Tips For Recovery After Stroke: स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग के किसी हिस्से में खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है यानी कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क तक रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता। स्ट्रोक का प्रभाव लंबे समय तक शरीर में प्रभाव छोड़ते हैं। स्ट्रोक की स्थिति चिंताजनक हो सकती है। स्ट्रोक के कारण शरीर की मांसपेशियों में कमजोरी और कठोरता महसूस हो सकती है। स्ट्रोक होने पर व्यक्ति को गंभीर सिर दर्द, बोलने में परेशानी, भ्रम और सुन्नता जैसे लक्षण महसूस होते हैं। स्ट्रोक से रिकवरी के लिए आप कुछ आसान टिप्स फॉलो कर सकते हैं। इन टिप्स को आगे विस्तार से जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
1. हेल्दी डाइट फॉलो करें- Follow Healthy Diet
स्ट्रोक के बाद कुछ मरीजों में हाई बीपी या अन्य कोई समस्या हो सकती है। इससे निपटने के लिए हेल्दी डाइट पर फोकस करें। अपनी डाइट में साबुत अनाज, कम वसा वाले प्रोटीन और फलों को शामिल करें। चीनी और नमक का सेवन सीमित कर दें। स्ट्रोक के बाद मरीज को ऐसी चीजें खाने के लिए न दें जिसमें तेल की मात्रा ज्यादा हो। घर का बना ताजा और गर्म भोजन ही मरीज को खाने के लिए दें।
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2. नींद पूरी करना जरूरी है- Sleep Well After Stroke
स्ट्रोक के बाद, मरीजों को अच्छी नींद पर फोकस करना चाहिए। अच्छी नींद से स्ट्रोक से रिकवरी में मदद मिलती है। इस तरह मरीज खुद को नकारात्मक विचारों से दूर रख सकेंगे और तनाव कम होगा।
3. दवाओं का सेवन करें- Medication Management
स्ट्रोक के बाद डॉक्टर के बताए सभी नियमों को फॉलो जरूर करें। रक्त को पतला करने वाली दवाओं का सेवन हो या बीपी कंट्रोल करने वाली दवाएं हों, आपको सभी समय पर लेना है। स्ट्रोक में दवाओं का सही प्रबंधन जरूरी है। इस तरह जल्दी रिकवरी में मदद मिलेगी।
4. स्पीच थेरेपी की मदद लें- Speech Therapy After Stroke
कई बार स्ट्रोक के बाद, मरीजों को बोलने में परेशानी होती है। ऐसी स्थिति में स्पीच थेरेपी काम आती है। इसके लिए आप स्पीच थेरेपी एक्सपर्ट से बात कर सकते हैं। इसके अलावा मसल्स मूवमेंट के लिए मरीज को फिजिकल थेरेपी की भी जरूरत हो सकती है। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें और थेरेपी को जल्द से जल्द शुरू करवाएं।
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5. स्ट्रोक के बाद पॉजिटिव रहना जरूरी है- Staying Positive After Stroke
स्ट्रोक का असर शारीरिक सेहत के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। मरीज की जल्दी रिकवरी हो, इसके लिए जरूरी है कि उसे पॉजिटिव रखा जाए। इसके लिए आप थेरेपी की मदद ले सकते हैं। साइकोलॉजिस्ट से संपर्क किया जा सकता है। मरीज को खुश रखने के लिए उसे किसी हॉबी के साथ जोड़ सकते हैं या मरीज के आसपास का माहौल अच्छा रखकर भी आप उसे पॉजिटिव महसूस करवा सकते हैं।
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