Glycogen Storage Disease: ब्लड में शुगर की कमी इस बीमारी का है संकेत, एक्सपर्ट से जानें कारण, लक्षण और बचाव

मेटबॉलिज्म डिसोर्डर को ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज कहते हैं। इसमें मरीज के ब्लड में शुगर की मात्रा कम हो जाती है। आइए जानते हैं इसके कारण
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Glycogen Storage Disease: ब्लड में शुगर की कमी इस बीमारी का है संकेत, एक्सपर्ट से जानें कारण, लक्षण और बचाव

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज एक मेटाबॉलिक डिसोर्डर है, जिसकी वजह से हमारे शरीर में एंजाइम की कभी होने लगती है। इस वजह से ग्लाइकोजन संश्लेषण, ग्लाइकोजन टूटने या फिर ग्लाइकोलाइसिस (ग्लूकोज टूटने) को प्रभावित होने लगते हैं। यह बीमारी सामान्य तौर पर मांसपेशियों और यकृत की कोशिकाओं में होता है। गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर कुणाल दास बताते हैं कि जीएसडी होने के कारणों सो मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया गया है। पहला आनुवंशिक, जो व्यक्ति को जन्मजात हो सकता  है। दूसरा लाइफस्टाइल के कारण, जो व्यक्तियों को नशा या फिर खराब लाइफस्टाइल के चलते होता है। जीएसडी को कई भागों में विभाजिक किया गया है, लेकिन इसके सबसे आम प्रकार I, III और IV हैं। इन सभी प्रकारों  को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस समस्या के बारे में विस्तार से-

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज के प्रकार (Types of Glycogen storage disease)

1-टाइप I - इसे वॉन गिएर्के रोग के नाम से भी जाना जाता है। जीएसडी की सबसे आम समस्याओं में से एक है। टाइप I वाले रोगियों के लीवर में ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलने वाला एंजाइम नहीं होता है। इस वजह से व्यक्ति की समस्या बढ़ जाती है। लीवर में ग्लाइकोजन बनता है। इस बीमारी के लक्षण 3 से 4 महीने के बच्चों में दिखाई देता हैं। इसी तरह टाइप-2 भी है। 

2- टाइप III ( कोरी रोग या फोर्ब्स रोग) - यह समस्या होने पर रोगियों में प्रर्याप्त एंजाइम नहीं बन है। इस एंजाइम को डीब्रीचिंग (debranching) एंजाइम भी कहा जाता है। यह ग्लाइकोजन को तोड़ने में हमारी मदद करता है। पूरी तरह से ग्लाइकोजन ना टूटने के कारण लीवर और मशल में टीशू में इकट्ठा होने लगते हैं। इस समस्या के कारण पेट में सूजन, विकास धीमा होना और मसल्स कमजोर होने जैसी परेशानी हो सकती है। 

इसके अलावा टाइप-3, टाइप-4 जैसे कई अन्य प्रकार ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज शामिल है। आइए जानते हैं विस्तार से-

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ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज के लक्षण (Symptoms of Glycogen storage disease)

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज के लक्षण प्रकार के साथ-साथ अलग-अलग होते हैं। इसके लक्षण शिशुओं में पहले दिखाई देते हैं। GSD के सामान्य लक्षण भिन्न हैं-

  • शारीरिक विकास में कमी। 
  • गर्म मौसम में सहजता महसूस होना। 
  • बहुत आसानी से ब्रूसिंग होना।
  • ब्लड शुगर में कमी (hypoglycemia)
  • पेट में सूजन
  • लीवर का बढ़ना
  • पेट में सूजन
  • मसल्स का कमजोर होना।
  • मसल्स में दर्द और ऐंठन

शिशुओं में होने वाले लक्षण

  • ब्लड में एसिड की अधिकता (acidosis)
  • कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई होना। (hyperlipidemia) 

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज के कारण (Causes of Glycogen storage disease)

जीन में किसी तरह की समस्या होने पर व्यक्ति को GSD की परेशानी हो सकती है। इसमें किसी कारण से शरीर में एंजाइम नष्ट हो जाते हैं या फिर एंजाइम काम करना बंद कर देते हैं। माता-पिता से शिशुओं में जीन (gene) स्थानांतरित होता है। यानी यह एक अनुवांशिक समस्या है। अधिकतर मामलों में माता-पिता में इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं, शिशुओं में इसके लक्षण काफी ज्यादा दिखते हैं। बच्चों को यह बीमारी माता-पिता से विरासत में मिलती है।

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज निदान (diagnosis of glycogen storage disease)

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज का संदेह होने पर डॉक्टर निम्न टेस्ट करते हैं। 

  • निम्न ब्लड ग्लूकोज का स्तर चेक करना।
  • बढ़ती हुई वृद्धि देखना।
  • एक बढ़ा हुआ लीवर।
  • असामान्य ब्लड परीक्षण। 

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज का उपचार (Treatment of Glycogen Storage Disease)

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज के इलाज में डॉक्टर मरीज के ब्लड में ग्लूकोज का स्तर सही करने की कोशिश करते हैं। इसमें मरीज को कॉर्नस्टार्च या पोषण की नियमित खुराक लेने की सलाह देते हैं। कॉर्नस्टार्च एक ऐसा कार्बोहाइड्रेट है, जिसे पचाने में काफी मुश्किल होता है। अन्य कार्बोहाइड्रेट की तुलना में कार्न स्टार्च लंबे समय तक ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बनाए रखता है।  इसके अलावा डॉक्टर नींद के दौराब ब्लड ग्लूकोज के स्तर में गिरावट को रोकने के लिए रात के समय कार्बोहाइड्रेट खाने की सलाह देते हैं। वहीं, अगर प्रगतिशील ग्रलाइकोजन डिजीज टाइप IV के बाद लीवर प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं। 

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