बच्चों में भी हो सकती है यूरिन इफेक्शन की समस्या, ऐसे करें बचाव

बार बार पेशाब लगने से प्यास भी अधिक लगने लगती है। यूरिन इन्फेक्शन के कारण अगर आपका बच्चा दिन भर में 4 से 5 बार पेशाब करता है तो यह एकदम नॉर्मल है लेकिन अगर वह बढ़ कर 7 से 8 हो जाए तो यह चिंता का विषय होता है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण होता है बैक्टीरिया।
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बच्चों में भी हो सकती है यूरिन इफेक्शन की समस्या, ऐसे करें बचाव


यूरीनरी ट्रेक्ट इनफेक्शन (यूटीआई), यह मूत्र मार्ग का संक्रमण होता है। यह न सिर्फ बड़ों बल्कि बच्‍चों में भी ये समस्‍या पाई जाती है। बच्चों में यह संक्रमण एक गंभीर समस्या है सही समय पर इस बीमारी का इलाज करना बेहद ज़रूरी होता है। बच्चे हो या बड़े अगर अगर बार पेशाब आने की समस्या हो रही है तो ऐसे में डिहाइड्रेशन होना कोई नयी बात नहीं है। बार बार पेशाब लगने से प्यास भी अधिक लगने लगती है। यूरिन इन्फेक्शन के कारण अगर आपका बच्चा दिन भर में 4 से 5 बार पेशाब करता है तो यह एकदम नॉर्मल है लेकिन अगर वह बढ़ कर 7 से 8 हो जाए तो यह चिंता का विषय होता है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण होता है बैक्टीरिया।

आमतौर पर आंत में रहने वाले बैक्टीरिया यूटीआई उत्पन्न करते हैं। इसके अन्य और भी कई कारण होते हैं जैसे कब्ज़, मूत्रत्याग हेतु प्रतीक्षा करना, तरल पदार्थ कम मात्रा में पीना। आज हम आपको इस लेख के माध्‍यम से बच्‍चों में होने वाली यूरीन इंफेक्‍शन के बारे में बात करेंगे।

बच्‍चों में यूरीन इंफेक्‍शन के कारण

1. डायबिटीज इन्सीपिंडस
2. पोटैशियम की कमी
3. सिर पर चोट लगना
4. अत्यधिक पानी पीने के कारण
5. मैनीटॉल चिकित्सा के कारण
6. डायबिटीज मेलीटस

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बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण

1. बुखार आना
2. पेशाब करते समय दर्द होना
3. चिड़चिड़ापन
4. बार-बार पेशाब आना
5. वोमेटिंग
6. पेशाब के रंग में परिवर्तन और झाग बनना  
7. पेशाब से दुर्गंध आना  
8. पसली और कूल्हे की हड्डी के बीच के हिस्से में या पेट में दर्द

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यूटीआई से बचने के उपाय

बच्चों को इस संक्रमण से बचाने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते हैं। जब भी आप अपने बच्चे की नैपी बदलें उसके नितम्बों को आगे और पीछे की तरफ से अच्छे से साफ़ कर लें। ज़्यादा देर तक उसे गंदे नैपी में न रखें। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ ले। यदि आपका बच्चा यह बता सकता है कि उसे मल मूत्र त्याग करना है तो उसे साफ सफाई के विषय में अच्छे से समझाएं। हर बार मूत्र त्याग करने के बाद उसे अपने गुप्तांग को पानी से धोना सीखाएं। इस प्रकार ऐसी छोटी छोटी बातों को ध्यान में रख कर आप अपने बच्चे को इस तरह के रोगों से दूर रख सकते हैं।

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