इमोशनल एडिक्शन क्या है? ये दो शब्दों से मिलकर बना है। इमोशनल यानी भावनात्मक और एडिक्शन यानी नशा, यानी इस पूरे शब्द का मतलब हुआ एक तरह का भावनात्मक नशा, जिसमें व्यक्ति को किसी खास तरह से व्यवहार करने या फील करने का नशा रहने लगता है। जैसे कई बार प्रेम करने वाले दो जोड़ों में से किसी एक को दूसरे का इमोशनल एडिक्शन हो जाता है। ऐसे में अगर वो पार्टनर उसकी उस आदत यानी इमोशनल जरूरत को पूरा नहीं करता, तो वो परेशान रहने लगते हैं। जज्बात तो हम सभी में होते हैं और ये हमारे लिए जरूरी भी हैं। लेकिन दिक्कत तब शुरू होती है, जब हमारे जज्बात हमारी आदत बनने लगते हैं। कुछ लोग एक ही तरह के जज्बातों को बार बार महसूस करते रहते हैं या करते रहना चाहते हैं। वह खुद को एक ऐसी स्थिति में महसूस कर लेते हैं, जहां उन्हें खुद को बदलने की जरूरत नहीं महसूस होती है।
यह बात बहुत कम लोगों के ही समझ आ पाती है। बहुत से लोग अपने अंदर के विचारो और जब्बातों के आदी हो जाते हैं और उन्हें बार-बार यह विचार महसूस करने को मिलते रहते हैं। आइए जानते हैं इस एडिक्शन से बाहर आने के लिए क्या कर सकते हैं।
जिस पर भरोसा करते हैं, उसकी लें मदद
इस खुद को टटोलने वाले काम में आप किसी अन्य व्यक्ति की मदद ले सकते हैं, जिस पर आप भरोसा करते हैं। उसे बोलें कि आप कोई इंटर पर्सनल काम कर रहे हैं, जिसमें आपको उनकी मदद की जरूरत है। इसके बाद उनसे अपने बारे में कुछ सवाल पूछें, जैसे- "मैं किसी भी स्थिति में या किसी भी बात पर किस तरह से रिस्पॉन्ड करता/करती हूं, मैं दिनभर में किस तरह की बातें ज्यादा करती हूं आदि।" दरअसल दूसरे हमारे बारे में कई बार वो चीजें नोटिस करते हैं, जो हम अपने बारे में नहीं कर पाते हैं।
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अपने जज्बातों को समझें
यह काफी साधारण लग रहा है लेकिन असल में यह बात इतनी साधारण है नहीं, क्योंकि हम जज्बातों पर प्रतिक्रिया करने से पहले उन्हें जज नहीं करते। आप इन विचारों को एडिक्शन नहीं मानते क्योंकि आपको इनकी आदत हो चुकी है और अब आपको यह अपना ही कोई हिस्सा लगने लगते हैं। हर एक विचार को नोटिस करें और उसके पीछे की वजह को जानना शुरू करें।
अपने पोषण पर भी दें ध्यान
दिमाग ही सभी विचारों की और जो दयनीय स्थिति हम खुद की बना लेते हैं, इसकी जड़ होता है। इसलिए इसको स्वस्थ रखना काफी ज्यादा जरूरी होता है। कोशिश करें कि डाइट में उन चीजों को जरूर शामिल करें, जो दिमाग के लिए लाभदायक और पौष्टिक होती हैं। शुगर, ग्लूटेन, प्रॉसेस्ड चीजों का सेवन करने की बजाए आपको हेल्दी चीजें जैसे फल, सब्जियां, मीट आदि का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपका दिमाग इस प्रक्रिया पर और भी ज्यादा ध्यान देगा और आप खुद को ज्यादा अच्छे से जान पाएंगे।
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रोजाना कुछ देर मेडिटेशन जरूर करें
एक महीने के लिए अपनी यह आदत बना लें कि आप रोजाना सुबह उठ कर कुछ देर मेडिटेशन जरूर करेंगे। इस दौरान उन फीलिंग्स और इमोशंस पर गौर करें, जो आपको अपने आप को ऑब्जर्व करते समय देखने को मिल रहे हैं। यह चीजें ही आपको उन ट्रिगर को जानने में मदद कर सकती हैं, जिनसे आपके आदत बन जाने वाले विचार बार-बार आपके दिमाग में आ रहे हैं।
अगर आप अपने जीवन को या अपनी सोच को बदलना चाहते हैं, तो सबसे पहले जरूरी होता है अपने दिमाग को काबू में करना। इसे करने के कई तरीके हो सकते हैं जैसे मेडिटेशन करना या फिर रोजाना योग करना। इन तरीकों से आप अपने अंदर के व्यक्ति को जान सकेंगे। इसलिए एक महीने में ही ऐसी प्रक्रिया करने से आपको साफ साफ नतीजे देखने को मिलेंगे।