नासा (National Aeronautics and Space Administration) के अनुसार, चंद्र या सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है। यह वैसे ही है जैसे सूर्योदय और सूर्यास्त होता है। जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है, तो इस घटना को चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2025) कहते हैं। जिस प्रकार से सूर्य ग्रहण को लेकर तमाम तरह के भ्रम हैं, उसी प्रकार से चंद्र ग्रहण को लेकर लोगों का मानना है कि, आंखों को बिना कवर किए ही Chandra Grahan को देखा जा सकता है।
दरअसल, सूर्य की रोशनी तीव्र होती है जो आंखों को चुभती है, मगर चंद्रमा को किरण तीव्र नही होती है, जिसके कारण लोग नग्न आंखों से भी चंद्र ग्रहण को देखने में गुरेज नहीं करते हैं, जबकि यह बिल्कुल भी सही नहीं है।
मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय, प्रयागराज की नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर स्वर्णिमा अग्रहरि का कहना है कि "न सिर्फ सूर्य ग्रहण बल्कि चंद्र ग्रहण को भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से आंखों की रेटिना डैमेज हो सकती है साथ कॉर्निया पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।"
चंद्रग्रहण को कैसे देखें?
डॉक्टर स्वर्णिमा के मुताबिक, चंद्र ग्रहण को दूरबीन या टेलिस्कोप (Telescope) या खास चश्मे से ही देखना चाहिए। इससे आंखें किसी नुकसान से बच जाएंगी। आइए हम आपको चंद्रग्रहण देखने के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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दूरबीन या टेलिस्कोप है सबसे बेहतर
दरअसल, चंद्रग्रहण एक ऐसी प्राकृतिक घटना है, जिसे आप आंखों से देख सकते हैं, यह पूरी तरह से सुरक्षित है। मगर ध्यान रखने वाली बात यह है कि चंद्रग्रहण सीधे आंखों से देखने के बजाए टेलिस्कोप से देखें। चंद्रग्रहण देखने के लिए आप दूरबीन या टेलिस्कोप का प्रयोग कर सकते हैं। इन चीजों को इस्तेमाल करते वक्त आपको किसी तरह के खास फिल्टर की जरूरत नहीं होती।
यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
- पूर्ण चंद्र ग्रहण
- आंशिक चंद्र ग्रहण
- उपच्छाया चंद्र ग्रहण
पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया (अम्ब्रा) पूरी तरह से चंद्रमा को ढक लेती है। इस दौरान, चंद्रमा अक्सर लाल-नारंगी रंग का दिखाई देता है, जिसे "ब्लड मून" भी कहा जाता है। यह लालिमा पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरने वाली सूर्य की रोशनी के कारण होती है, जो छनकर चंद्रमा पर पड़ती है।
आंशिक चंद्र ग्रहण में, पृथ्वी की छाया का केवल एक हिस्सा ही चंद्रमा पर पड़ता है, जिससे उसका कुछ भाग अंधकारमय और कुछ भाग प्रकाशित रहता है।
वहीं, उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की मुख्य छाया (अम्ब्रा) में न जाकर उसकी बाहरी और हल्की छाया (पैनम्ब्रा) से होकर गुजरता है, जिससे चंद्रमा की चमक में केवल हल्का सा धुंधलापन आता है, जिसे पहचानना कई बार मुश्किल होता है।
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लगातार न देखें चंद्र ग्रहण
हालांकि चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण की तुलना में आंखों के लिए बहुत कम हानिकारक है, फिर भी लंबे समय तक लगातार टकटकी लगाकर देखने से बचना चाहिए। विशेषकर, जब आप किसी ऑप्टिकल उपकरण जैसे दूरबीन का उपयोग कर रहे हों, तो बीच-बीच में अपनी आंखों को आराम देना एक अच्छा अभ्यास है। इससे आंखों में किसी भी प्रकार के तनाव या थकान की संभावना कम हो जाती है। आंखों की सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, चाहे खगोलीय घटना कोई भी हो। इसके अलावा, यदि आप इस खगोलीय घटना की तस्वीरें लेना चाहते हैं, तो एक ट्राइपॉड का उपयोग करना बेहतर होता है। इससे कैमरा स्थिर रहेगा और आप लंबे एक्सपोजर वाली स्पष्ट तस्वीरें ले सकेंगे। चंद्र ग्रहण धीमी गति से घटित होने वाली प्रक्रिया है, जो कई घंटों तक चल सकती है, इसलिए धैर्य के साथ इसका अवलोकन करना एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।
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