महिलाओं के शरीर में रोज दिखते हैं ये 7 लक्षण, मामूली समझकर कतई न करें नजरअंदाज

जागरूकता के अभाव में थकान, सुस्ती, दर्द, सर्दी-ज़ुकाम और बुख़्रार जैसे कुछ लक्षणों की ओर उसका ध्यान नहीं जाता, जो कभी-कभी किसी गंभीर बीमारी का संकेत दे रहे होते हैं। अगर सही समय पर उपचार शुरू न किया जाए तो इसकी वज़ह से बाद में परेशानी हो सकती है। अत: भलाई इसी में है कि आप समय रहते ही सचेत हो जाएं। आज हम गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया से बात कर के आपको बता रहे हैं कि कुछ लक्षणों को पहचान कर उनसे संबंधित बीमारियों को कैसे दूर किया जाए।
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महिलाओं के शरीर में रोज दिखते हैं ये 7 लक्षण, मामूली समझकर कतई न करें नजरअंदाज

अक्सर सामान्य से दिखने वाले लक्षण भी किसी गंभीर शारीरिक समस्या का संकेत देते हैं। इसलिए अगर आप अपने परिवार को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो शरीर में दिखने वाले किसी भी ऐसे संकेत को जो आपको अजीब लग रहे हैं उन्हें अनदेखा न करें। हर स्त्री अपने परिवार को स्वस्थ और खुशहाल बनाए रखने की पूरी कोशिश करती है। फिर भी जागरूकता के अभाव में थकान, सुस्ती, दर्द, सर्दी-ज़ुकाम और बुख़्रार जैसे कुछ लक्षणों की ओर उसका ध्यान नहीं जाता, जो कभी-कभी किसी गंभीर बीमारी का संकेत दे रहे होते हैं। अगर सही समय पर उपचार शुरू न किया जाए तो इसकी वज़ह से बाद में परेशानी हो सकती है। अत: भलाई इसी में है कि आप समय रहते ही सचेत हो जाएं। आज हम गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया से बात कर के आपको बता रहे हैं कि कुछ लक्षणों को पहचान कर उनसे संबंधित बीमारियों को कैसे दूर किया जाए।     

1. बेवजह थकान

कई बार मेहनत किए बिना भी हमेशा सुस्ती महसूस होती है और लोगों को इसका कोई कारण समझ नहीं आता। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो इसके लिए खुद को दोषी न समझें। एनीमिया, हाइपोथायरॉडिज्म या विटमिन डी की कमी के कारण भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण नज़र आते हैं।

ऐसी स्थिति में क्या करें

ऐसी स्थिति में आमतौर पर डॉक्टर सीबीसी यानी टोटल ब्लड काउंट और टी-3, टी-4 और टी-एसएच की जांच करवाने की सलाह देते हैं। इससे ब्लड में हीमोग्लोबिन लेवल और थायरॉक्सिन हॉर्मोन के सही स्तर की जानकारी मिल जाती है। अगर एनीमिया की समस्या हो तो अपने आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों मसलन, चना, गुड़, खजूर, चुकंदर, केला, सेब, अनार और हरी पत्तेदार सब्जि़यों की मात्रा बढ़ाएं। अगर थायरॉयड ग्लैंड से जुड़ी समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवाओं का सेवन करें और हर छह महीने के अंतराल पर जांच कराती रहें। अगर विटमिन डी का लेवल कम हो तो डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित सेवन करें। प्रतिदिन 15-20 मिनट धूप में बैठें। मिल्क प्रोडक्ट्स, डाई फ्रूट्स और फिश को अपनी डाइट में प्रमुखता से शामिल करें।

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2. सीने में दर्द

अगर आपने कभी महसूस किया है कि आपको या आपके घर में किसी को सीने में दर्द की शिकायत रहती है या सीढिय़ां चढ़ते या उतरते समय या फिर कोई मेहनत वाला काम करने पर अक्सर सांस फूलने लगती है तो यह हृदय रोग का संकेत हो सकता है।   

ऐसी स्थिति में क्या करें

शुरुआती दौर में ऐसा कोई भी लक्षण नज़र आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ऐसे मामलों में सबसे पहले डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करवाते हैं। अगर रिपोर्ट में उसका स्तर बढ़ा हुआ आए तो घी-तेल, मक्खन, मिर्च-मसाले के सेवन से दूर रहना चाहिए। एल्कोहॉल या सिगरेट की आदत हो तो उसे जल्द से जल्द छोड़ दें। ज़रूरत महसूस होने पर डॉक्टर ईसीजी या एंजियोग्राफी कराने की भी सलाह देते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए नियमित एक्सरसाइज़ और मॉर्निंग वॉक ज़रूरी है।संतुलित खानपान से बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें और नियमित जांच कराएं।

3. बार-बार भूख लगना

कुछ लोगों को बहुत ज़्यादा भूख लगती है और दिन में भी नींद आती रहती है। वे इसे अच्छी सेहत की निशानी समझकर अक्सर अनदेखा कर देते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि अधिक भूख, प्यास, नींद और बार-बार टॉयलेट जाने की ज़रूरत महसूस होना, यह सारे लक्षण डायबिटीज़ की ओर संकेत करते हैं।

ऐसी स्थिति में क्या करें

शुगर लेवल की जांच कराएं और डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाएं। चावल, आलू, चीनी, मैदा, जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स और एल्कोहॉल से दूर रहें, नियमित एक्सरसाइज़ और वॉक करें।      

4. भूलने की आदत

कुछ लोग अपनी ज़रूरी चीज़ें कहीं भी रखकर भूल जाते हैं। लोगों और जगहों के नाम, चेहरे या रास्ते भूल जाना एक ऐसी समस्या है, जिससे कुछ लोगों को परेशानी होती है। युवाओं के साथ कभी-कभी ऐसा होना सामान्य है लेकिन जब बुज़ुर्गों को अकसर ऐसी समस्या हो तो परिवार के सदस्यों को सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि यह डिमेंशिया जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी का भी लक्षण हो सकता है। इसके अलावा विटमिन बी-12 की कमी से युवाओं को भी ऐसी समस्या हो सकती है।

ऐसी स्थिति में क्या करें

अगर परिवार के किसी बुज़ुर्ग सदस्य को ऐसी समस्या हो तो बिना देर किए  किसी न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं। अगर शुरुआती दौर में उपचार मिल जाए तो इस समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसी तरह अगर किसी युवा सदस्य को भूलने की समस्या हो तो उसे विटमिन बी-12 की जांच करानी चाहिए, रिपोर्ट पॉजि़टिव होने के बाद डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन करें। अपने भोजन में मिल्क प्रोडक्ट्स, मशरूम, चिकेन या रेड मीट के लिवर को प्रमुखता से शामिल करें।

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5. घुटनों से आवाज़ निकलना

चलते समय घुटनों से निकलने वाली आवाज़ ऑस्टियो ऑथ्र्राइटिस का संकेत देती है। वैसे तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है पर मेनोपॉज़ के बाद स्त्रियों में इसकी आशंका बढ़ जाती है। मोटापा भी इसकी एक प्रमुख वजह है।

ऐसी स्थिति में क्या करें

सबसे पहले अस्थि रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। उसके सभी निर्देशों का पालन और दवाओं का नियमित सेवन करें। कैल्शियम के पोषण के लिए अपनी डाइट में मिल्क प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ाएं, सब्जि़यों, फलों और स्प्राउट्स को अपने आहार में नियमित रूप से शामिल करें। एक्सरसाइज़ और संतुलित खानपान से बढ़ते वज़न को नियंत्रित करें।   

6. सेहत का अलार्म हैं खर्राटे

जागरूकता के अभाव में अकसर लोग खर्राटे को गहरी नींद का लक्षण समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर वास्तव में यह समस्या सेहत के लिए बहुत नु$कसानदेह साबित होती है। जब भी सांस लेने में रुकावट आती है तो उससे खर्राटे की ध्वनि निकलती है। ओबेसिटी के कारण सांस की नली में रुकावट, नाक की हड्डी की संरचना में गड़बड़ी, सांस की नली में कमज़ोरी आदि इसकी प्रमुख वजहें हैं। अगर किसी को दिन में अकसर नींद आती हो और वह रात के व$क्त खर्राटे भरता हो तो यह स्लीप एप्निया नामक गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है।

ऐसी स्थिति में क्या करें

एक्सरसाइज़, योग और संतुलित खानपान से बढ़ते वज़न को नियंत्रित करने की कोशिश करें। अगर नाक की हड्डी बढऩे की समस्या हो तो ईएनटी विशेषज्ञ से सलाह लें। अगर ज़्यादा परेशानी हो तो स्लीप स्पेशलिस्ट या पल्मेनोलॉजिस्ट से मिलकर उपचार ज़रूर कराएं।  

7. बच्चों में खांसी-ज़ुकाम  

चूंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसी वजह से उन्हें  सर्दी-ज़ुकाम, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं अकसर परेशान करती हैं। कई बार एस्थमा होने पर भी ऐसे लक्षण नज़र आते हैं। अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसी कोई समस्या हो तो उसे मामूली समझकर अनदेखा न करें।

ऐसी स्थिति में क्या करें

बच्चे का इम्यून सिस्टम मज़बूत बनाने के लिए उनकी डाइट में संतरा, मौसमी, अंगूर और अनार जैसे विटमिन सी युक्त फलों को प्रमुखता से शामिल करें। अगर दो-चार दिनों में खांसी दूर न हो तो डॉक्टर को दिखाएं। एस्थमा होने पर अगर डॉक्टर नेबुलाइज़र से दवा लेने की सलाह देते हैं तो उस पर ज़रूर अमल करें। घर पर अगरबत्ती या मॉस्किटो रैप्लेंट का इस्तेमाल न करें और किचन में चिमनी लगवाएं। कार्पेट और सॉफ्ट टॉयज़ की सफाई का विशेष ध्यान रखें। स्कूल भेजते समय बच्चे को मास्क ज़रूर पहनाएं।

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