वयस्कों के मुकाबले में बच्चों में थायराइड की समस्या काफी कम होती है। विशेषज्ञों की मानें तो, यदि किसी बच्चे में थायराइड की समस्या होती है उनके संपूर्ण विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। थायराइड ग्लैंड हार्मोन का निर्माण करती है जो मेटाबॉलिज्म यानी चयापचय को नियंत्रित करता है। जिसका बच्चों पर बहुत ही बुरा असर पड़ सकता है। थायराइड की समस्या में थकान, वजन का बढ़ना, कमजोरी, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अगर आपके बच्चे में ऐसे लक्षण दिखें तो आपको एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। आइए आज हम आपको बच्चों में थायराइड समस्या और उसके प्रभावों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
जन्मजात हाइपोथायराइडिज्म
बच्चों में जन्मजात हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण जन्म से ही दिखाई देते हैं। इसके कारण नवजात को जन्म लेने के तुरंत बाद दिक्कत हो सकती है। थायराइड ग्लैंड का ठीक से विकास न हो पाना इसका प्रमुख कारण होता है। कुछ बच्चों में तो थायराइड ग्रंथि भी मौजूद नहीं होती है। इसके कारण शिशु मानसिक समस्या (क्रेटिनिज्म) होती है। इसलिए बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के अंदर उसके थायराइड फंक्शन की जांच करानी चाहिए।
क्षणिक जन्मजात हाइपोथायराइडिज्म
अगर मां को गर्भावस्था के दौरान थायराइड समस्या है तो शिशु को यह समस्या हो सकती है। हालांकि शिशु में क्षणिक हाइपोथायराइडिज्म और हाइपोथायराइडिज्म में अंतर निकालना मुश्किल होता है। अगर परीक्षण के दौरान शिशु में इस प्रकार की थायराइड समस्या दिखती है तो कुछ समय तक चिकित्सा के बाद यह ठीक हो जाता है।
हाशीमोटोज थायराइडिटिस
बच्चों और किशोरों में थायराइड की यह समस्या सबसे ज्यादा सामान्य है। इसे ऑटोइम्न्यून (इसमें इम्यून सिस्टम स्वस्थ्य और बीमार कोशिकाओं में अंतर नहीं कर पाता है) बीमारी भी कहते हैं। बच्चों में यह बीमारी 4 साल की उम्र के बाद ही होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करती है। बच्चों में इस समस्या का के लक्षण बहुत धीरे-धीरे दिखाई पड़ते हैं। बच्चों में ऐसी समस्या होने पर थायराइड ग्रंथि अंडरएक्टिव हो जाती है और यह दिमागी विकास को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
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ग्रेव्स बीमारियां
यह बीमारियां सामान्यत: बच्चों और किशोरों में होती हैं। इस बीमारी के होने के बाद थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है। इससे शरीर में ज्यादा मात्रा में हार्मोन का निर्माण होता है। जिसके कारण बच्चों को हाइपरथायराइडिज्म की समस्या होती है। इससे कारण बच्चों में थकान, चिड़चिड़ेपन की समस्या होती है। इसके कारण बच्चों का पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लगता।
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माता पिता करें ये काम
अक्सर बच्चों में थायराइड समस्या के लिए माता-पिता ही जिम्मेदार होते हैं। अगर गर्भावस्था के दौरान मां को थायराइड समस्या है तो बच्चे को भी थायराइड की समस्या हो सकती है। इसके अलावा मां के खान-पान से भी बच्चे का थायराइड फंक्शन प्रभावित होता है। अगर गर्भावस्था के दौरान मां के डाइट चार्ट में आयोडीनयुक्त खाद्य-पदार्थों का अभाव है तो इसका असर शिशु पर पड़ता है। वैसे तो बड़ों, किशारों और बच्चों में थायराइड समस्या के लक्षण सामान्य होते हैं। लेकिन अगर बच्चों में थायराइड की समस्या हो तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। बच्चों में अगर थायराइड समस्या है तो बच्चों के चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
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