सांसों पर नियंत्रण और स्मरण शक्ति बढ़ाती है ये 'तिब्बती ध्यान विधि', जानें तरीका

- रोज 20-25 मिनट निकालकर कर सकते हैं ये आसान ध्यान।
- ध्यान से मस्तिष्क की धमनियां शांत होती हैं और रक्त प्रवाह तेज होता है।
- तिब्बत में पुराने समय से रही है ध्यान और साधना की परंपरा।
ध्यान आपके दिमाग और शरीर दोनों को शांत और स्थिर करता है। दिनभर की भागदौड़ और बढ़ते कॉम्पटीशन की वजह से हर व्यक्ति आज तनाव और डिप्रेशन का शिकार है। ऐसे में ध्यान के द्वारा न सिर्फ इन परेशानियों से बचा जा सकता है बल्कि अपने जीवन में एक नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी किया जा सकता है। आपकी सफलता-असफलता इस बात पर निर्भर करती हैं कि आप कितने मुक्त मन से किसी काम को करते हैं। ऐसे में अगर आप रोज ध्यान का अभ्यास करते हैं, तो इससे आपके दिमाग को शांति मिलती है। इस बात का वैज्ञानिक आधार भी है कि ध्यान के द्वारा दिमाग की नसों में रक्त का संचार बढ़ जाता है और ऐसे हार्मोन्स का स्राव होने लगता है, जो आपको खुशी और सकारात्मक भाव देते हैं।
तिब्बत की संस्कृति का हिस्सा है ध्यान
ध्यान यानी मेडिटेशन योग का हिस्सा है। ज्यादातर लोग प्रणायाम और आसन को ही योग मान लेते हैं जबकि योग के 8 चरण हैं जिनमें 8वां चरण ध्यान को बताया गया है। योग की खोज भारत में की गई और उसके बाद दुनियाभर में इसे पहचान मिली। तिब्बती संस्कृति में ध्यान के महत्व पर विशेष बल दिया गया है। तिब्बत में पुराने समय से ही ध्यान और योग को सभी के लिए अति आवश्यक माना जाता रहा है। नादब्रह्म ध्यान तिब्बत की एक पुरानी विधि है, जिसमें लोग भोर में 3-4 बजे उठते थे और ध्यान करते थे। इसके बाद फिर सो जाते थे। यह तिब्बती ध्यान विधि मस्तिष्क और शरीर के सभी अंगों के लिए बहुत फायदेमंद है और इसे करना भी बेहद आसान है।
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ध्यान की शुरुआत से पहेल
ध्यान की शुरुआत से पहले अपने मोबाइल फोन को साइलेंट कर दें और कोशिश करें कि कोई आपको डिस्टर्ब न करे। इस बात का ध्यान रखें कि आप थोड़े समय के लिए अपने सभी नकारात्मक विचारों को बाहर निकाल रहे हैं। इसलिए आराम से किसी शांत और शीतल जगह में बैठकर ध्यान करें।
कैसे शुरु करें ध्यान
ध्यान से पहले अपनी मनपसंद कोई वस्तु ले लें जैसे- कोई फूल, पेन्सिल ,मोमबत्ती, कोई मूर्ति आदि। ध्यान की जगह पर शांति से बैठकर इस वस्तु को आंखों की उंचाई पर किसी मेज या वस्तु के सहारे रख दें। अब इस वस्तु पर ध्यान केंद्रित करें और वस्तु के बारे में सोचें। वस्तु का आकार, उसका रंग, उसके गुण और दोष आदि का ध्यान करें और धीरे-धीरे मन में आने वाले दूसरे विचारों को छोड़ते चलें। वस्तु पर ध्यान केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे आंखें बंद कर लें और अपने आप पर और अपने मन पर ध्यान लगाएं। अपने बारे में सोचें। अपने अस्तित्व के बारे में सोचें और इस बात की कल्पना करें कि आप इस दुनिया के सबसे खुशकिस्मत व्यक्ति हैं।
इस बीच सामान्य के बजाय गहरी सांस लें और वायु को अपने फेफड़ों में जाते हुए महसूस करें। अपनी खुशी के लिए 4-5 महत्वपूर्ण कारणों की खोजें और विचार करें। धीरे-धीरे अपने मन में ही किसी प्रकाशित वस्तु जैसे मोमबत्ती या जलते हुए बल्ब की कल्पना करें और उसके प्रकाश को अपने अंदर भर जाने दें। अपनी खुशियों के बारे में सोचें और प्रकाश को महसूस करें। 20-25 मिनट बाद या जब भी आपको होश आए, धीरे-धीरे आंखें खोलिए और 5 मिनट शांति के साथ ऐसे ही बैठें रहें।
सांसों पर नियंत्रण बढ़ाता है ध्यान
नियमित मेडिटेशन करने से श्वांस संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं। श्वास से जुड़े अनेक रोगों जैसे अस्थमा, एंफीसेमा और श्वांसनली अवरूद्ध होने से श्वांस रूकने का खतरा बना रहता है जो कि जानलेवा हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे रोगों से ग्रस्त रोगियों को ब्रेथ मेडिटेशन से सांस लेने में काफी राहत मिलती है।
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उम्र और स्मरण शक्ति बढ़ाता है ध्यान
मेडिटेशन करने से उम्र बढ़ती है। क्योंकि इससे दिमाग शांत रहता है, मन खुश रहता है और व्यक्ति के अंदर सकारात्मक सोच की भावना प्रबल होती है ऐसे में बीमारियां भी दूर रहती हैं। यह व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत रखता है, वजन को निंयत्रित करता है। ऐसे में व्यक्ति की उम्र बढ़ना स्वाभाविक है। इसके अलावा इससे आपकी याददाश्त भी बढ़ती है क्योंकि ध्यान से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बेहतर हो जाता है।
तनाव के हार्मोन को कंट्रोल करता है ध्यान
वर्तमान में काम की अधिकता और अनियमित दिनचर्या के कारण तनाव होना एक आम समस्या बन गया है। लेकिन नियमित रूप से मेडिटेशन करने से तनाव दूर होता है। जर्नल हेल्थ साईकोलॉजी में छपे एक रिसर्च की मानें तो मेडिटेशन, तनाव को कम करता है और दिमाग को शांत करता है, इसे करने से शरीर का कॉर्टिसोल हार्मोन सही मात्रा में रहता है।
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Source: ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग Sep 21, 2018
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