परिवार की व्यक्ति की जिंदगी में अहम भूमिका होती है। अगर परिवार के सारे सदस्य सपोर्ट करने वाले होते हैं तो व्यक्ति साकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है। लेकिन जब वही परिवार किसी भी प्रकार का सहयोग न करे तब व्यक्ति मानसिक रूप से ज्यादा परेशान महसूस कर सकता है। जिसका असर उसकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी होता है। जब परिवार में भावनात्मक अपेक्षा बढ़ जाते हैं तो व्यक्ति जीवन से थका-हारा भी महसूस कर सकता है। दरअसल माता पिता बच्चे के साथ बचपन में किस ढंग से व्यवहार करते थे इसका प्रभाव पूरी उम्र के लिए उस पर पड़ता है। अगर रवैया लापरवाही का होता है तो उसके दिमाग में एक नकारात्मक छवि तैयार हो सकती है जो अच्छी नहीं। (इमोशनल निगलेक्ट) भावनात्मक उपेक्षा भी एक इसी प्रकार की स्थिति है जो बच्चे को अंदर से तोड़ देती है। इसलिए इस स्थिति को पहचानने के लिए इन कुछ लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए।
क्या है भावनात्मक उपेक्षा?
यह एक ऐसी स्थिति है जब पेरेंट्स बच्चे की भावनात्मक फीलिंग को समझ नहीं पाते और वह बच्चा उपेक्षा का शिकार हो जाता है। बच्चे के जज्बात किस प्रकार के हैं वे समझ नहीं पाते और उसे नजर अंदाज करते रहते हैं। इस प्रकार के माता पिता को उनकी इस गलती के बारे में जरा सा भी अंदाजा नहीं होता है। वे इसे सब सामान्य ही समझते हैं। लेकिन इसका उनके बच्चे के शरीर और मन पर काफी प्रभाव पड़ता है। अगर आप भी बच्चे को इमोशनल नेगलेक्ट कर रहे हैं तो उसके यह लक्षण हो सकते हैं।
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भावनात्मक उपेक्षा के लक्षण
- यदि आप दूसरों पर भरोसा करने से डरते हैं। साथ ही उनकी मदद लेने से भी डरते हैं।
- यदि आप अपनी ताकत और कमजोरियां नहीं जान पा रहे। साथ ही पसंद-नापसंद और जीवन के लक्ष्यों को पहचानने में भी मुश्किल आ रही है।
- बच्चा कभी कभार माता पिता से कुछ कहने की इच्छा रखता है। लेकिन वह बोल नहीं पाता है और इस कारण वह माता पिता से काफी गुस्सा या नाराज हुआ प्रतीत होता है। लेकिन इसके पीछे का कारण भी वह नहीं बता पाता।
- बच्चे को ऐसा महसूस होता है कि वह अपने सगे भाई बहनों के साथ किसी चीज को लेकर प्रतियोगिता कर रहे हैं। लेकिन किस चीज को लेकर यह भी नहीं पता होता।
- परिवार में कठिन या व्यक्तिगत समस्याओं को या तो इग्नोर कर दिया जाता है या उन पर बात ही नहीं की जाती। इसलिए आपको इस विषय पर निराशा महसूस होती है।
- आप परिवार में होने वाले इवेंट्स में काफी एंजॉय करने की आशा के साथ जाते हैं। लेकिन जब आप वापिस आते हैं तो आपको काफी खाली खाली और केवल निराशा ही महसूस होती है।
- आपके परिवार में एक सदस्य दूसरे से कितना प्रेम करता है या उसे क्या मानता है यह केवल करके दिखाया जाता है। जैसे एक दूसरे को गिफ्ट देना या उन्हें कहीं बाहर लेकर जाना। लेकिन इन चीजों को कभी शब्दों में बयान नहीं किया जाता।
- जब आप अपने पूरे परिवार के साथ होते हैं तो आप को यह महसूस होता है कि आप काफी अकेले हैं या आपको परिवार में शामिल ही नहीं किया जा रहा है।
- जज्बात या नेगेटिव इमोशंस के बारे में बात करना आपके घर में आम नहीं है। बल्कि इनको एक काल्पनिक चीज मान कर ऐसे ही टाल दिया जाता है या ऐसी बातों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है।
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भावनात्मक उपेक्षा से बचने के लिए क्या करें?
- अपनी भावनाओं को पहचानें
- अपने जरूरतों को पहचानें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें।
- किसी थेरेपिस्ट से मिलें और सलाह लें।
अगर आपके परिवार में भी इमोशनल नेगलेक्ट की स्थिति है तो इसे ठीक करना काफी आवश्यक है। अगर घर में और कोई पहल करने की तैयार नहीं है तो आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं। अपने माता पिता या भाई बहन की मानसिक सेहत या जज्बातों के बारे में पूछना शुरू कर सकते हैं। ताकि यह बातें परिवार में काफी कॉमन हो सकें।
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