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भावनाओं के आधार पर करें असंतुलित चक्रों की पहचान, संतुलित करने में मिलेगी मदद

Symptoms of Emotional Imbalance in Chakras- गुस्सा, रोना और दुखी होना जैसी भावनाओं की मदद से जानें कौन-सा चक्र असंतुलित है।
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भावनाओं के आधार पर करें असंतुलित चक्रों की पहचान, संतुलित करने में मिलेगी मदद


Imbalanced Chakra Based on Emotions- हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, जिनका संतुलित होना हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। जब हमारे शरीर का कोई चक्र असंतुलित होता है तो स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। ऐसे में कौन-से से चक्र में गड़बड़ी है, इस बात का पता लगाकर आप स्वस्थ रह सकते हैं। योग गुरु ग्रीशा ढींगरा का मानना है कि, “आपकी भावनाओं का चक्र आपके मन और शरीर की स्थिति के बारे में बहुत कुछ बताता है। योग प्रणाली में, सालों के अवलोकन और अभ्यास के माध्यम से यह माना जाता है कि अगर हानिकारक भावनाओं को उच्च तीव्रता पर अनुभव किया जाता है, तो वे पुरानी शारीरिक बीमारियों का कारण बन सकती हैं।” ऐसे में आइए जानते हैं कि आपकी भावनाएं किस चक्र के असंतुलन (Emotional Blockages and Chakra Imbalances) का सिग्नल देता है। 

भावनाओं के आधार पर असंतुलित चक्रों की पहचान कैसे करें? - What Are The Emotional Symptoms Of Chakra Imbalance in Hindi?

अजना चक्र

अजना चक्र को संस्कृत में तीसरी आंख चक्र या आज्ञा चक्र के नाम से भी जाना जाता है। किसी भ्रम होना, चीजों में स्पष्टता न मिलना, एकाग्रता में कमी और परिवर्तन का डर अजना चक्र के असंतुलित होने का लक्षण हो सकता है। 

विशुद्धि चक्र 

विशुद्धि चक्र हमारे शरीर का पांचवा चक्र होता है, जिसे गले का चक्र भी कहा जाता है। इस चक्र में असंतुलन (Chakra Imbalance) होने पर आपको सार्वजनिक स्थानों पर ज्यादा लोगों के सामने बोलने से डरने लगते हैं, छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलने लगते हैं, आपकी बोली कठोर हो जाती है और सोच में नकारात्मकता आने लगती है। 

अनाहत चक्र

अनाहत चक्र चौथे नंबर का चक्र है, जिसे हृदय चक्र भी कहा जाता है।यह चक्र छाती के बीच में दिल के पास रीढ़ की हड्डी के बीच में स्थित होता है। इस चक्र के असंतुलित होने से आपके अंदर ईर्ष्या का भावन बढ़ जाता है, दूसरों को माफ करना मुश्किल होता है और अधिकार की भावना बढ़ जाती है। 

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मणिपुर चक्र 

मणिपुर चक्र शरीर का तीसरा ऊर्जा केंद्र है, जिसे सौर जाल चक्र के नाम से भी जाना जाता है। यह नाभि के पीछे होता है। मणिपुर चक्र, चयापचय और पाचन तंत्र से जुड़ा होता है, इसके असंतुलित होने पर आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आना, उदास रहना और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। 

स्वाधिष्ठान चक्र 

स्वाधिष्ठान चक्र, शरीर का दूसरा चक्र है, जिसे त्रिक चक्र भी कहा जाता है। यह चक्र कोक्सीक्स (टेलबोन) में होता है, जो शरीर के सामने नाभि के ठीक नीचे होता है। स्वाधिष्ठान चक्र, भावनात्मक, कामुकता, और रचनात्मकता से जुड़ा है। इस चक्र के असंतुलित होने पर बिना गलती के खुद को गलत समझना, खुद पर शर्म करना जैसी भावनात्मक बदलाव होते हैं। 

 

 

 

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मूलाधार चक्र 

मूलाधार चक्र, शरीर की भौतिक संरचना का आधार है, जो शरीर का पहला चक्र है। इस चक्र के अंसतुलित होने पर आपके शरीर में तनाव बढ़ जाता है, छोटी-छोटी बातों को लेकर डरना, किसी पर विश्वास करने में मुश्किल होना और असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है। 

शरीर में इन भावनात्मक बदलावों की पहचान करके आप चक्रों के असंतुलन का पता लगा सकते हैं और इन्हें संतुलित करने की कोशिश कर सकते हैं। 

Image Credit- Freepik 

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