
14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है जिसका मकसद है लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना और इसी कड़ी में हम भी आपको सच्ची घटना और अनुभवों के आधार पर इस बीमारी से प्रति जानकार बनाना चाहते हैं। इस प्रयास में हमने डायबिटीज से गुजर चुकीं शुभि भल्ला से बात करके उनके अनुभव जानें। जब शुभि बारवीं की पढ़ाई कर रही थीं तभी उन्हें डायबिटीज की बीमारी हो जाने का पता चला था। जिस समय उनके शरीर में डायबिटीज डायगनोस हुई उस समय शुभि मात्रा 17 साल की थीं। पढ़ाई के प्रेशर के साथ-साथ बढ़ती उम्र के हार्मोनल चेंज और ऊपर से डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी। इतना सब कुछ जब साथ चल रहा हो तो इंसान के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है पर इसके बावजूद डायबिटीज आज के समय में युवाओं से लेकर टीएजर्स में भी नजर आने लगी है। कम उम्र में शुभि ने डायबिटीज के साथ जीना कैसे सीखा, आइए जानते हैं शुभि की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी।
कम उम्र में डायबिटीज होना एक बुरे सपने जैसा था
फरीदाबाद की रहने वाली 24 वर्षीय शुभि भल्ला पेशे से डिजिटल मार्केटिंग वर्कर हैं और इन्हें टाइप 1 डायबिटीज की बीमारी उस उम्र से है जिसमें बच्चे बीमारी को ठीक तरह से समझते भी नहीं हैं। शुभि ने बताया कि 17 साल की उम्र में उन्हें पहली बार पता चला कि उन्हें डायबिटीज है हालांकि इस बीमारी के लक्षण काफी पहले से शुरू हो गए थे पर जानकारी की कमी के चलते काफी बाद में डायबिटीज का पता चला।
शुभि ने बताया मेरा वजन लगातार कम हो रहा था और मुझे हर समय भूख लगती थी जिसके चलते मैंने कई चेकअप करवाए पर जब सच में डायबिटीज का पता चला तो वो एक बुरे सपने जैसा था, शुरूआत में लगता था मैं फिर से ठीक हो जाऊंगी पर यही गलती ज्यादातर डायबिटीज मरीज करते हैं, डायबिटीज हो जाने पर समय पर दवा, इंसुलिन और डाइट फॉलो करने का बहुत बड़ा रोल है जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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डायबिटीज की बीमारी कैसे हो जाती है? (Diabetes)
जब खून में शुगर की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो उस बीमारी को ही डायबिटीज कहा जाता है। इस बीमारी से इंसुलिन का काम रुकता है। इंसुलिन को पैंक्रियाज बनाता है और इंसुलिन, ग्लूकोज को एनर्जी में बदलता है। जब ये कार्य रुक जाता है तो ग्लूकोज एनर्जी में बदलने के बजाय खून में बढ़ जाता है जिससे डायबिटीज जैसी समस्या बनती है।
हाई शुगर में भर्ती होने की नौबत आ गई
शुभि ने बताया कि इलाज न करवाने के कारण मेरी शुगर इतनी बढ़ गई कि चेकअप के लिए जब अस्पताल गई तो डॉक्टर ने इलाज के लिए मुझे आठ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कर लिया। शुभि ने बताया कि कॉलेज में भी मुझे डायबिटीज के साथ पढ़ाई पूरी करने में दिक्कत होती थी, कभी भी तबीयत बिगड़ जाती थी क्योंकि मेरी तरह ज्यादातर लोग अपने शुगर लेवल को न तो कंट्रोल करते हैं और न उस पर नजर रखते हैं। लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव ने बताया कि ज्यादातर लोग डायबिटीज को समझ नहीं पाते जिसके कारण वो हमेशा स्ट्रेस में रहते हैं इसलिए आपको अपने शरीर के मुताबिक डॉक्टर व डायटीशियन से संपर्क कर अपनी डाइट और रूटीन तय करना चाहिए।
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ग्लूकोज़ मॉनिटर की रीडिंग लेते रहें
शुभि ने बताया कि मुझे टाइप 1 डायबिटीज तो मेरा ब्लड शुगर लेवल कम भी होता है और बढ़ भी जाता है। अगर शुगर लेवल कम है तो उसे बढ़ाने के लिए शुगर इंटेक करने की सलाह डॉक्टर देते हैं पर अगर शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो उसे कम करने में मुश्किल होती है इसलिए जिन्हें भी डायबिटीज है उन्हें अपना शुगर लेवल कंट्रोल में रखना चाहिए। डॉ सीमा यादव ने बताया कि डायबिटीज को कंट्रोल रखने के लिए आप अपने साथ ग्लूकोज़ मॉनिटर रखें ताकि आपको पता चले कि किस समय और किस चीज से आपकी शुगर बढ़ रही है या घट रही है और उसी अनुसार अपनी डाइट बनाएं।
डायबिटीज में पसंदीदा डिश छोड़ने की जरूरत नहीं है
शुभि ने अपने जैसे अन्य डायबिटीज रोगी और आम जनता की मदद के लिए इंस्टाग्राम अकाउंट बनाया है जिसका नाम है insulivinwithshubhi इस अकाउंट पर शुभि डायबिटीज से जुड़े जरूरी उपकरण जैसे डायबिटीज मॉनिटर, इंजेक्शन, इंसुलीन आदि पर जानकारी देती रहती हैं इसी के साथ शुभि डायबिटीज से जुड़े मिथ पर भी अपनी राय लोगों को बताती हैं जिनमें से एक मिथ के बारे में शुभि ने बताया कि लोगों को लगता है कि डायबिटीज होने पर उन्हें अपनी पसंदीदा डिश छोड़नी पड़ेगी पर ऐसा नहीं है, अगर आप शुगर लेवल मेनटेन कर रहे हैं, हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो कर रहे हैं तो आपको डायबिटीज से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत है, आप डॉक्टर से सलाह लेकर अपनी पसंदीदा चीज़ खा सकते हैं पर उसका असर आपके शरीर पर किस तरह होगा इस पर नजर रखें।
इंसुलिन लेने से तेज दर्द नहीं होता
शुभि ने बताया कि मेरी उम्र के कई युवाओं को ऐसा लगता है कि इंसुलिन लगाने से बहुत दर्द होता है पर ऐसा नहीं है। इंसुलिन का इंजेक्शन बहुत छोटा और पतला होता है, आप प्रैक्टिस करके इसे खुद भी लगा सकते हैं इससे आपको दर्द नहीं होगा। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन लेना जरूरी होता है। इंसुलिन के जरिए ब्लड में मौजूद कोशिकाओं को शुगर मिलती है जिससे सैल्स को ऊर्जा मिलती है। इंसुलिन एक नैचुरल हार्मोन है जो डायबिटीज में बनना बंद हो जाता है इसलिए उसे इंजेक्शन के जरिए लेना अनिवार्य हो जाता है।
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कम उम्र में डायबिटीज कैसे कंट्रोल करें? (How to control diabetes in young age)
कम उम्र में डायबिटीज हो तो उसे कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों को बेहतर करें जैसे-
- प्रोसेस्ड फूड या फास्ट फूड का सेवन न करें, फास्ट फूड से आपका वजन बढ़ जाएगा और मोटापे के लक्षण नजर आने लगेंगे।
- कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम शेक, मॉकटेल आदि चीजों से दूर रहें, कम उम्र में एल्कोहॉल की लत भी अच्छी नहीं है इसलिए उससे दूर बरतें।
- समय पर सोएं, नींद पूरी करें और एक्सरसाइज को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं, हर उम्र में एक्सरसाइज आपके शरीर के लिए जरूरी है।
डायबिटीज से बचने का सबसे बेहतर उपाय है बचाव, आपको हर छह महीने या तीन महीने में एक बार शुगर की जांच करवानी चाहिए ताकि डायबिटीज जैसी बीमारी से सही समय पर बचा जा सके।
main and inside image source:shubhibhalla