शरीर में एक साथ कई तरह की प्रतिक्रियाएं होती है। इनमें आने वाली समस्याएं आपके लिए रोग का कारण बन सकती हैं। मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी की वजह से आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है। सांस लेने में परेशानी होना, आलस व कमजोरी यह एमिलॉइडोसिस का संकेत हो सकती है। जब आपके शरीर के अंगों में एमाइलॉइड नामक प्रोटीन बनता है, तो इससे अंगोंं के कार्य प्रभावित होते हैं। ऐसे में आपको कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। यह समस्या व्यक्ति के हृदय, लिवर, किडनी, नर्वस सिस्टम और पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है। इस लेख में नारायणा अस्पताल के इंटनरल मेडिसिन और फिजीशियन डॉ पंकज वर्मा से जानते हैं कि एमिलॉइडोसिस की समस्या क्या होती है और इसमें व्यक्ति को किस तरह लक्षण महसूस हो सकते हैं?
एमिलॉइडोसिस क्या है? - What is Amyloidosis in Hindi
एमिलॉइडोसिस एक दुलर्भ रोग है। इस रोग की मुख्य वजह एमाइलॉइड नामक प्रोटीन को माना जाता है। इन प्रोटीन को शरीर द्वारा तोड़ा नहीं जा सकता है। यह प्रोटीन शरीर के जिस अंग में इकट्ठा होते हैं, उस अंग के कार्य में बाधा आने लगती है। यह एक अलग तरह के प्रोटीन होते हैं, जो शरीर के अंंदर ही बनते हैं। इन प्रोटीन के बनने का कारण आहार नहीं होते हैं। एमाइलॉइड आपके हार्ट, किडनी, लिवर, स्प्लीन, नर्वस सिस्टम और पाचन क्रिया में गड़बड़ी का कारण बन सकता है।
एमिलॉइडोसिस में क्या लक्षण महसूस हो सकते हैं- Symptoms Of Amyloidosis in Hindi
एमिलॉइडोसिस होने पर हर बार आपको लक्षण महसूस हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता है। साथ ही, इस रोग में हर व्यक्ति को अलग-अलग तरह के लक्षण महसूस (Symptoms Of Amyloidosis) हो सकते हैं। इसके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि वह किस अंग के कार्य को प्रभावित कर रहे हैं। आगे एमिलॉइडोसिस के कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में बताया है।
- सांस लेने में परेशानी होना
- पैरों में सूजन आना
- जीभ का लंबा होना
- हमेशा थकान व कमजोरी बनी रहना
- दस्त व कुछ लोगों को कब्ज हो सकती है
- आंखों के पास बैंगनी रंग के धब्बे होना, आदि।
एमिलॉइडोसिस का जोखिम कुछ लोगों को अधिक होता है। डॉक्टर के अनुसार जिन लोगों की उम्र अधिक होती है उनको इस रोग का जोखिम अधिक होता है। इसके साथ ही, महिलाओं की अपेक्षा पुरुषो को एमिलॉइडोसिस होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, जिन लोगों की किड़नी डायलिसिस से गुजरना पड़ता है, उनको एमिलॉइडोसिस का खतरा अधिक होता है।
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इस रोग का फिलहाल इलाज उपलब्ध नहीं है। लेकिन, रोग को मैनेज करने के लिए लक्षणों को कम करने का प्रयास किया जाता है। इसमें डॉक्टर प्रभावित अंग के आधार पर मेडिसिन, थेरेपी या ट्रांसप्लांट प्रक्रिया का चुनाव कर सकते हैं। इस दौरान किसी भी तरह के लक्षण महसूस होने पर आप तुंरत डॉक्टर की सलाह लें।