Artificial Womb Facility: क्या आपने कभी सुना है कि बिना गर्भवती हुए भी आप मां बन सकती हैं? जी हां। ये तकनीक अब दुनिया में कदम रख चुकी है। संतान न होने के कारण कितने ही लोग बच्चे का सुख नहीं देख पाते। इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसकी मदद से बच्चे प्राकृतिक गर्भाशय के बिना पैदा हो सकेंगे। जो कपल्स इंफर्टिलिटी या यूट्रस कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के चलते बच्चे को जन्म नहीं दे सकते उनके लिए ये तकनीक किसी सपने से कम नहीं है। ये तकनीक एक्टोलाइफ नाम की कंपनी ने बनाई है। आगे जानते हैं आर्टिफिशियल वॉम्ब से जुड़ी पूरी जानकारी। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।
क्या है आर्टिफिशियल वॉम्ब?- What is Artificial Womb
आर्टिफिशयल गर्भाशय की मदद से बच्चे पैदा करने की तकनीक ही आर्टिफिशियल वॉम्ब तकनीक है। इस तकनीक की मदद से हर साल 30 हजार बच्चे पैदा किए जा सकेंगे। फिलहाल बेबी पॉड से लैस 75 लैब मौजूद हैं। हर लैब में करीब 400 ग्रोथ पॉड्स हैं। इनका डिजाइन मां के शरीर में मौजूद असली गर्भाशय की तरह किया गया है।
बच्चे के गुण बदल सकते हैं
जानकारी के मुताबिक, इस पॉड में पैदा होने वाला बच्चा खास होगा क्योंकि माता-पिता बच्चों में अच्छी क्वॉलिटी फीड कर पाएंगे। माता-पिता अपने मुताबिक, बच्चे का रंग, चेहरे की बनावट, आदतों को एड करवा सकेंगे। माता-पिता चाहें, तो जीन में बदलाव भी करवा सकते हैं। इस तकनीक की मदद से बच्चे की आंखों का रंग, शारीरिक क्षमता, बच्चे का कद आदि भी बदला जा सकता है।
कैसे काम करेगा आर्टिफिशियल वॉम्ब?
जो कपल्स माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं, वो इस तकनीक की मदद ले पाएंगे। इस तकनीक की मदद से मशीन में पुरुष के स्पर्म और महिला के एग को मिलाया जाता है। फिर मां की कोख की तरह ही मशीन काम करना शुरू कर देती है। बर्थ पॉड्स में आर्टिफिशियल एंब्लिकल कॉर्ड होगी जिससे बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलेंगे। जिस तरह महिला के गर्भ में फ्लूइड होता है उसी तरह आर्टिफिशियल वॉम्ब में भी एम्निओटिक फ्लूइड डाला जाएगा। बर्थ पॉड्स में विकास के मुताबिक जरूरी पोषक तत्व डाले जाएंगे।
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क्या ये तकनीक सुरक्षित है?- Artificial Womb Facility Is Safe Or Not
डॉ दीपा ने बताया कि फिलहाल हम ये नहीं कह सकते कि आर्टिफिशियल वॉम्ब, बच्चों के जन्म का सही तरीका है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भाशय और आर्टिफिशियल वॉम्ब का फर्क गहरा है। जो फायदे प्राकृतिक तरीके में है, वो मशीन की मदद से पूरे नहीं किए जा सकते। आर्टिफिशियल वॉम्ब के जरिए पैदा होने वाले बच्चों में बर्थ कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं। हालांकि बड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि आर्टिफिशयल वॉम्ब की मदद से जन्म के समय होने वाली समस्याएं नवजात को नहीं होगी। आपको बता दें कि इस तकनीक को हमारे देश में आने में 10 साल का समय लग सकता है। फिलहाल इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है इसलिए इस पर पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता।
इंसानियत पर खतरा हो सकती है ये तकनीक
डॉ दीपा ने ये भी बताया कि इस तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। लोगों के हाथ में इस तकनीक को दे देने से जनसंख्या तेजी से बढ़ सकती है। इसका बुरा परिणाम हमें आगे चलकर झेलना होगा। इसके अलावा बच्चे के जीन्स में बदलाव करना या उसके रंग-रूप के साथ छेड़छाड़ करना भी पॉजिटिव साइन नहीं है। इस तकनीक का इस्तेमाल उन कपल्स के लिए किया जा सकता है जो बच्चे के लिए आईवीएफ या अन्य तकनीक का सहारा लेने के बाद भी फेल हो चुके हैं।
आर्टिफिशियल वॉम्ब फैसिलिटी एक नई तकनीक है जिसक इस्तेमाल संभलकर किया जाना चाहिए। लेख पसंद आया हो, तो शेयर करना न भूलें।
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