Doctor Verified

Retinopathy of Prematurity: प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों में होता है अंधेपन का खतरा, ये टेस्ट बचा सकता है आंखें

प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों में आंखों से जुड़ी बीमारी रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी (आरओपी) का खतरा होता है। जान‍िए इस बीमारी से जुड़ी जरूरी बातें।
  • SHARE
  • FOLLOW
Retinopathy of Prematurity: प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों में होता है अंधेपन का खतरा, ये टेस्ट बचा सकता है आंखें


रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी नाम की बीमारी का खतरा समय से पूर्व जन्‍मे बच्‍चों के साथ होता है। 20 से 40 हफ्ते के बीच श‍िशु की आंख में रेट‍िना का व‍िकास होता है। अगर श‍िशु का जन्‍म 28वे हफ्ते में हो गया है, तो आंख की रौशनी खो जाने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्‍चों की आंखों में देखने की क्षमता नहीं आ पाती। श‍िशुओं को अंधेपन और आंखों से जुड़ी बीमारी से बचाने के ल‍िए जानें आरओपी टेस्‍ट से जुड़ी जरूरी बातें। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

premature baby eye problem

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी क्‍या है?

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी (आरओपी) आंखों से जुड़ा एक व‍िकार है। इस बीमारी में आंख के पर्दे की रक्‍त वाह‍िका स‍िकुड़ जाती है। जन्‍म के समय प्रीमेच्‍योर श‍िशुओं को संंक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे श‍िशु के आंखों की रौशनी घट जाती है और आगे चलकर आंखों से जुड़ी समस्‍याएं हो सकती हैं।    

इसे भी पढ़ें- जन्‍म के बाद नवजात श‍िशु को पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं ये 6 बातें       

रोप टेस्‍ट क्‍या होता है?

गर्भस्‍थ श‍िशु का रेट‍िना, दूसरी और तीसरी त‍िमाही के बीच व‍िकस‍ित होती है। अगर श‍िशु का जन्‍म समय से पहले हो गया है, तो आंख से जुड़ी बीमारी रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी या आरओपी का खतरा बढ़ जाता है। प्रीमेच्‍योर श‍िशुओं में रक्‍त वाह‍िका पूरी तरह से बन नहीं पाती ज‍िसके कारण रक्‍त संचार बाध‍ित होता है और रेट‍िना का व‍िकास नहीं हो पाता। इस बीमारी से बचाव के ल‍िए क‍िए जाने वाले टेस्‍ट को रोप या आरओपी टेस्‍ट कहा जाता है।     

क‍िन बच्‍चों को रोप टेस्‍ट की जरूरत होती है?

समय से पूर्व या प्रीमेच्‍योर बच्‍चों को रोप टेस्‍ट की जरूरत होती है। ज‍िन मह‍िलाओं की प्रेगनेंसी आईवीएफ तकनीक से होती है उन्‍हें भी बच्‍चे के जन्‍म के बाद रोप टेस्‍ट करवाना चाह‍िए। श‍िशु के जन्‍म के दौरान ऑक्‍सीजन की ज्‍यादा सप्‍लाई के कारण भी रोप का खतरा बढ़ जाता है और आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में डॉक्‍टर रोप टेस्‍ट करवाने की सलाह देते हैं।      

पैरेंट्स कैसे करवाएं श‍िशु का रोप टेस्‍ट? 

आपके बच्‍चे का जन्‍म समय से पहले हुआ है, तो उसका खास ख्‍याल रखने का दाय‍ित्‍व माता-प‍िता का होता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही भी श‍िशु की सेहत के ल‍िए हान‍िकारक हो सकती है। अगर प्रीमेच्‍योर श‍िशु का जन्‍म हुआ है, तो अपने डॉक्‍टर से पूछें क‍ि बच्‍चे का आरओपी टेस्‍ट हुआ है या नहीं। अगर बच्‍चे का टेस्‍ट नहीं हुआ है, तो जन्‍म के 30 द‍िन के भीतर ही जांच करवाएं।       

ड‍िलीवरी के एक माह के भीतर करवाएं रोप टेस्‍ट 

प्रीमेच्‍योर बच्‍चों के जन्‍म के समय अक्‍सर इमरजेंसी की स्‍थ‍िति‍ होती है। उस दौरान डॉक्‍टर, श‍िशु को सुरक्ष‍ित बाहर लाने की प्रक्र‍िया पर ध्‍यान देते हैं। लेक‍िन प्रीमेच्‍योर बेबी के जन्‍म के एक माह के अंदर ही आपको रोप टेस्‍ट के जर‍िए आंखों की जांच करवानी चाह‍िए। बच्‍चों की आंखों की सुन‍िश्‍च‍ित करने के ल‍िए इस टेस्‍ट को करवाना जरूरी है। 

प्रीमेच्‍योर श‍िशु की आंखों को स्‍वस्‍थ रखने के ल‍िए समय-समय पर आंखों की जांच करवाएं। लंबे समय तक आंखों की देखभाल न करने से बीमारी लौट सकती है।  

Read Next

बच्चों का दिमाग करना चाहते हैं तेज? अपनाएं ये आसान से उपाय

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version