलित हो जाता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) का जोखिम बढ़ना
टाइप-2 डायबिटीज और PCOS के बीच गहरा संबंध है। PCOS में ओवरी में सिस्ट बनते हैं और हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है।
डायबिटीज के बाद प्रेग्नेंसी में आने वाली समस्याएं - Problems In Pregnancy After Diabetes in Hindi
- डायबिटीज होने पर यदि महिला गर्भवती हो भी जाए, तो भी गर्भावस्था के दौरान समस्याएं हो सकती हैं, जैसे-
- गर्भ में शिशु का अधिक वजन (Macrosomia)
- समय से पहले प्रसव
- गर्भपात या मिसकैरेज
- प्री-एक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप और प्रोटीन युक्त पेशाब)
- नवजात शिशु में जन्म के बाद हाइपोग्लाइसीमिया
डायबिटीज की वजह से गर्भधारण में आने वाली समस्याओं से कैसे बचाव करें? - How To Prevent Problems in Pregnancy Due To Diabetes?
- तनाव हार्मोनल असंतुलन को बढ़ाता है और प्रजनन क्षमता को और प्रभावित कर सकता है। योग, ध्यान और पर्याप्त नींद लें।
- गर्भधारण की योजना बनाने से पहले HbA1c को कम रखना जरूरी है। इसके लिए दवाइयों, नियमित जांच कराएं।
- गर्भधारण की योजना बनाते समय फोलिक एसिड लेना शुरू करना भ्रूण के विकास में मदद करता है और जन्म दोषों की संभावना को कम करता है।
- वजन नियंत्रित रखें, संतुलित आहार लें और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें। हेल्दी लाइफस्टाइल इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर करता है और पीरियड्स को नियमित करता है।
- यदि आप 6-12 महीनों की कोशिश के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, तो किसी फर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह लें। डायबिटीज से प्रभावित महिलाओं के लिए व्यक्तिगत इलाज योजना जरूरी होती है।
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डायबिटीज के बाद गर्भधारण में कठिनाई आना आम बात है, लेकिन यह असंभव नहीं है। सही इलाज, नियमित जांच और एक संतुलित जीवनशैली को अपनाकर महिलाएं न सिर्फ गर्भधारण कर सकती हैं बल्कि एक स्वस्थ गर्भावस्था भी पूरी कर सकती हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि शरीर को समझें, समय रहते सही कदम उठाएं और किसी डॉक्टर की मदद लेने से न हिचकें।