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सेकेंडरी हाइपोथायरॉडिज्म क्या होता है? जानें इसके लक्षण और कारण

महिलाओं में थायरॉइड एक आम समस्या मानी जाती है। थायरॉइड हार्मोन में गड़बड़ी से यह स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसे में आगे जानते हैं कि किन कारणों से सेकेंडरी हाइपोथायरॉइज्म की समस्या होती है?
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सेकेंडरी हाइपोथायरॉडिज्म क्या होता है? जानें इसके लक्षण और कारण

स्वस्थ रहने के लिए विटामिन और मिनरल्स के साथ ही शरीर के हार्मोन का भी संतुलित होना बेहद आवश्यक होता है। हमारे गले में स्थिति थायरॉइड ग्लैंड जब थायरॉइड हार्मोन का कम या अधिक उत्पादन करता है तो इससे व्यक्ति को थायरॉइड की समस्या होती है। थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म, एनर्जी लेवल, हृदय गति, और बहुत से शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करते हैं। जब थायरॉइड हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है, तो इस स्थिति को हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) कहते हैं। हालांकि, हाइपोथायरॉइडिज्म के प्राइमरी और सेकेंडरी दो मुख्य प्रकार होते हैं। आज इस लेख में अपोलो अस्पताल के इंटनरल मेडिसिन डॉक्टर आदित्य देशमुख से जानते हैं कि सेकेंडरी हाइपोथायरॉइडिज्म के क्या कारण और लक्षण होते हैं?

सेकेंडरी हाइपोथायरॉइडिज्म क्या है? - What is Secondary Hypothyroidism In Hindi

सेकेंडरी हाइपोथायरॉइडिज्म एक रेयर लेकिन गंभीर स्थिति है, जिसमें थायरॉइड ग्रंथि अपने आप में स्वस्थ होती है, लेकिन उसे नियंत्रित करने वाले मस्तिष्क के हिस्से (पिट्यूटरी ग्रंथि) में समस्या होने के कारण थायरॉइड हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता। इसमें पिट्यूटरी ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में TSH (Thyroid Stimulating Hormone) नहीं बनाती। TSH वह संकेत है जो थायरॉइड को हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करता है। अगर TSH ही नहीं बनेगा, तो थायरॉइड ग्रंथि निष्क्रिय हो जाएगी और हार्मोन बनना बंद कर देगी, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म की स्थिति उत्पन्न होती है।

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सेकेंडरी हाइपोथायरॉइडिज्म के मुख्य कारण - Causes Of Secondary Hypothyroidism In Hindi

सेकेंडरी हाइपोथायरॉइडिज्म आमतौर पर पिट्यूटरी ग्रंथि या हाइपोथैलेमस (मस्तिष्क का एक हिस्सा जो पिट्यूटरी को नियंत्रित करता है) में गड़बड़ी के कारण होता है। इसके प्रमुख कारण के बारे में आगे जानते हैं।

  • पिट्यूटरी ट्यूमर (Pituitary Tumor): मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर हो जाने पर उसका कार्य बाधित हो सकता है, जिससे TSH का निर्माण रुक जाता है।
  • सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी: ब्रेन ट्यूमर या अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के इलाज के लिए की गई सर्जरी या रेडिएशन से पिट्यूटरी ग्रंथि को नुकसान हो सकता है।
  • हाइपोथैलेमिक डिसऑर्डर: यदि हाइपोथैलेमस में कोई रोग हो जैसे ट्यूमर, सूजन या ट्रॉमा, तो वह पिट्यूटरी को TRH (Thyrotropin Releasing Hormone) नहीं भेज पाता, जिससे TSH का निर्माण नहीं होता।
  • सिर में गंभीर चोट: सिर में गंभीर चोट लगने से मस्तिष्क के इन हिस्सों की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है।
  • जन्मजात दोष (Congenital defects): कुछ दुर्लभ मामलों में व्यक्ति जन्म से ही पिट्यूटरी की कार्यप्रणाली में कमी के साथ पैदा होता है।

सेकेंडरी हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण - Symptoms Hypothyroidism in Hindi

इस रोग के लक्षण सामान्य हाइपोथायरॉइडिज्म से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन कभी-कभी ये थोड़े हल्के या धीरे-धीरे विकसित होने वाले हो सकते हैं।

  • रोगी अक्सर सामान्य कार्य करते हुए भी जल्दी थक जाता है।
  • बिना अधिक खाए भी वजन में बढ़ोतरी हो सकती है।
  • शरीर का तापमान नियंत्रित करने में कठिनाई होती है।
  • त्वचा रूखी हो जाती है और बाल पतले होकर झड़ने लगते हैं।
  • हृदय की गति सामान्य से धीमी हो जाती है।
  • मानसिक स्थिति प्रभावित होती है, जिससे उदासी या चिड़चिड़ापन बना रहता है।
  • महिलाओं में मासिक धर्म चक्र गड़बड़ा सकता है।
  • सोचने और फोकस की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • लंबे समय तक अनियंत्रित हाइपोथायरॉइडिज्म से गर्भधारण में समस्या हो सकती है।

इसे भी पढ़ें: थायराइड को कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय, कम होंगी आपकी परेशानियां

डॉक्टर हाइपोथायरॉइडिज्म के लिए व्यक्ति को ब्रेन एमआरआई, टीएचएस, टी4 टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। इस रोग की पहचान के बाद थायरॉइड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, इसके मुख्य कारण जैसे ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है। यदि आपको लंबे समय से थकावट, वजन बढ़ना, ठंड लगना, या मानसिक सुस्ती जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो किसी अच्छे एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

FAQ

  • थायरॉइड की समस्या क्यों होती है?

    आयोडीन की कमी, अनुवांशिकता, हार्मोनल बदलाव, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और तनाव की वजह से व्यक्ति को थायरॉइड की समस्या हो सकती है।
  • थायराइड होने पर क्या-क्या परेशानी आती है?

    थायरॉइड बढ़ने पर निगलने और सांस लेने में दिक्कत, चिड़चिड़ापन, घबराहट, तेज़ दिल की धड़कन, हाथ और उंगलियों कांपना, वज़न कम होना या बढ़ना, मांसपेशियों में कमज़ोरी और दर्द, भूख ज़्यादा लगना, शरीर में सूजन और लालिमा आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। 
  • थायराइड में सुबह खाली पेट क्या खाना चाहिए?

    थायरॉइड में सुबह खाली पेट लौकी का जूस, नारियल पानी, या गुनगुना पानी पीना फायदेमंद होता है। इसके अलावा, हरा धनिया का सेवन भी थायरॉइड को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। 

 

 

 

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