
आजकल टाइप-1 डायबिटीज के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। यह डायबिटीज के सबसे गंभीर प्रकार में से एक है। यह बीमारी सभी उम्र के लोगों में बेहद सामान्य हो गई है। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनना कम हो जाता है या बंद ही हो जाता है। लेकिन अगर दवाइयों के साथ ही अपनी जीवनशैली पर भी ध्यान दिया जाए, तो इस बीमारी के लक्षणों में काफी हद तक कमी की जा सकती है। ऐसा ही fused training के फाउंडर साहित ओम मदान ने करके दिखाया।
साहित को साल 2011 में टाइप-1 डायबिटीज की शिकायत हुई थी, लेकिन हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देकर वे इस बीमारी से निजात पाने में कामयाब हुए। इस समय साहिल सोशल मीडिया पर लोगों को टाइप-1 डायबिटीज के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं। चलिए जानते हैं साहिल क्या कुछ बताते हैं अपने टाइप-1 डायबिटीज के बारे में-
क्या है टाइप-1 डायबिटीज (what is type-1 diabetes)
टाइप-1 डायबिटीज एक गंभीर समस्या है। कई लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। टाइप-1 डायबिटीज होने पर शरीर में इंसुलिन बनना कम हो जाता है, कुछ लोगों में इंसुलिन बनना बिल्कुल बंद हो जाता है। दरअसल, इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है, जो शुगर को रक्त में मिलाने में मदद करता है। शरीर में इसकी कमी डायबिटीज का कारण बनती है। इसे दवाइयों के साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करके कंट्रोल में किया जा सकता है। टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज में अंतर होता है।
कैसे होता है टाइप-1 डायबिटीज
टाइप-1 डायबिटीज से दुनियाभर में करोड़ों लोग पीड़ित हैं। इस स्थिति में इम्यून सिस्टम शरीर में इंसुलिन बनाने वाले अंग, पैनक्रियाज पर हमला करते हैं, उसके सारे सेल्स को नष्ट कर देता है। ऐसी स्थिति में शरीर शुगर नहीं पचा पाता और व्यक्ति टाइप-1 डायबिटीज का शिकार हो जाता है। टाइप-1 डायबिटीज के लोगों को इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है। साथ ही बार-बार ब्लड शुगर लेवल की भी जांच करनी पड़ती है। टाइप-1 डायबिटीज में ब्लड शुगर कम होने पर हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो सकते हैं।
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साहिल को डायबिटीज का पता कब लगा?
साहिल ओम मदान बताते हैं कि सितंबर 2011 में पता चला कि मुझे डायबिटीज हो गया है। उस समय मैं 20 साल का था। शुरुआत में मुझे इसके लक्षण देखने को मिले, लेकिन मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया। लगभग 2 महीने तक डायबिटीज के लक्षण दिखने पर पता चला कि मुझे मधुमेह केटोएसिडोसिस हो गया है। मधुमेह कोटोएसिडोसिस डायबिटीज की एक गंभीर स्थिति है। यह तब होती है, जब शरीर केटोन्स नामक रक्त एसिड के उच्च स्तर का उत्पादन करता है। बार-बार पेशाब आना, थकान लगना, जरूरत से ज्यादा भूख लगना, सिरदर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना आदि डायबिटीज के मुख्य लक्षण हैं।
टाइप-1 डायबिटीज ने साहिल की दिनचर्या को किस तरह से प्रभावित किया?
टाइप-1 डायबिटीज एक पुरानी स्थिति है। इसका रोगी के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है। डायबिटीज वाले व्यक्ति को अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए रोजाना कई निर्णय लेते होते हैं। साहिल बताते हैं कि टाइप-1 डायबिटीज ने मेरे जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया था। लेकिन मैं अपने हर दिन और हाइपो या हाइपरग्लेसेमिया से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं। हम अपने पूरे दिन में जो भी कार्य करते हैं, उसका हमारे रक्त शर्करा के स्तर पर भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है।
टाइप-1 डायबिटीज से निपटने के लिए साहिल ने क्या कुछ किया?
साहित बताते हैं कि जब मुझे टाइप-1 डायबिटीज का पता चला तो, उस समय मैंने अपना लगभग 15 किलो वजन कम किया था। मैं अपनी फिटनेस, हेल्थ को लेकर काफी कॉन्शस था। जब मुझे टाइप-1 डायबिटीज हो गया, तो मैंने एक नियमित जीवन जीने का फैसला किया। अपने दिनचर्या में सुधार किया और इससे मुक्त होने का निर्णय लिया।
हेल्दी इटिंग हैबिट्स को फॉलो किया : साहिल
साहिल बताते हैं कि टाइप-1 डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए उन्होंने अपनी डाइट पर भी खास ध्यान दिया है। साहिल बताते हैं कि टाइप-1 डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए बैलेंस डाइट को फॉलो करना चाहिए। टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए प्रोटीन से भरपूर डाइट लेना जरूरी होता है। प्रोटीन शुगर लेवल को मैनेज करने में मदद करता है। आपको रात के खाने में लो कार्ब डाइट लेनी चाहिए। हाई कार्ब डाइट लेने से बचें।
रेगुलर एक्सरसाइज करना है जरूरी : साहिल
एक्सरसाइज करना हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो आपको नियमित रूप से एक्सरसाइज या व्यायाम जरूर करना चाहिए। साहिल बताते हैं कि वे अपनी फिटनेस को लेकर पहले से ही काफी कॉन्शस हैं। वे एक्सरसाइज हमेशान से ही करते आए हैं। अपने टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल में करने के लिए भी साहिल एक्सरसाइज जरूर करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य का मजबूत होना बहुत जरूरी है : साहिल
साहिल बताते हैं कि टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी काफी ध्यान दिया है। वे बताते हैं कि डायबिटीज आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इस स्थिति में रोगी के मन में तरह-तरह के नकारात्मक विचार आते हैं। इसलिए जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखा जाए। अपने मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाकर साहिल ने टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल में रखा है।
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टाइप-1 डायबिटीज से निपटने में परिवार का कितना सपोर्ट मिला?
टाइप-1 डायबिटीज से निपटने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आपको परिवार, दोस्तों की बहुत जरूरत होती है। मुझे इस बीमारी से निपटने के लिए मेरे परिवार वालों और दोस्तों ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। डायबिटीज को ठीक करने के लिए इंसुलिन लेना बहुत जरूरी होता है, लेकिन यह ही एकमात्र इलाज नहीं है। परिवार का साथ इसके लिए जरूरी है।
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टाइप-1 डायबिटीज ने साहिल के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित किया?
साहिल बताते हैं कि टाइप-1 डायबिटीज ने मेरे मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया था। डायबिटीज के लक्षणों में कमी महसूस करने के लिए मैं हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहने की कोशिश करता था। मन, दिमाग को शांत करने के लिए ध्यान लगाता था, काम से ब्रेक लेता था। इसके साथ रहना एक कठिन स्थिति है।
टाइप-1 डायबिटीज को लेकर सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाने का उद्देश्य क्या था?
आजकल डायबिटीज मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। कई लोग इससे परेशान होते हैं और गलत कदम तक उठाने का सोचते हैं। लोग डायबिटीज को एक गंभीर बीमारी समझ लेते हैं। ऐसे में इसके प्रति जागरुकता फैलाना बहुत जरूरी था। इसलिए इसके लिए मैंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चुना। साहिल बताते हैं कि मैंने सभी उम्र के टाइप 1 डायबिटीज के कई लोगों से बातचीत की है। यहा तक कि कुछ लोग तो आत्महत्या तक की सोच रहे थे। मैं डायबिटीज से पीड़ित एक शिक्षक और कोच को भी परामर्श दिया है।
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