फाइलेरिया (हाथी पांव) एक गंभीर समस्या है, जिसमें शरीर के अंगों जैसे हाथ, पैर का वजन बढ़ सकता है। इससे बचाव और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए उत्तर प्रदेश में एक अभियान चलाया जा रहा है। दरअसल, प्रदेश में गुरुवार से फाइलेरिया से बचने के लिए अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान 28 अगस्त तक चलाया जाएगा। अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों को दवाएं खिलाई जाएंगी, जिससे उनमें फाइलेरिया होने के खतरे को कम किया जा सके।
प्रेग्नेंट महिलाओं को नहीं खिलाई जाएगी दवा
राज्य कार्यक्रम अधिकारी फाइलेरिया डॉ. वीपी सिंह ने बताया कि प्रेग्नेंट महिलाओं, 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ ही गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवाओं का सेवन नहीं कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया की दवाएं स्वास्थ्य के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। अर्थराइटिस, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को भी यह दवाएं खानी चाहिए।
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फाइलेरिया से होने वाली अन्य समस्याएं
अपर निदेशन वेक्टर बोर्न डिजीज चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के डॉ. भानि प्रताप सिंह कल्याणी ने बताया कि फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों में अंडकोश की थैली में सूजन यानि हाइड्रोसील, लिम्फेडेमा या फिर सफेद पेशाब आना आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। फाइलेरिया से बचने के लिए खाई जाने वाली दवाओं का सेवन कर इन समस्याओं के खतरे से भी बचा जा सकता है।
फाइलेरिया से बचने के तरीके
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने प्रयागराज के फाइलेरिया और मलेरिया नियंत्रण अधिकारी डॉ ए के सिंह से बातचीत की। उन्होंने बताया कि यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है, इसलिए इससे बचने के लिए अपने आस-पास पानी जमा न होने दें साथ ही मच्छरों से बचने के लिए साफ-सफाई रखें। ऐसे में घर के खिड़की-दरवाजे बंद रखें, जिससे मच्छर न आ सकें।