
कोरोना वायरस के खतरों के चलते अब मास्क हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग करना जरूरी हो गया है। लॉकडाउन खुल गया है और धीरे-धीरे जीवन सामान्य होने की तरफ बढ़ रहा है। लेकिन एक चीज बदल गई है, और वो है चेहरे पर हर समय मास्क लगाए रखने की आदत। थोड़े समय के लिए मास्क लगाने में तो हमें परेशानी नहीं महसूस होती है, मगर अगर मास्क को लंबे समय तक पहनना हो, तो कुछ मुश्किलें आती हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब आप कोई मेहनत वाला काम करते हैं, जिसमें सांसें तेज हो जाती हैं।
Whatsapp पर इन दिनों एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि फेस मास्क लगाने से स्वास्थ्य को खतरा है क्योंकि इससे ऑक्सीजन की सप्लाई पर असर पड़ता है और शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है। क्या है इस दावे की सच्चाई, आइए हम आपको बताते हैं।
हम ऑक्सीजन लेते हैं, कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं
सामान्य सांस लेने की प्रक्रिया में हम हवा में मौजूद ऑक्सीजन को लेते हैं और शरीर के अंदर बदल चुकी कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकाल देते हैं। ये प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। खुली हवा में, खुली नाक और मुंह से सांस लेने पर हमें इसका आभास इसलिए नहीं होता है क्योंकि हम जन्म से ही सांस लेने के अभ्यस्त हो चुके हैं। लेकिन इन दिनों फेस मास्क लगाने के बाद कुछ लोगों को सांस रुकने, सीने में भारीपन, सिर भारी लगने जैसी समस्याएं सामने आने लगी हैं।
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कार्बन डाई ऑक्साइड शरीर के लिए नुकसानदायक है
नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कार्बन डाई ऑक्साइड का हमारे फेफड़ों में पहुंचना कई तरह से नुकसानदायक है और गंभीर परिस्थितियों में जानलेवा भी हो सकता है। इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में हाइपरकैप्निया (Hypercapnia) कहते हैं। शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड के बढ़ने के कारण सिर दर्द, धुंधला या एक से ज्यादा संख्या में इमेज दिखाई देना, चक्कर आना, ध्यान लगाने में परेशानी होना, सिर में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
कार्बन डाई ऑक्साइड शरीर में मौजूद खून की pH वैल्यू को भी रेगुलेट करता है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने पर खून एसिडिक हो सकता है और इसकी मात्रा बहुत अधिक घटने पर खून अल्कलाइन हो सकता है। ये दोनों ही समस्याएं जानलेवा साबित हो सकती हैं। इसलिए कार्बन डाई ऑक्साइड का भी बैलेंस रहना जरूरी है।
लेकिन क्या मास्क लगाने से भी ये समस्याएं हो सकती हैं?
आमतौर पर मास्क लगाने से ऐसी समस्याएं नहीं हो सकती हैं क्योंकि हमारे वातावरण में 0.4% कार्बन डाई ऑक्साइड मौजूद है। ऊपर बताए गए खतरे तब महसूस होते हैं जब हवा में कम से कम 10% कार्बन डाई ऑक्साइड हो। हालांकि कम मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड भी कई बार खतरनाक हो सकती है, खासकर सांस के रोगियों के लिए।
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क्या फेस मास्क लगाने से रुक सकती है ऑक्सीजन सप्लाई?
फेस मास्क लगाने से ऑक्सीजन की सप्लाई रुकेगी या कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा शरीर में बढ़ेगी, ये बात फेस मास्क की क्वालिटी और मैटीरियल पर निर्भर करती है। अगर मास्क ऐसे मैटीरियल का बना होगा, जिसमें से हवा ठीक से पास न हो पाए, या फिर मास्क बहुत टाइट होगा तो कुछ हद तक समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि कपड़ों से बने मास्क में ये समस्या होने की संभावना लगभग न के बराबर है क्योंकि कपड़ों में हवा के गुजरने के लिए पर्याप्त छिद्र होते हैं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार N95 मास्क को देर तक पहनने पर थोड़ी परेशानियां हो सकती हैं क्योंकि इसमें कार्बन शीट और कपड़ों की कई पर्तों का इस्तेमाल किया जाता है। ये मास्क मोटे होते हैं। हालांकि इन्हें पहनने पर भी समस्या उन्हीं लोगों को हो सकती है, जिन्हें पहले से सांस की बीमारी हो। स्वस्थ लोगों में किसी भी प्रकार के फंक्शनिंग मास्क को पहनने के बाद ऐसी समस्या होने के मामले नहीं देखे गए हैं।
कैसा मास्क पहनें?
दुनिया भर के स्वास्थ्य संगठनों और हेल्थ एक्सपर्ट्स की गाइडलाइन्स के अनुसार सामान्य लोगों को कपड़ों से बने मास्क ही पहनने चाहिए। N95 मास्क सिर्फ डॉक्टर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए हैं। कपड़ों का मास्क पहनने में भी असुविधा है, तो आप एक बार डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं क्योंकि संभव है आपको सांस की कोई तकलीफ हो, जिसके कारण असुविधा हो रही है।
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