IVF Success Story in Hindi: "निःसंतान रहना बहुत कठिन और हताश करने वाला अनुभव होता है। शादी के 5 साल तक भी जब मैं कंसीव नहीं कर पाई, तो मैं और मेरे पति (नवीन अरोड़ा) काफी टूट गए थे। हमने शादी के एक साल बाद ही फैमिली प्लान करने का सोच लिया था। लेकिन जब ट्राई किया, तो सफलता नहीं मिली। एक-दो साल तक ट्राई करने के बाद जब सफलता नहीं मिली, तो हमने कोशिश जारी रखी। लेकिन जब 3 साल तक हमें कोई रिजल्ट नहीं मिला, तो हमने डॉक्टर से मिलने का सोचा। इस बीच हम आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिलें और दवाइयों का सेवन किया। लेकिन फिर भी कोई रिजल्ट नहीं मिला। जब 5 साल तक भी मैं कंसीव नहीं कर पाई, तो हमने स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलने का सोचा। इसी बीच मेरी एक दोस्त ने मुझे आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. शोभा गुप्ता से मिलने को कहा। फिर डॉक्टर ने मुझे आईवीएफ लेने की सलाह दी।" यह सब कहना है, 39 वर्षीय डिंपल अरोड़ा (बदला हुआ नाम) का, जो अपनी शादी के लगभग 5 साल बाद आईवीएफ के जरिए मां बनी। सिर्फ डिंपल और नवीन ही नहीं, कई ऐसे कपल्स हैं, जो संतान प्राप्ति के लिए आईवीएफ का सहारा ले रहे है। लेकिन आज भी कपल्स आईवीएफ के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है। ओनलीमायहेल्थ भी #KhushkhabriWithIVF कैपेंन चला रहा है। आज के इस लेख में हम आपको डिंपल और नवीन के आईवीएफ की कहानी बता रहे हैं, उन्हीं की जुबानी-
आपको बता दें कि डिंपल अरोड़ा नोएडा में ज्वाइंट फैमिली में रहती हैं। साल 2015 में उनकी शादी नवीन अरोड़ा से हुई। शादी के डेढ़ साल बाद से डिंपल और नवीन संतान प्राप्ति के लिए कोशिश करने लगे थे। लेकिन कई बार कोशिश के बाद भी डिंपल कंसीव नहीं कर पाती थीं। डिंपल बताती हैं, "मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी। पढ़ाई और करियर की वजह से मैंने 32 साल की उम्र में शादी की। शादी के बाद भी मैंने जॉब जारी रखी। फिर जब बच्चा करने का सोचा, तो हम उसमें सफल नहीं हो पा रहे थे। जब लगभग 5 सालों तक ट्राई करने के बाद मैं कंसीव नहीं कर पाई, तो हमने आईवीएफ का सहारा लिया।"
5 सालों से गर्भधारण की कर रहे थे कोशिश
डिंपल बताती हैं, "हमारी शादी को 8 साल हो गए है। शादी के एक साल बाद ही हमने बेबी प्लान करने का सोच लिया था। लेकिन कई कोशिशों के बाद भी मैं कंसीव नहीं कर पा रही थी। जब 5 साल बाद तक मैं गर्भधारण करने में असमर्थ हुई, तो हमने डॉक्टर से मिलने का सोचा। हमें डॉक्टर से पहले ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन शर्मिंदगी की वजह से हम डॉक्टर के पास नहीं जा पाए। अब मुझे लगता है कि अगर हम पहले ही डॉक्टर से मिल लेते, तो इतनी परेशानी नहीं होती और मैं जल्दी मां बन पाती। देर सही पर आज मेरा 2 साल का बेटा है।"
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टॉप स्टोरीज़
पीसीओएस की वजह से नहीं कर पा रही थीं कंसीव
डिंपल बताती हैं, " जब 3 साल पहले हम डॉक्टर से मिले, तो सबसे पहले उन्होंने हमारी मेडिकल हिस्ट्री जानी और फिर कुछ टेस्ट करवाएं। इस दौरान उन्होंने मेरे हार्मोनल टेस्ट, पीसीओडी, थायराइड और पीसीओएस के टेस्ट करवाएं। इसमें पता चला कि मुझे पीसीओएस है, जिसकी वजह से मेरे हार्मोन्स असंतुलित हो गए। इसकी वजह से मेरा वजन भी तेजी से बढ़ रहा था। ऐसे में पहले डॉक्टर ने मुझे पीसीओएस कंट्रोल करने के लिए दवाइयां दी। साथ ही, वजन को भी कंट्रोल में करने की सलाह दी। टेस्ट और जांच के 5 महीने बाद डॉक्टर से मुझे आईवीएफ लेने की सलाह दी। उस समय मैं आईवीएफ के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं थी। मैं इस ट्रीटमेंट को लेने के लिए डर रही थी। लेकिन फिर मैंने और मेरे पति ने इस ट्रीटमेंट को लेने का सोचा।"
आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद घर में गूंजी किलकारी
डिंपल बताती हैं, " 3 साल पहले हमने आईवीएफ प्रक्रिया लेना शुरू किया। पहली बार में तो मेरा आईवीएफ सफल नहीं हो पाया। लेकिन दूसरी बार में जब आईवीएफ की प्रक्रिया पूरी हो गई, तो उसके कुछ दिन बाद मैंने प्रेग्नेंसी किट से जांच की। उसमें प्रेग्नेंसी पॉजिटिव निकला। इसके बाद, मैं डॉक्टर से मिली और डॉक्टर से भी प्रेग्नेंसी जांच की। उस दिन मानो मुझे मेरे जीवन की सारी खुशियां मिल गई थी। लेकिन आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने के बाद भी कई कॉम्प्लिकेशन रहती है, ऐसे में मुझे थोड़ा डर भी रहता था। लेकिन मैंने प्रेग्नेंसी के पूरे 9 महीने डॉक्टर के बताए दिशा-निर्देशों का पालन किया और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।"
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क्या कहती हैं डॉ. शोभा गुप्ता
मदर्स लैप आईवीएफ की डॉ. शोभा गुप्ता बताती हैं, "जब डिंपल मेरे पास आई, तो काफी उदास और हताश थी। फिर मैंने उनकी सारी जरूरी जांचें की और मेडिकल हिस्ट्री जानी। इसके बाद पता चला कि डिंपल को पीसीओएस है। फिर मैंने उन्हें आईवीएफ लेने की सलाह दी। डिंपल भी आईवीएफ के लिए उत्सुक थी और वह इसके जरिए ही मां बनना चाहती थी। तो मैं यही कहना चाहती हूं कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं भी आईवीएफ ट्रीटमेंट ले सकती हैं। इन महिलाओं में आईवीएफ की सफलता दर लगभग 65-70 फीसदी है।"