
पैर आपके शरीर के एक महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। एक आयुर्वेदिक परंपरा में 'पाद' को विशेष महत्व दिया गया है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, शरीर और आत्मा पैरों में सन्निहित हैं, जो इस अंग को शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग बनाते हैं। आयुर्वेदिक पैरों की मालिश पादाभ्यंग आपके पैरों को आवश्यक देखभाल प्रदान करने के लिए एक बेहतरीन विधा है। इसमें आयुर्वेदिक तेल से पैरों की मालिश करने से तंत्रिका तनाव से छुटकारा मिलता है, जो अंततः आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है।
पैरों की मालिश का महत्व
आयुर्वेद पैरों को एक महत्वपूर्ण मोटर अंग के रूप में मानी जाती है, क्योंकि अंगों के अधिकांश संपर्क तंत्र पैरों में समाप्त होते हैं। यह इस अंग को महत्वपूर्ण बनाते हैं। पैरों की मालिश करने का अर्थ है नसों को मालिश करना, जो तंत्रिकाओं को मजबूत करने के साथ ही शरीर के अन्य अंगों के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती हैं।
आप बिस्तर पर जाने से पहले रात में पादाभ्यंग की मालिश कर सकते हैं। ऐसा प्रतिदिन करना कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। आयुर्वेद में, 'पादाभ्यंग' को सभी वैकल्पिक उपचारों की जननी कहा जाता है, क्योंकि यह दोष-असंतुलन के इलाज की शक्ति रखती है।
पादाभ्यंग के फायदे
यह आपको ऑटोइम्यून बीमारियों से दूर रखने के लिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है।
- मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है।
- अशांत मन को शांति प्रदान करता है।
- अच्छी नींद को बढ़ावा देता है।
- रक्त संचार बढ़ाता है।
- आंखों की रोशनी बढ़ाता है।
- क्रैक हील से बचाव ।
- पैरों की सेहत में सुधार।
- पैर के दर्द का इलाज करता है।
- त्वचा को ड्राई होने से बचाए। सूखापन
- 'वात दोष' संतुलन में मददगार
कैसे करें पादाभ्यंग
वास्तविक पादाभ्यंग थेरेपी केवल एक प्रमाणित चिकित्सक द्वारा आमतौर पर रोगी की चिकित्सा जांच के बाद की जाती है। लेकिन आइए यहां हम आपको इसे करने का तरीका बताते हैं।
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चरण 1- तेल का विकल्प चुनें
- इस उपचार को आयुर्वेदिक तेल 'तैलम' के साथ किया जाता है, जो या तो औषधीय तेल या औषधीय घी या कभी-कभी दोनों का संयोजन होता है।
- कभी-कभी 'क्षीरधारा' का भी उपयोग किया जाता है, जिसे दूध, लाक्षा चूर्ण और दशमूला कषायम के संयोजन के बाद बनाया जाता है।

चरण 2- तेल लगाना
- औषधीय तेल को लगाने से पहले, इसे गुनगुना बनाने के लिए थोड़ा गर्म किया जाता है।
- तेल या घी को तब तलवों, एड़ी, पैरों, टखनों के जोड़ों और पूरे पैरों पर लगाया जाता है।
चरण 3- मालिश
- तेल लगाने के बाद, मुख्य प्रक्रिया शुरू होती है। तेल की मालिश त्वचा पर हल्के हाथों से एक तीव्र गति से की जाती है।
- मालिश व्यक्ति की तंत्रिकाओं और ऊर्जा बिंदुओं को सक्रिय करने के लिए उस क्षेत्र पर थोड़ा दबाव लागू करती है।
- यह प्रक्रिया सकारात्मक प्रभाव के लिए शरीर से नकारात्मक ऊर्जा और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।

कुछ महत्वपूर्ण बातें
किसी भी समय पादाभ्यंग या पैर की मालिश की जा सकती है, लेकिन सोने से पहले सबसे अच्छा समय है। ऐसा इसिलए क्योंकि तब आप आराम कर सकते हैं और इस समय महत्वपूर्ण बिंदु सक्रिय हो जाते हैं। पादाभ्यंग या पैर की मालिश संपूर्ण शरीर की मालिश का एक हिस्सा है।
हालांकि कुछ शर्तें हैं, जब कि पादाभ्यंग नहीं किया जाना चाहिए। यहां कुछ स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिसमें आपको इससे बचना चाहिए- सर्दी, बुखार, ब्लड इंफेक्श्ान, अपच, पेट की बीमारी, त्वचा की समस्याएं, संचार संबंधी विकार आदि।
पैर की मालिश का अभ्यास शरीर के कायाकल्प और समग्र स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करके आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है।
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