फेफड़ों को धीमे-धीमे नुकसान पहुंचा रही ये 5 चीजें, बन सकती हैं कैंसर का कारण

फेफड़ों की अस्वस्थता के कारण ही किसी व्यक्ति को अस्थमा, खांसी ,फ्लू, थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर हम फेफड़ों के खराब होने वाली समस्या को प्रदूषण से जोड़ते हैं जबकि फेफड़ों के खराब और अस्वस्थ होने के पीछे बहुत सारे अन्य कारक भी हैं। 
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फेफड़ों को धीमे-धीमे नुकसान पहुंचा रही ये 5 चीजें, बन सकती हैं कैंसर का कारण


हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक फेफड़े (Lungs)हमें जिंदा रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। फेफड़े सांस लेने के अलावा, हवा को शुद्ध करने का भी काम करते हैं। इसके अलावा शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने का काम भी फेफड़ों का ही है और तो और हमारे शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में भी यह मदद करते हैं। फेफड़ों की अस्वस्थता के कारण ही किसी व्यक्ति को अस्थमा, खांसी ,फ्लू, थकान और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर हम फेफड़ों के खराब होने वाली समस्या को प्रदूषण से जोड़ते हैं जबकि फेफड़ों के खराब और अस्वस्थ होने का कारण केवल प्रदूषण ही नहीं है बल्कि इसके पीछे बहुत सारे अन्य कारक भी हैं। इन कारकों के अलावा हमारी कुछ खराब आदतें भी हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके बारे में हम जानते हुए भी उन्हें नजरअंदाज करते हैं। अगर आप भी सोच रहे हैं कि ऐसी कौन सी आदते हैं तो हम आपको ऐसी 5 चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो धीमे-धीमे आपके फेफेड़ों को नुकसान पहुंचा रही हैं।

धूम्रपान

मौजूदा दौर में सिगरेट पीने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है, जिसमें केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। सिगरेट में मौजूद निकोटिन फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है। फेफड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान इसी से पहुंचता है चाहे वह सिगरेट पीने से हो या किसी के साथ खड़े होने से। सिगरेट पीने के साथ साथ पैसिव स्मोकिंग भी हमारे फेफड़ों के लिए खतरनाक साबित होती है।

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ब्लीच

बाजार में बिकने वाली ब्लीच के बारे में आपने तो सुना ही होगा। अक्सर ब्लीच का इस्तेमाल त्वचा को साफ करने में किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्लीच से अमोनिया और क्लोरीन जैसी हानिकारक गैस निकलती है, जो आपके फेफड़ों के लिए काफी घातक साबित होती है। इस प्रकार की गैस आपमें फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकती है।

पेस्टीसाइड

अक्सर हम घरों में मौजूद मच्छर और अन्य कीड़ों को मारने के लिए पेस्टिसाइड्स का प्रयोग करते हैं, जिसमें से अमोनिया और क्लोरीन जैसी हानिकारक तत्व होते हैं। इतना ही नहीं कुछ पेस्टीसाइड में निकोटिन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार के पेस्टीसाइड के छिड़काव के दौरान जब हम सांस लेते हैं तो वे हवा में मिलकर हमारे अंदर चले जाते हैं और हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए  संभव हो तो मच्छरदानी का प्रयोग करें।

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पेंट

घर, दुकान मकान या फर्नीचर को रंग करते वक्त हम पेंट का प्रयोग करते हैं, जो आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। दरअसल रंगो की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कंपनियां उनमें तरह-तरह के केमिकल्स मिलाती हैं। इसलिए जब भी हम पेंट का नया डब्बा खोलते हैं ,तो उसमें से वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड जैसे घातक केमिकल्स बाहर निकलते है, जिनकी दुर्गंध  शरीर और फेफड़ों के लिए काफी घातक साबित होती है। इसलिए पेंट का डिब्बा खोलते वक्त अपने मुंह पर कपड़ा बांधइए और इसकी महक से दूर रहिए।

लकड़ी जलाने से बचें

दरअसल लकड़ियां जलाने से नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैस निकलती है ,जो हमारे फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। यही कारण गांव-देहात में लकड़ी के चूल्हे के इस्तेमाल से महिलाएं अक्सर बीमार पड़ जाया करती हैं और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। लकड़ी जलाने के कारण हमेशा सीने में दर्द जैसी समस्या भी सामने आती है।

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