हॉलिस्टिक चिकित्सा वैकल्पिक, प्राकृतिक, प्राचीन व आधुनिक चिकित्सा पद्धति का मिश्रण है। इसके तहत मरीज के अंदर रोगों से लडऩे वाले तत्वों को सक्रिय किया जाता है। इसमें न तो किसी ऑपरेशन की जरूरत होती है और न मरीज को कोई दवा दी जाती है। इस चिकित्सा में एक्यूपंक्चर, रेकी, यूनानी, आयुर्वेद, सिद्धा, योग, ध्यान, प्राणायाम, रिलैक्सेशन, विजुअलाइजेशन, पंचकर्म, काउंसिलिंग, रिफ्लेक्सोलॉजी, पिरामिडोलॉजी, संगीत, मंत्र, सम्मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, समुचित आहार-विहार, प्राकृतिक चिकित्सा आदि का इस्तेमाल किया जाता है। मानव शरीर में एक खास शक्ति (प्राण) का सतत प्रवाह एवं निर्माण होता रहता है।
हॉलिस्टिक चिकित्सा का इतिहास
इस चिकित्सा का मूल सिद्धांत इस प्राणशक्ति को संतुलित रखना है। चीनी भाषा में इस प्राणशक्ति को 'ची' यानी सकारात्मक ऊर्जा कहते हैं। इसमें दो तरह की ऊर्जा निहित होती है। कहा जाता है कि शरीर के भीतर प्राणशक्ति में जब तक समुचित संतुलन व समायोजन बना रहता है तब तक हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और इस संतुलन में गड़बड़ी होने पर हमारे शरीर में बीमारियां घर कर जाती हैं।होलिस्टिक चिकित्सा नियमित रूप से लेते रहने पर दर्द धीरे - धीरे कम होता है और कुछ समय बाद दर्द इतना कम या नगण्य हो जाता है कि मरीज को सामान्य जीवन में कोई दिक्कत नहीं होती है।
हॉलिस्टिक चिकित्सा का फायदा
होलिस्टिक चिकित्सा की विधियां दर्द से प्रभावित क्षेत्र की मांसपेशियों को रिलैक्स होने में मदद करती है तथा शरीर में प्राकृतिक दर्दनिवारक तत्व के उत्सर्जन को बढाती है। इसके अलावा यह प्रभावित भाग में रक्त प्रवाह को बढ़ाती तथा वहां की स्नायुओं की कार्यक्षमता में सुधार लाती है। इसके परिणाम स्वरूप होलिस्टिक चिकित्सा दर्द से तत्काल राहत दिलाने के साथ - साथ शरीर की हीलिंग रिस्पॉन्स को स्पंदित करती है।
इऩ बीमारियों मे मिलता है लाभ
होलिस्टिक चिकित्सा कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठिया, सयाटिका, कैंसर पीड़ा, सिर दर्द, माइग्रेन, इरीटेबल बाउल सिंड्रोम, साइनुसाइटिस, डिस्क समस्या, पेट दर्द, हर्पिज, न्यूरेल्जिया और डायबेटिक न्यूरोपैथी जैसे किसी भी तरह के दर्द का सफलतापूर्वक निवारण हो सकता है। इसके अलावा हाल के वर्षों में होलिस्टिक चिकित्सा एवं एक्युपंक्चर को कैंसर रोगियों को कष्टों से निजात दिलाने की एक महत्वपूर्ण तरकीब के रूप में माना जाने लगा है। मौजूदा समय में होलिस्टिक चिकित्सा एक सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति के रूप में विकसित हुआ है।
होलिस्टिक चिकित्सा में इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि कोई कार्य जब तक आप प्रेम भाव से नहीं करेंगे, तब तक उसमें कामयाब नहीं होंगे।