ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) एक प्रकार का हड्डियों से जुड़ा रोग है, जो काफी हद तक गठिया की तरह होता है। यह रोग दुनियाभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से जोड़ों (joints) की बीमारी है, जिसमें जोड़ों की कार्टिलेज (उपास्थि) धीरे-धीरे घिस जाती है, जिससे दर्द, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई होती है। यह रोग आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है, लेकिन यह किसी को भी हो सकता है। इस लेख इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और हिलिंग टच क्लीनिक के ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर अभिषेक वैश से जानते हैं कि ऑस्टियोआर्थराइटिस शरीर के किन-किन हिस्सों को प्रभावित करता है और इसके लक्षण क्या होते हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस क्या है और यह शरीर के किन हिस्सों को प्रभावित करता है? - What Parts Of The Body Are Affected By Osteoarthritis In Hindi
ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया रोग है जिसमें जोड़ों की कार्टिलेज (उपास्थ) धीरे-धीरे घिस जाती है। इससे जोड़ हड्डियों के संपर्क में आ जाते हैं जिससे सूजन, दर्द, अकड़न और कभी-कभी सूजन आ जाती है। यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है, और उम्र के साथ-साथ इसके लक्षण अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। हालांकि यह रोग आनुवंशिक भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में उम्र, वजन, और जोड़ों पर अधिक दबाव इसके मुख्य कारण माने जाते हैं।
घुटनों
घुटने ऑस्टियोआर्थराइटिस के सबसे सामान्य प्रभावित क्षेत्रों में से एक हैं। इसमें घुटनों के जोड़ में मौजूद कार्टिलेज का धीरे-धीरे घिसना, हड्डियों के सीधे टकराने का कारण बनता है, जिससे दर्द, सूजन और गतिशीलता में कमी आती है। यह फिजियोथेरेपी के द्वारा ठीक हो सकता है। ता पड़ सकती है।
कूल्हा
कूल्हे के जोड़ भी ऑस्टियोआर्थराइटिस से प्रभावित होते हैं। दरअसल, कूल्हे में बहुत अधिक भार होने के कारण और लगातार मूवमेंट से जोड़ पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। ऐसे में कूल्हे के जोड़ में दर्द, खासकर चलने, चढ़ने-उतरने या बैठने में कठिनाई और कभी-कभी दर्द का दूसरे हिस्सों में फैलना आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं।
हाथ और उंगलियां
हाथों की छोटी हड्डियां और उंगलियां भी ऑस्टियोआर्थराइटिस का शिकार हो सकती हैं। इनके जोड़ों में सूजन और अकड़न के साथ-साथ फुलाव और कठोरता देखी जा सकती है। हाथ को हिलाने में भी दर्द होता है।
रीढ़ और स्पाइन
रीढ़ की हड्डी में भी ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण देखे जा सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ रीढ़ के जोड़ कमजोर होने लगते हैं। इसमें व्यक्ति को पीठ में दर्द, अकड़न, और कभी-कभी नसों पर दबाव पड़ने से सुन्नता या झुनझुनी की समस्या हो सकती है।
पैरों के जोड़
पैरों के जोड़, खासकर कि एड़ियों और टखनों के जोड़, पर भी ऑस्टियोआर्थराइटिस का असर देखा जाता है। इस स्थिति में पैरों में दर्द, चलने में असुविधा, सूजन और व्यायाम के दौरान झुनझुनी महसूस हो सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस को कैसे मैनेज करें? - How To Manage Osteoarthritis In Hindi
- नियमित और हल्के व्यायाम (जैसे कि तैराकी, साइकिल चलाना, योग) जोड़ों की गतिशीलता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
- अधिक वजन जोड़ों पर दबाव बढ़ाता है, इसलिए वजन कम करना रोग के लक्षणों में राहत दे सकता है।
- संतुलित आहार, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स शामिल हों, जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- लगातार दर्द से मानसिक तनाव बढ़ सकता है, इसलिए मेडिटेशन और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी जरूरी है।
- फिजियोथेरेपी से जोड़ों की चाल में सुधार और दर्द में कमी लाई जा सकती है।
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ऑस्टियोआर्थराइटिस मुख्य रूप से घुटने, कूल्हे, हाथ, रीढ़ और पैरों के जोड़ को प्रभावित करता है, पर इसका असर व्यक्ति के दैनिक जीवन के हर पहलू पर पड़ता है। हालांकि यह रोग पूरी तरह से ठीक नहीं होता, लेकिन उचित जीवनशैली, समय पर उपचार और डॉक्टर के सही मार्गदर्शन से इसके लक्षणों में काफी सुधार लाया जा सकता है। यदि आप या आपके परिचितों में ऑस्टियोअर्थराइटिस के लक्षण दिखाई दे रहे हों, तो जल्दी से जल्दी विशेषज्ञ से सलाह लें ताकि उचित इलाज और मैनेज किया जा सके।
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