हाल में हुए एक्सेटर विश्वविद्यालय में किए गए एक शोध में पाया गया है कि सात वर्ष से कम उम्र के बच्चे, जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज का पता चलता है, उनमें 13 वर्ष या उससे अधिक उम्र में इलाज की तुलना में स्थिति का एक अलग रूप होता है।
टाइप 1 डायबिटीज क्या है ?
टाइप 1 डायबिटीज वह स्थिति है, जब शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर अटैक करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। जिसका मतलब होता है कि वे अब प्रभावी रूप से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित नहीं करती हैं। ऐसे में टाइप 1 डायबिटीज स्थिति से प्रभावित लोगों को दिन में कई बार इंसुलिन इंजेक्ट करने की आवश्यकता होती है।
क्या कहती है रिसर्च?
डायबेटोलोजिया- यूरोपीय एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (EASD) जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, जिसमें यह पाया गया कि कैसे 7 साल से कम उम्र के बच्चों का इलाज में इंसुलिन प्रक्रिया ठीक ढंग से प्रोसेस नहीं कर पाती है क्योंकि इसे बनाने वाली कोशिकाएं जल्दी से नष्ट हो जाती हैं। हैरानी की बात यह है कि बड़े बच्चों यानि 13 वर्ष या अधिक आयु के हैं, उनके इलाज में वे अक्सर सामान्य इंसुलिन का उत्पादन जारी रखते हैं।
इसे भी पढें: जल्द आएगी कई तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस से लड़ने में मददगार नई यूनिवर्सल फ्लू वैक्सीन: शोध
एक्सेटर टीम ने दो अलग-अलग एंडोटाइप्स के लिए नए नामों का सुझाव दिया- टाइप 1 डायबिटीज एंडोटाइप 1 (T1DE1), जो सबसे कम उम्र के बच्चों में इलाज के लिए है, और बड़े बच्चों के लिए यह टाइप 1 डायबिटीज एंडोटाइप 2 (T1DE2) है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर नोएल मॉर्गन ने कहा, "हम इस बात का प्रमाण पाकर बेहद उत्साहित हैं कि टाइप 1 डायबिटीज दो अलग-अलग स्थितियां हैं। T1DE 1 और T1DE 2, इसका महत्व हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि इसका क्या कारण है। इसके अलावा, बीमारी और भविष्य की पीढ़ियों को टाइप 1 डायबिटीज से बचाने के लिए नए रास्तों को अनलॉक करने में मदद करेगा। इससे नए उपचार भी हो सकते हैं, यदि हम बढ़ती उम्र में निष्क्रिय इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को पुन: सक्रिय करने के तरीके खोज सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो कुछ लोगों के लिए एक इलाज खोजने के लिए सहायक होगा। "
इसे भी पढें: जल्द टलने वाला है कोरोनावायरस का खतरा! इस देश ने तैयार की वैक्सीन, जानिए कितने दिन में मिलेगी
130 सैंपल के साथ निकाला परिणाम
एक्सेटर टीम 130 से अधिक सैंपल वाले एक्सेटर अग्नाशय बायोबैंक सहित दो बायोरिर्सोसेस का विश्लेषण करके, अपने निष्कर्ष पर पहुंची। जिनमें से कई बच्चे और युवा लोग हैं, जो टाइप 1 डायबिटीज के इलाज के तुरंत बाद मर गए।
Read More Article On Health News In Hindi
Read Next
COVID-19 Update: भारत में कोरोनावायरस से 110 लोग संक्रमित, हेल्थ मिनिस्ट्री उठा रहा है जरूरी कदम
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version