घंटों मोबाइल व टीवी देखने से आंखे कमजोर हो जाती है। अक्सर अभिभावक बच्चों को डांटते हुए यह कहते हैं कि टीवी व मोबाइल कम देखों इससे आंखें खराब हो सकती हैं। दरअसल, यह बात काफी हद तक सही भी मानी जाती है। डॉक्टर भी मानते हैं कि बच्चों के द्वारा घंटों टीवी और मोबाइल देखने से आंखों पर जोर पड़ता है। ऐसे में बच्चों को छोटी उम्र में ही चश्मा लग जाता है। बच्चों को चश्मा पहनने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, उनको भविष्य में भी चश्मा पहनने की जरूरत होती है। यदि, ऐसा न किया जाए तो उनके चश्मे का नंबर बढ़ सकता है और उनको देखने में परेशानी हो सकती है। लेकिन, अब हाल ही में कॉन्ट्रा विजन स्पेक्स रिमूवल तकनीक प्रचलित हुई है। इस सर्जरी में कॉर्नियल इरेग्यूलेरिटी को भी ठीक करता है। आई केयर सेंटर के निदेशक एवं वरिष्ट नेत्र सर्जन डॉक्टर संजीव गुप्ता से जानते हैं कि कॉन्ट्रा विजन सर्जरी क्या है?
कॉन्ट्यूरा विजन सर्जरी क्या है? - What is Contoura Vision In Hindi
कॉन्ट्यूरा विजन सर्जरी आंखों की एक नई सर्जरी है। इसे ट्रेडिशनल लेसिक सर्जरी से ज्यादा बेहतर माना जाता है। यह सर्जरी से व्यक्ति की दृष्टि में सुधार किया जाता है। आंखों का चश्मा हटाने के लिए आज तीन तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें लेसिक लेजर, स्माइल और कॉन्ट्यूरा विजन को शामिल किया जाता है। लेजर और स्माइल में चश्मे का केवल नंबर कम किया जा सकता है। लेकिन, कॉन्ट्यूरा विजन में चश्मे को हटाने का काम किया जाता है। चश्मा हटाने की तकनीक में कॉन्ट्यूरा विजन ही एडवांस तकनीक है। इस तकनीक में कॉर्निया की सतह को ठीक करने का प्रयास किया जाता है। यह पारंपरिक लेसिक की तरह आंख की पुतली के बजाय कॉर्निया के ऊपरी हिस्से पर केंद्रित होता है। लेजिक में आंख को नया आकार देने के लिए लेजर का उपयोग किया जाता है।
कॉन्ट्यूरा विजन का फायदा क्या है? - Benefits Of Contoura Vision In Hindi
- इस तकनीक से व्यक्ति को चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस से छुटकारा मिलता है।
- मोतियाबिंद होने का जोखिम कम होता है।
- ड्राई आइज के लक्षण कम होते हैं।
- आंखों से जुड़ी समस्याओं का जोखिम कम होता है।
- यह सर्जरी नाइट ब्लाइंडनेस की समस्या को कम करने में भी मददगार साबित होती है।
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इस सर्जरी के बाद व्यक्ति के आधे नंबर से करीब 8 नंबर तक का चश्मा हटाया जा सकता है। जिन लोगों के चश्में का नंबर 8 से अधिक है उनके लिए इम्प्लांटेबल कोलामर लेंस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इससे लोगों को चश्मे से छुटकारा मिलता है। लेकिन, इसके बावजूद व्यक्ति को प्रदूषण और धूल-मिट्टी से आंखों बचाना होता है।