उल्टी, पेट दर्द और भूख न लगने जैसे लक्षण हो सकते हैं गैस्ट्रोपेरेसिस का संकेत, जानें इस बीमारी के बारे में

गैस्ट्रोपेरेसिस पेट में होने वाली समस्या है। इस बीमारी में इंसान को खाना डाइजेस्ट करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में ठोस खाद्य पदार्थ को पचाने में काफी समस्या होती है, जिसके कारण मरीज का पेट फूलना, सूजन, उल्टी और पेट भरा-भरा सा महसूस होता है।
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उल्टी, पेट दर्द और भूख न लगने जैसे लक्षण हो सकते हैं गैस्ट्रोपेरेसिस का संकेत, जानें इस बीमारी के बारे में

गैस्ट्रोपेरेसिस पेट में होने वाली समस्या है। इस बीमारी में इंसान को खाना डाइजेस्ट करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में ठोस खाद्य पदार्थ को पचाने में काफी समस्या होती है, जिसके कारण मरीज का पेट फूलना, सूजन, उल्टी और पेट भरा-भरा सा महसूस होता है। इन सभी परेशानियों के कारण मरीज का कुछ भी खाने का मन नहीं होता है। इसके अलावा गैस्ट्रोपेरेसिस में मरीज के पेट के ऊपरी भाग में कभी-कभी दर्द जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

आपको बता दें कि हाल ही के कुछ सालों में संयुक्त राज्य अमरीका में लगभग 10 लाख पुरुष और 40 लाख महिलाओं में यह बीमारी देखने को मिल रही है। यानी अमरीका के लोगों में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। फिलहाल इस समय भारत में भी इस बीमारी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। पहले के समय में भारत में यह बीमारी बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलती थी, लेकिन आज के समय में बहुत ही कम लोग इस बीमारी के कारण और उपचार के बारे में जानते हैं। आइए जानते हैं, कि गैस्ट्रोपेरेसिस क्या है और कैसे इससे बचा जा सकता है। 

गैस्ट्रोपैरिसिस के लक्षण

गैस्ट्रोपैरिसिस के कुछ सामान्‍य लक्षण हैं, जैसे- जी मिचलाना, उल्टी आना, भूख न लगना, थोड़ा खाना खाने पर ही पेट भरा हुआ महसूस होना, पेट का फूलना और दर्द होना, वजन का घटना और ब्लड शुगर लेवल का कम हो जाना। यह सभी गैस्ट्रोपैरिसिस की समस्या के लक्षण है। अगर आपको भी इस तरह की समस्या होती है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और जल्द से जल्द इसका उपचार करवा लेना चाहिए। 

गैस्ट्रोपेरेसिस में होने वाली समस्याएं 

गैस्ट्रोपेरेसिस में मरीज को इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है-

डिहाईड्रेशन 

इस बीमारी में मरीज को डिहाईड्रेशन की समस्या सबसे ज्यादा होती है क्योंकि मरीज का डाइजेशन सिस्टम ठीक तरह से काम नहीं करता है। अगर आपको यह समस्या है, तो आप ठोस पदार्थ को खाने के बाद डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा मरीज को उल्टी जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है।

कुपोषण

इसके अलावा मरीजों में कुपोषण की समस्या भी देखने को मिलती है। आमतौर पर गैस्ट्रोपैरिसिस से पीड़ित रोगियों को भूख कम लगती है, जिसका अर्थ है कि उनके शरीर को उचित पोषण नहीं मिलता है। सही मात्रा में भोजन न करने के कारण मरीजों में कुपोषण की समस्या हो जाती है।

बैक्टीरियल इंफेक्शन

इस तरह के मरीजों को लाइट डाइटे लेनी चाहिए। कई बार मरीज ऐसा खाना खा लेते हैं जो पचता नहीं है या फिर डाइजेस्ट होने में काफी समय लेता है, जिसके कारण मरीज का डाइजेस्टिव सिस्टम भी खराब होने लगता है और मरीज के शरीर में जीवाणु संक्रमण बनने की संभावना पैदा हो जाती है। इसके अतिरिक्त जो खाना डाइजेस्ट नहीं हो पाता है वो भोजन मरीज के पेट में रहता है और एक ठोस संग्रह में इकट्ठा होता रहता है और यह ठोस संग्रह भोजन को छोटी आंत में जाने से रोक सकता है।

ब्लड शुगर

इसके अलावा मरीजों को ब्लड शुगर जैसी कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। मरीज के रक्त शर्करा में काफी असामान्यता देखने को मिलती है।

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गैस्ट्रोपैरिसिस के उपाय

अगर किसी में भी गैस्ट्रोपेरेसिस जैसी समस्या के लक्षण देखने को मिलते हैं, तो आपको इस बीमारी से बचने के लिए सबसे पहले अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि इस बीमारी में आप लापरवाही नहीं बरत सकते हैं। लापरवाही बरतने पर यह समस्या बड़ा रुप ले सकती है। इस बीमारी का निदान अपने आप नहीं हो सकता है। इसलिए मरीज को चिकित्सा परीक्षण कराने के बाद ही किसी भी तरह का कदम उठाना चाहिए। आज के समय में आमतौर पर किसी भी स्थिति में मरीज को सबसे पहले अपना परीक्षण कराना चाहिए। उसके बाद ही आपको कोई दूसरा कदम उठाना चाहिए।

खानपान में बदलाव

आमतौर पर लोग छोटे-छोटे भागों में दिन में 4 से 5 बार भोजन करते हैं। भोजन के द्वारा इंसान को वसा, कार्बेहाइड्रेट और प्रोटीन जैसे कई पोषक तत्व मिलते हैं। इसके साथ ही हमारे शरीर को ऊर्जा भी भोजन के द्वारा ही मिलती है। इस बीमारी के रोगियों को भोजन को अच्छी तरह से चबाने की सलाह दी जाती है क्योंकि मरीजों का पेट अपने आप इसे पीस नहीं पाता है। इसके अलावा गैस्ट्रोपेसिस रोगियों को कार्बोनेटेड पेय, शराब, धूम्रपान जैसे मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।

दवाइयां

प्रोकेनेटिक्स नामक कुछ दवाएं हैं, जो गैस्ट्रोपेरेसिस के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, कुछ विटामिनों के साथ पूरक और बनाए रखने के लिए जलायोजन यानि अधिक से अधिक पानी पीने की आवश्यकता होती है।

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सर्जिकल उपचार

दवाइयों के अलावा कई गंभीर केस में मरीज का ऑपरेशन भी किया जाता है। इसमें एक ट्यूब शल्य चिकित्सा से छोटी आंत में रखा जाता है। इसके अलावा, इस बीमारी में डॉक्टर वैकल्पिक रूप से एक गैस्ट्रिक वेंटिंग टू की भी सलाह देते हैं। डॉक्टर्स इस बीमारी के मरीजों को तरल पदार्थ खाने की सलाह देते हैं और रोगी की स्थिति के आधार पर उसका इलाज किया जाता है।

इस बीमारी के होने के बाद इससे निजात पाने के लिए लोग सर्जरी का भी उपयोग करते हैं। सर्जरी के बाद पेट, ऊपरी आंत और छाती में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। गैस्ट्रोपेरेसिस होने की स्थिति में कई बार मरीजों की वेगस तंत्रिका (vagus nerve) भी डैमेज हो जाती है, लेकिन ऐसा किसी-किसी केस में ही देखने को मिलता है। यानि यह जरूरी नहीं है कि ऐसा सभी के साथ हो।

न्यूरोलॉजिकल डिसीज

आज के समय में पार्किंसंस और मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण गैस्ट्रोपेरेसिस की समस्या होती है। आम लोगों को मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण कई तरह की बीमारियों को भी झेलना पड़ता है। गैस्ट्रोपेरेसिस की वजह से कई बार मरीजों में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। इस बीमारी की कुछ दवाइयों के कारण कई बार लोगों में हाई बीपी जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। यह छोटे-छोटे कारण ही गैस्ट्रोपेरेसिस जैसी बीमारी को जन्म देते हैं और इसके कारण ही मरीज के डाइजेशन सिस्टम में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

इनपुट्स- डॉ. विनीता प्रियंबदा, सीनियर कसंलल्टेंट, मेडिकल टीम, डॉकप्राइम.कॉम

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